दिल्लीः प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 76वें स्वतंत्रता दिवस पर सोमवार को भारत को अगले 25 वर्ष में विकसित देश बनाने के लक्ष्य के साथ देशवासियों से नागरिक कर्तव्यों का पालन करने सहित ‘पांच प्रण’ लेने का आह्वान किया। इस मौके पर उन्होंने भ्रष्टाचार तथा परिवारवाद और  भाई-भतीजावाद को देश की प्रगति की राह की दो बड़ी चुनौती बताया और इन बुराइयों को मिल कर समाप्त किए जाने की पुरजोर अपील की।

पीएम मोदी ने ऐतिहासिक लाल किले की प्रचीर से लगतार नौवीं बार राष्ट्र को संबोधित किया। इस मौके पर उन्होंने भ्रष्टाचार और परिवारवाद देश की जड़ों में दीमक के समान लगा हुआ है और इसके कारण योग्यता मारी जाती है। उन्होंने भष्टाचारियों को आगाह किया कि जिन्होंने देश को लूटा है उन्हें लूट का धन वापस लौटाना पड़ेगा।

उन्होंने भारत के लोगों की अपार क्षमता, सामूहिक चेतना और संकल्पबद्धता गुणगान करते हुए देश को अन्न उत्पादन और बच्चों के खिलौनों से लेकर, हथियार और ऊर्जा के क्षेत्र में आत्म निर्भर बनाने के लिए काम करने के सरकार के संकल्प को दोहराया। उन्होंने जय जवान, जय किसान और जय विज्ञान के नारे में जय अनुसंधान का भी नारा जोड़ा।

केवल भारत के इतिहास, परंपरा, भारत की आवश्यकताओं और आकांक्षाओं पर केंद्रित इस संबोधन में मोदी ने देश की नारी शक्ति को परिवार से लेकर राष्ट्रीय जीवन में बराबर का सम्मान और अवसर दिए जाने का आह्वान करते हुए कहा कि इससे हम अपने राष्ट्रीय लक्ष्यों को अधिक शीघ्रता से प्राप्त कर सकेंगे। उन्होंने कहा कि भारत की नारीशक्ति युद्ध के मार्चे से लेकर खेल के मैदान तक देश का परचम लहरा रही है।

प्रधानमंत्री ने इस बात पर दुख जताया कि आज भी कुछ लोग अपने शब्दों और मनोभाव से नारी का अपमान करते हैं। उन्होंने अमृतकाल के पहले प्रभात पर देश की युवा पीढ़ी से  पूरी तरह से देश को विकसित राष्ट्र बनाने में योगदान करने का आह्वान किया और कहा कि इसके लिए अगले 25 वर्ष अत्यंत महत्वपूर्ण है। उन्होंने कहा , “ हमें इन वर्षों में पंच प्रण पर अपनी शक्ति को केंद्रित करना होगा, अपने सामर्थ्य को केंद्रित करना हो और हमें उन पंच प्रणों को लेकर 2047 तक आजादी के दीवानों के सारे सपनों को पूरा करने की जिम्मेदारी उठा कर चलना होगा। ”

पीएम मोदी के पांच प्रण-

  • पहलाः बड़ा संकल्प और प्रण भारत को पूरी तरह  विकसित राष्ट्र बनाने का लेना होगा। ऐसा विकसित राष्ट्र जो सभी कसौटियों पर खरा उतरे तथा जिसके केन्द्र में मानवता हो।
  • दूसरा प्रणः हमारे मन के भीतर यदि गुलामी का कोई भी अंश है तो उसे जड़ से खत्म करना होगा, उससे मुक्ति पानी होगी।
  • तीसरा प्रणः  हमें अपनी विरासत पर गर्व करने का लेना होगा।
  • चौथा प्रणः देश में एकता और एकजुटता को बढ़ावा देना का।
  • पांचवां प्रण यह है कि सभी नागरिक अपने कर्तव्यों का निर्वहन करें।

उन्होंने कहा कि जब समाज आकांक्षाओं वाला होता है तो सरकारों को भी तलवारों की धार पर चलना होता है,  क्योंकि हर सरकार को जनता की आस्था-आकांक्षाओं का समाधान करना ही होगा।   मोदी ने कहा कि कुछ लोगों को इससे कष्ट हो सकता है लेकिन सरकार को इसे पूरा करना होगा।
उन्होंने कहा, “ आजादी के अमृत काल के प्रथम दिन देख रहा हूं कि भारत का जनमानस आकांक्षाओं से भरा हुआ है। हर आदमी चीजों को बदलते देखना चाहता है और वह यह परिवर्तन अपने आंखों से देखना चाहता है। ” 

प्रधानमंत्री ने भ्रष्टाचार और भाई-भतीजावाद तथा परिवारवाद को देश के सामने दो बड़ी चुनौती करार देते हुए आज कहा कि यह स्थिति अच्छी नहीं है और इनके खिलाफ पूरी ताकत से लड़ना होगा। श्री मोदी ने  कहा,“ देश के सामने दो बड़ी चुनौतियां हैं। पहली चुनौती – भ्रष्टाचार , दूसरी चुनौती – भाई-भतीजावाद, परिवारवाद। एक तरफ वो लोग हैं जिनके पास रहने के लिए जगह नहीं है और दूसरी तरफ वो लोग हैं जिनके पास चोरी किया माल रखने की जगह नहीं है। ये स्थिति अच्छी नहीं है। हमें इनके खिलाफ पूरी ताकत से लड़ना होगा और देश को योग्यता के आधार पर आगे बढ़ाना होगा। ”

उन्होंने कहा कि सरकार यह कोशिश कर रही है कि जिन्होंने देश को लूटा है वह इसकी भरपायी भी करे। उन्होंने कहा, “भ्रष्टाचार देश को दीमक की तरह खोखला कर रहा है, उससे देश को लड़ना ही होगा। हमारी कोशिश है कि जिन्होंने देश को लूटा है, उनको लौटाना भी पड़े, हम इसकी कोशिश कर रहे हैं।”

देश में ज्यादातर संस्थानों में परिवारवाद हावी रहने का उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा,“ जब मैं भाई-भतीजावाद और परिवारवाद की बात करता हूं, तो लोगों को लगता है कि मैं सिर्फ राजनीति की बात कर रहा हूं। जी नहीं, दुर्भाग्य से राजनीतिक क्षेत्र की उस बुराई ने हिंदुस्तान के हर संस्थान में परिवारवाद को पोषित कर दिया है।”

उन्होंने कहा,“जब तक भ्रष्टाचार और भ्रष्टाचारी के प्रति नफरत का भाव पैदा नहीं  होता, सामाजिक रूप से उसे नीचा देखने के लिए मजबूर नहीं करते, तब तक ये मानसिकता खत्म नहीं होने वाली है।”

प्रधानमंत्री  ने स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर कहा कि राष्ट्र की समृद्धि के लिए नारी शक्ति का अपमान नहीं करने और उसे गौरव के साथ अवसर देकर विकास प्रक्रिया से जोड़ने से राष्ट्र की प्रगति को गति मिलेगी ।

मोदी ने कहा , “नारी शक्ति को गौरव और सम्मान देकर यदि इस प्रक्रिया से जोड़ा जाता है तो देश की आजादी के 100 वर्ष यानी अगले 25 साल के इस ‘अमृतकाल’ में राष्ट्र की प्रगति को इससे और पंख लगेंगे।’’  उन्होंने  नारी अपमान के प्रति अपने भीतर का दर्द व्यक्त करते  हुए देशवासियों से नारी का अपमान न करने का संकल्प लेने का आह्वान किया और कहा, “किसी न किसी कारण हमारे अंदर ऐसी विकृति आई है जिसमें हम अपने शब्दों से, व्यवहार से नारी का अपमान करते हैं। इस विकृति से समाज को मुक्त करने के लिए हमें अपने स्वभाव और कर्म से नारी का अपमान करने से मुक्ति लेने का संकल्प लेना चाहिए। ”

प्रधानमंत्री ने इसी संदर्भ में नागरिक कर्तव्य का भी उल्लेख किया और इसे बहुत बड़ी शक्ति करार दिया। उनका कहना था कि अनुशासित जीवन, कर्तव्य के प्रति समर्पण किसी भी देश को प्रगति पथ पर ले जाने का बड़ा मंत्र है। उन्होंने कहा कि सरकार का काम देश के लोगों को बिजली उपलब्ध कराना है, लेकिन नागरिक का कर्तव्य बिजली की एक-एक  यूनिट को बचाने का प्रयास करना है। इसी तरह से सरकार का काम हर घर जल उपलब्ध कराना है। जल की बर्बादी नहीं हो, यह देश के नागरिक का कर्तव्य है।

उन्होंने कहा जिस देश के नागरिक इन कर्तव्यों का पालन करते हैं, वह देश निश्चित रूप से प्रगति के शिखर पर पहुंचता है।

प्रधानमंत्री मोदी ने आजादी के लिए अपना सर्वस्व न्यौछावर करने वाले अनेक बलिदानियों, सत्याग्रहियों , स्वतंत्रता सेनानियों और त्यागियों को याद करते हुए सोमवार को कहा कि 75 वर्ष की इस यात्रा में देश सफलता और असफलताओं के उतार-चढ़ाव के बावजूद निरंतर आगे बढ़ता रहा है। उन्होंने कहा, “हमने क्या नहीं देखा। हमने खाद्य संकट का सामना किया, लड़ाइयां लड़ी, आतंकवाद की चुनौती झेली, निर्दोष नागरिकों की मौत हुई , छद्म युद्ध को झेला और प्राकृतिक आपदाओं का सामना किया। ”

उन्होंने कहा, “ भारत की विविधता ही उसकी सबसे बड़ी शक्ति है। भारत लोकतंत्र की जननी और यही उसका सबसे बड़ा सामर्थ्य है।  हमें अपने ऊपर गर्व होना चाहिए, हम जैसे हैं, अपने संकल्प और सामर्थ्य से चलेंगे, हमें अपने देश की भाषा पर गर्व होना चाहिए भाषाओं पर गर्व होना चाहिए। ”

प्रधानमंत्री ने कहा, “देश को विकसित बनाने का संकल्प लेने का आह्वान करते हुए कहा कि हमें गुलामी के अहसास को समाप्त कर अपनी विरासत पर गर्व करना चाहिए। ” उन्होंने कोविड टीकाकरण, जैविक ईंधन, डिजिटल लेनदेन, वस्तुओं के विनिर्माण के क्षेत्र में आत्मनिर्भरता की ओर प्रगति का उल्लेख करते हुए कहा कि सरकार को हर क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में ले जाने का संकल्प पूरा करना होगा।

उन्होंने देश को अपनी विरासत और पुरानी जीवन पद्धति पर गर्व करने का आह्वान करते हुए कहा, “  हॉलिस्टिक हेल्थ पर दुनिया में चर्चा होती है, तो लोग भारत के योग आयुर्वेद और जीवन पद्धति को याद करते हैं, हम वह लोग हैं ,जो प्रकृति के साथ जीवन जीना चाहते हैं, ग्लोबल वार्निंग के समाधान का रास्ता हमारी विरासत में मिलता है।  मोटे अनाज हमारे ध्यान हमारी विरासत रहे हैं, आज दुनिया में वर्ल्ड मिल्क डे मनाया जा रहा है, हमारे पारिवारिक संस्कार विश्व में सामाजिक और व्यक्तिगत चुनाव का समाधान प्रस्तुत करने वाले हैं। ”

प्रधानमंत्री ने कहा कि आजादी के इतने दशकों बाद पूरे विश्व का भारत की तरफ देखने का नजरिया बदल चुका है। विश्व, भारत की तरफ गर्व और अपेक्षा से देख रहा है। समस्याओं का समाधान भारत की धरती पर, दुनिया खोजने लगी है। उन्होंने कहा, “ आज विश्व पर्यावरण की समस्या से जूझ रहा है। ग्लोबल वार्मिंग की समस्याओं के समाधान का रास्ता हमारे पास है। इसके लिए हमारे पास वह विरासत है, जो हमारे पूर्वजों ने हमें दी है। ”

प्रधानमंत्री ने देश को आत्मनिर्भर बनाने और विभिन्न क्षेत्रों में आयात पर निर्भरता कम करने के लिए अनुसंधान को बढ़ावा देने के उद्देश्य से आज ‘जय अनुसंधान’ का नया नारा दिया।

उन्होंने कहा, “  हमारा प्रयास है कि देश के युवाओं को असीम अंतरिक्ष से लेकर समंदर की गहराई तक अनुसंधान के लिए भरपूर मदद मिले। इसलिए हम स्पेस मिशन का, डीप ओसियन मिशन का विस्तार कर रहे हैं। स्पेस और समंदर की गहराई में ही हमारे भविष्य के लिए जरूरी समाधान है। ”

मोदी ने कहा, “जय जवान, जय किसान, का लाल बहादुर शास्त्री जी का मंत्र आज भी देश के लिए प्रेरणादायक है। पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी जी ने जय विज्ञान कह कर उसमें एक कड़ी जोड़ दी थी, लेकिन अब अमृत काल के लिए एक और अनिवार्यता है- वह है जय अनुसंधान। जय जवान, जय किसान, जय विज्ञान, जय अनुसंधान।”

उन्होंने कहा कि देश में स्वदेशी उत्पादों के बारे में जैसे-जैसे जागरुकता बढ़ रही है, बच्चों में भी स्वदेशी खिलौनों की चाहत बढ़ रही है। बच्चे आयातित खिलौनों से खेलने से मना कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि सरकार की योजनाओं के तहत विदेशी कंपनियां भारत में आ रही हैं और निवेश के साथ-साथ नयी प्रौद्योगिकी ला रही हैं, जिससे रोजगार के अवसर बढ़ रहे हैं और साथ ही देश विनिर्माण का गढ़ बन रहा है। उन्होंने कहा, “ आज जब हम दुनिया को ब्रह्मोस की आपूर्ति करते हैं तो हर भारतीय को इस पर गर्व होता है। ” 

उन्होंने प्राकृतिक और रसायन मुक्त खेती पर बल देते हुए कहा कि यह भी आत्मनिर्भर भारत अभियान में सहायक है। श्री मोदी ने अपने भाषण में सौर ऊर्जा और पेट्रोल आयात पर निर्भरता कम करने के लिए जैव ईंधन के लक्ष्य की दिशा में प्रगति का भी जिक्र किया और कहा कि इन क्षेत्रों में देश ने निर्धारित लक्ष्यों को समय से पहले प्राप्त किया है।

उन्होंने कहा जब दुनिया कोविड-19 वैक्सीन को लेकर दुविधा में थी उस समय भारत ने अपने लोगों के सहयोग से 200 करोड़ डोज वैक्सीन का लक्ष्य पूरा किया है।

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