दिल्लीः आज विश्व अंगदान दिवस है। प्रतिवर्ष 13 अगस्त को विश्व अंगदान दिवस मनाया जाता है। जिसका उद्देश्य लोगों को अंगदान के प्रति जागरुक करना और प्रेरित करना है। अंगदान दिवस दुनिया भर में अंग दान के बारे में जागरूकता को बढ़ावा देने और लोगों को इसके प्रति प्रेरित करने के लिए मनाया जाता है।
आज चिकित्सा विज्ञान ने बहुत प्रगति की है। आज हमारे पास आधुनिक दुनिया में अंग प्रत्यारोपण के माध्यम से जीवन बचाने की क्षमता है और अभी दुनिया भर में हजारों लोग हैं और जो अंग प्रत्यारोपण की प्रतीक्षा कर रहे हैं।वैश्विक अंग की कमी को पूरा करने, ज़रूरतमंदों की सहायता करने के लिए और आम जनता को प्रोत्साहित करने के लिए पूरे विश्व में इसे मनाया जाता है।
यह बातें अंगदान दिवस की पूर्व संध्या पर बीआरडी मेडिकल कॉलेज गोरखपुर की एनाटॉमी विभाग की विभागाध्यक्ष डॉ बिंदु सिंह ने साक्षात्कार के दौरान कहा कि अंग दान के लिए समाज में जागरूकता की जरूरत है। आज आधुनिक चिकित्सा विज्ञान बहुत कम समय में बहुत तेज़ी से विकसित हुआ है।
अंग प्रत्यारोपण के इतिहास को देखें तो पहली बार सफल जीवित दाता अंग प्रत्यारोपण 1954 में संयुक्त राज्य अमेरिका में हुआ था। डॉ जोसेफ मरे ने 1990 में जुड़वां भाइयों रोनाल्ड और रिचर्ड हेरिक के बीच गुर्दा प्रत्यारोपण को सफलतापूर्वक करने के लिए फिजियोलॉजी और मेडिसिन में नोबल पुरस्कार जीता था।
मध्यकाल में भी मानव इतिहास के ऐसे कई वृत्तांत थे जहां हमें अंग प्रत्यारोपण का उल्लेख मिलता है।लेकिन इस बारे में कोई सबूत नहीं है कि वे सफल रहे या नहीं। आज के चिकित्सा विज्ञान ने सुरक्षित रुप अंग प्रत्यारोपण के तरीकों को खोज लिया है। जिसके कारण आज दुनिया भर में हजारों लोगों की जान बचाने में मदद की है। मानव शरीर अंगदान दो तरह का होता है। एक, जीवित अंगदान और दूसरा मृतक अंगदान। जीवित अंगदान में कोई जीवित व्यक्ति किडनी और पैंक्रियाज का कुछ हिस्सा दान कर सकता है। मृतक अंगदान में मृत व्यक्ति अपने कई अंग दान कर सकता है।यह प्रक्रिया अक्सर ब्रेन डेड लोगों के लिए अपनाई जाती है।
अंगदान में 8 अंग शामिल हैं जिन्हें दान किया जाता है। मृत व्यक्ति का किडनी, लीवर, फेफड़ा, ह्रदय, पैंक्रियाज और आंत दान में दिया जा सकता है। साल 2014 में इस सूची में हाथ और चेहरे को भी शामिल कर दिया गया। कोई जिंदा व्यक्ति चाहे तो वह एक किडनी, एक फेफड़ा, लीवर का कुछ हिस्सा, पैंक्रियास और आंत का कुछ हिस्सा दान कर सकता है।
आज दुनिया में हमने इंसानों की मदद के लिए अंग प्रत्यारोपण के सभी तरीके खोज लिए हैं। लेकिन फिर भी लोग पीड़ित हैं क्योंकि अधिकांश रोगियों को प्रत्यारोपण के लिए अंगों की सख्त जरूरत होती है। लेकिन दुनिया में अंग दाता की अत्यंत कमी हैं और जिसके कारण दुनिया में अधिकांश रोगी अंगों की कमी के कारण पीड़ित हैं। अंग प्रत्यारोपण के लिए हमें अन्य व्यक्तियों के कार्यात्मक अंगों की आवश्यकता होती है और वे व्यक्ति अंग दाता कहलाते हैं। इस प्रकार इस मुद्दे को संबोधित करने के लिए आम जनता के बारे में जागरूकता बढ़ाने और उन्हें अंग दान के प्रति प्रेरित करने के उद्देश्य से विश्व अंग दान दिवस प्रतिवर्ष मनाया जाता है।
अंग दान बहुत कठिन या बलिदान भी नहीं है क्योंकि अधिकांश अंग दाता मृत दाता होते हैं जिसका अर्थ है कि जब आप मरेंगे तो आपके अंग आपके शरीर में अच्छे समय के लिए क्रियाशील रहेंगे और उस दौरान केवल सर्जन ही आपके अंगों को किसी जरूरतमंद व्यक्ति को ट्रांसप्लांट करेंगे।यह एक बहुत अच्छा और नेक काम है लेकिन फिर भी अंगदान करने वाले लोग बहुत कम होते हैं क्योंकि ज्यादातर लोग जागरूकता के अभाव के कारण इसे करने से हिचकिचाते हैं। इसलिए इस दिन का प्राथमिक लक्ष्य लोगों की इस मानसिकता को बदलना और उन्हें अंगदान के लिए प्रोत्साहित करना है।
अब बात भारत की आजादी की लड़ाई की करते हैं। आजादी की लड़ाई में कुर्सेला का गौरवशाली इतिहास रहा है। कुरसेला क्षेत्र के 5 युवकों ने अपनी शहादत देकर भारत माता को पराधीनता की बेड़ी से छुटकारा दिलाने में अपना अहम योगदान दिया था। स्वतंत्रता संग्राम के महानायक राष्ट्रपिता महात्मा गांधी ने 9 अगस्त 1942 को जैसे ही अंग्रेजों भारत छोड़ो का नारा दिया उनके इस आवाज ने देश के साथ-साथ कुर्सेला परी क्षेत्र के युवकों ने भी भारत माता को आजादी दिलाने में बढ़-चढ़कर अपनी जिम्मेदारी निभाई। उनके बलिदानों को याद कर आज भी जिला वासियों के जेहन में देशभक्ति की और प्रेरित करता है।
कुर्सेला क्षेत्र के 5 वीर सपूतों ने अंग्रेजी टॉमी फौजी की बंदूक से निकली गोली से अपने सीना को छलनी कर शहादत दी थी। गांधी जी के आह्वान पर लालाजी मंडल, नाटक परिहार, रमचू यादव, धतूरी मोदी, जागेश्वर महलदार आदि के नेतृत्व में देवीपुर टीकापट्टी एवं रूपौली में 10 से 12 अगस्त को बैठक कर आंदोलन का शंखनाद किया। सिर पर कफन बांध भारत माता के क्रांतिकारी वीर सपूतों ने अंग्रेजों से लोहा लेने निकल पड़े। क्रांतिकारियों ने 13 अगस्त 1942 को देवीपुर के समीप मलियाबाड़ी में इकट्ठा होकर कटिहार बरौनी रेलखंड पर रेल पटरियों को उखाड़कर तहस-नहस कर दिया। रेल पटरी उखाड़ने वाले क्रांतिकारियों पर अंग्रेज टॉमी फौजी ने ताबड़तोड़ गोलियां बरसायी। मौत से बेपरवाह आजादी के मतवालों के कदम आगे बढ़ते गए। अंग्रेजी फौजों द्वारा बरसाई गई गोली से कुर्सेला के पांच वीर सपूत रेल पटरी पर ही शहीद हो गए।
इतिहास के पन्नों से ओझल इन शहीदों के नाम आजादी के कई वर्षों बाद किसान संघ के अथक प्रयास से ढूंढ निकाल कर किसान संघ द्वारा देवीपुर के समीप मलियावारी में कुर्सेला के शहीद हुए 5 वीर सपूतों के गिरे खून के स्थल को शहीद स्थल के रूप में परिवर्तित किया, ताकि क्षेत्र के लोगों को मिले आजादी के पीछे हुए बलिदानों के बारे में मालूम हो सके। आजादी की लड़ाई में शहीद हुए इन वीर सपूतों के याद में प्रतिवर्ष 13 अगस्त को शहीद स्थल देवीपुर और कुर्सेला शहीद चौक पर श्रद्धांजलि अर्पित कर याद किया जाता है। आइए एक नजर डालते हैं देश और दुनिया में 13 अगस्त को घटित हुईं महत्वपूर्ण घटनाओं पर-
1598: फ्रांस के शासक हेनरी चतुर्थ ने नांत का प्रख्यात आदेश जारी किया। इस आदेश के आधार पर प्रोटेस्टेन्ट ईसाइयों को पूर्ण धार्मिक स्वतंत्रता दी गई।
1642: डच खगोलशास्त्री क्रिश्चियन ह्यूगेंस ने मंगल के दक्षिणी ध्रुव की चोटी का पता लगाया।
1645: स्वीडन और डेनमार्क ने शांति समझौते पर हस्ताक्षर किए।
1784: भारत में प्रशासनिक सुधारों के लिए पिट्स इंडिया विधेयक ब्रिटिश संसद में पेश।
1814: दासों के व्यापार को समाप्त करने के लिए ब्रिटेन और हॉलैंड के बीच समझौता।
1892: अमेरिकी समाचार पत्र एफ्रो अमेरिकन का बाल्टीमोर से प्रकाशन शुरू।
1898: जार्ज डेवी के नेतृत्व में अमेरिकी सेना ने फिलिपींस की राजधानी मनीला पर कब्जा किया।
1902: इंग्लैंड ने ऑस्ट्रेलिया को एक विकेट से हराकर ओवल की प्रसिद्ध जीत दर्ज की।
1913: इंग्लैंड के हैरी ब्रेअर्ली शेफील्ड ने स्टेनलेस स्टील का आविष्कार किया।
1951: भारत में निर्मित पहले विमान हिंदुस्तान ट्रेनर 2 ने पहली उड़ान भरी।
1956: लोकसभा में राष्ट्रीय राजमार्ग विधेयक पारित।
1960: अफ्रीका फ्रांस के कब्जे से स्वतंत्र हुआ।
1993: वाशिंगटन में इजरायल एवं फलस्तीन के बीच शांति समझौता।
1993: थाईलैंड के नाखोन रचासिमा में होटल ढह जाने से 114 लोगों की मौत।
1994: अमेरिका और उत्तरी कोरिया के बीच जेनेवा में परमाणु निरस्त्रीकरण के संबंध में ऐतिहासिक सहमति।
1999: लेखिका तसलीमा नसरीन की नई पुस्तक आमार मऐबेला (मेरा बचपन) पर बांग्लादेश सरकार ने प्रतिबंध लगाया।
2008: विश्व की प्रमुख इस्पात कंपनी टाटा स्टील ने वियतनाम में संयुक्त रूप से इस्पात परिसर के निर्माण के लिए वहाँ की दो प्रमुख कंपनियों के साथ समझौता किया।
2008: भारत ने मल्टी-बैरल रॉकेट लॉन्चर (एमबीआरएल) हथियार प्रणाली पिनाक का सफल परीक्षण किया।
2012 : लंदन में 30वें ओलंपिक खेलों का समापन हुआ।
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