दिल्लीः बात 1946 के आखिर की है।  अंग्रेज भारत से रुखसत हो रहे हैं और भारत आजाद होने वाला था। पं. जवाहरलाल नेहरू प्रधानमंत्री और डॉ. राजेंद्र प्रसाद पहले राष्ट्रपति भी चुन लिए गए थे। लगभग सब कुछ निश्चित हो चुका था, अगस्त 1947 में आखिरी वायसराय लॉर्ड माउंटबेटन भी ब्रिटेन लौट रहे थे। देश बंटवारे की आग में जल रहा था, भारत के दो टुकड़े हो रहे थे।

उन दिनों उज्जैन (मध्य प्रदेश) के क्रांतिकारी, लेखक और ज्योतिषाचार्य पं. सूर्यनारायण व्यास डॉ. राजेंद्र प्रसाद के काफी नजदीकी थे। डॉ. प्रसाद ने अपने भरोसेमंद गोस्वामी गणेश दत्त महाराज के जरिए पं. व्यास को दिल्ली बुलवाया।

उनके सामने सवाल रखा गया कि ज्योतिषीय गणना के मुताबिक किस दिन भारत को पहला स्वतंत्रता दिवस मनाना चाहिए। अंग्रेजों से दो तारीखें मिली थीं 14 और 15 अगस्त, जिनमें से जिन्ना के नेतृत्व में पाकिस्तान के गठन और भारत की आजादी के लिए एक दिन चुना जाना था।

पंडित व्यास ने आजाद भारत के लिए पंचांग से मुहूर्त देखे। पं. व्यास के बेटे और दूरदर्शन के पूर्व महानिदेशक डॉ. राजशेखर व्यास बताते हैं- मोहम्मद अली जिन्ना मुहूर्त जैसी बातें नहीं मानते थे। उन्होंने 14 अगस्त का दिन पाकिस्तान के लिए चुना, जबकि पं. व्यास ने उन्हें चेताया था कि 14 अगस्त के दिन ग्रह स्थितियां ठीक नहीं हैं। अगर 14 अगस्त को पाकिस्तान बना,  तो संभव है वह हमेशा अस्थिर रहेगा, क्योंकि उस दिन कुंडली में लग्न (कुंडली का पहला स्थान) भी अस्थिर वाला था, लेकिन जिन्ना नहीं माने।

डॉ. राजशेखर व्यास आगे बताते हैं कि पं. सूर्यनारायण व्यास की सलाह पर ही डॉ. राजेंद्र प्रसाद और प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने 14-15 अगस्त की दरमियानी रात 12 बजे का समय भारत की आजादी के लिए तय किया। कारण था उस दिन भारत की कुंडली में स्थिर वृषभ राशि का लग्न होना, ये लग्न स्थिर माना जाता है। पं. व्यास का तर्क था, स्थिर लग्न में देश आजाद हुआ,  तो आजादी और लोकतंत्र दोनों स्थिर रहेंगे।

स्वतंत्रता दिवस पर तिरंगा फहराने की परंपरा सुबह की है, लेकिन 15 अगस्त 1947 को रात 12 बजे पं. जवाहरलाल नेहरू ने लाल किले पर तिरंगा फहराया। हालांकि, इतिहास के पन्नों में ये दर्ज नहीं हो सका, लेकिन इसकी सलाह भी पं. व्यास ने ही दी थी। उन्होंने डॉ. राजेंद्र प्रसाद से कहा कि अगर हम आधी रात को आजादी का समय ले रहे हैं, तो इसी समय में ध्वजारोहण किया जाए। स्वतंत्रता के औपचारिक कार्यक्रम भले ही सुबह किए जाएं, लेकिन पहला ध्वजारोहण आधी रात में ही होगा। पं. नेहरू ने उनकी बात मानी और आधी रात में लाल किले पर ध्वजारोहण किया।

राजशेखर व्यास के मुताबिक पं. सूर्यनारायण व्यास ने ही सलाह दी थी कि 15 अगस्त की रात को संसद भवन का शुद्धिकरण किया जाए। इसकी जिम्मेदारी गोस्वामी गिरधारीलाल को दी गई। उन्होंने संसद भवन को धुलवाया और उसका शुद्धिकरण करवाया।

उज्जैन में 1902 में जन्मे पं. सूर्यनारायण व्यास 1921-1922 से ही आजादी की लड़ाई में सक्रिय हो गए थे। ज्योतिषी भी थे, तो इस पर लेख भी लिखा करते थे। 1930 में आज नाम की पत्रिका के एक लेख में उन्होंने भविष्यवाणी की थी कि भारत अगस्त 1947 में आजाद हो जाएगा।

1952 में राष्ट्रपति डॉ. राजेंद्र प्रसाद का कार्यकाल समाप्त हो रहा था। दूसरा राष्ट्रपति चुना जाना था। तब पं. व्यास ने डॉ. प्रसाद को पहले ही बता दिया था कि फिलहाल आपकी कुंडली संकेत कर रही है कि आप ही देश के राष्ट्रपति चुने जाएंगे। ये बात भी सही साबित हुई और डॉ. राजेंद्र प्रसाद फिर से राष्ट्रपति चुने गए। इस बारे में डॉ. प्रसाद ने पं. व्यास को पत्र भी लिखा था, जिसमें उन्होंने स्वीकार किया था कि आपने पहले ही बता दिया था।

भारत की आजादी के मुहूर्त की बात एक बार टाइम मैगजीन में भी छपी थी। बात 1980 की है। जब अमेरिका में ये बात उठी कि बड़े राजनेता अपने कामों के लिए एस्ट्रोलॉजी का सहारा भी लेते हैं। तब सर वुडो ब्राइट ने एक किताब लिखी जिसका नाम था, हू डज नॉट कंसल्ट द स्टार्स (who does not consult the stars)। इस किताब का जिक्र टाइम मैगजीन में भी किया गया। जिसमें उन्होंने लॉर्ड माउंटबेटन के एक किस्से का जिक्र किया था और ये लिखा था कि भारत की आजादी का दिन तय करने में उज्जैन शहर के किसी पंडित का भी योगदान है, उन्होंने सितारे देखकर दिन तय किया है।

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