दिल्लीः 29 जुलाई 1948 को लंदन में ओलिंपिक खेलों का आयोजन शुरू हुआ था। ये खेल दो वजहों से महत्वपूर्ण थे। पहली- दूसरा विश्वयुद्ध खत्म होने के बाद ये पहला ओलिंपिक था। दूसरी- बतौर आजाद देश भारत पहली बार ओलिंपिक खेलों में शामिल हुआ था। भारत ने लंदन ओलंपिक के10 खेलों के 39 इवेंट में पार्टिसिपेट करने के लिए 79 खिलाड़ियों का दल भेजा था।
भारत को मेडल की सबसे ज्यादा उम्मीद हॉकी में ही थी। इससे पहले 1936 में जर्मनी ओलिंपिक में भारतीय हॉकी टीम ने जर्मनी को ही 8-1 से हराकर गोल्ड जीता था। भारत का हॉकी में लगातार ये तीसरा गोल्ड था, लेकिन इस बार हालात थोड़े अलग थे। 1947 में भारत से एक हिस्सा अलग होकर नया देश बन गया था। 1936 में विजेता टीम का हिस्सा रहे कुछ बढ़िया प्लेयर अब पाकिस्तान की ओर से खेल रहे थे।
दूसरी ओर देश में हालात वैसे ही नाजुक थे। ऐसे में प्लेयर्स का ध्यान इन सबसे हटाने के लिए इंडियन हॉकी फेडरेशन ने फैसला लिया कि प्लेयर्स को बॉम्बे में प्रैक्टिस मैच खिलाए जाएंगे, ताकि प्लेयर्स के बीच बॉन्डिंग बढ़े और वे पूरा फोकस खेल पर ही रखें।
इस प्रैक्टिस सेशन की वजह से हॉकी टीम को ओलिंपिक में पहुंचने में देरी हो सकती थी। हॉकी फेडरेशन के अध्यक्ष रतन टाटा ने फैसला लिया कि भारतीय हॉकी टीम को विमान से लंदन पहुंचाया जाएगा। इसका पूरा खर्च टाटा खुद उठाएंगे। जहाज से जाने के मुकाबले विमान से जाने में काफी कम समय लगता था।
भारत से 15 प्लेयर्स की हॉकी टीम लंदन रवाना हुई। टीम को पूल-A में ऑस्ट्रिया, स्पेन और अर्जेंटीना के साथ रखा गया। भारत ने ऑस्ट्रिया के खिलाफ पहला मैच धमाकेदार तरीके से जीता। एकतरफा मुकाबले में भारत ने ऑस्ट्रिया को 8-0 से हराया।
भारत ने अगले मैच में अर्जेंटीना को 9-1 से हराया। बलबीर सिंह ने अकेले 6 गोल दागे। अगला मैच स्पेन से हुआ। उसे भी भारत ने 2-1 से जीत लिया। भारत अब सेमीफाइनल में पहुंच चुका था, जहां उसका मुकाबला नीदरलैंड से होना था। भारत ने नीदरलैंड को भी हराकर फाइनल में अपनी जगह पक्की कर ली।
आज ही के दिन 1948 में फाइनल खेला गया। भारत का मुकाबला ग्रेट ब्रिटेन से था। भारत के पास गुलामी की टीस मिटाने के लिए ये बेहतर मौका था। बलबीर सिंह के 2 गोल की मदद से भारत ने एकतरफा मुकाबले में ब्रिटेन को 4-0 से हरा दिया। इसके साथ ही भारत ने ओलंपिक गेम्स में लगातार चौथी बार गोल्ड मेडल जीत लिया। ब्रिटेन की धरती पर पहली बार भारत का तिरंगा शान से लहरा रहा था।
अब बात पहले पर्सनल कम्प्यूटर की करते हैं। आज ही के दिन 1981 में दिग्गज टेक कंपनी इंटरनेशनल बिजनेस मशीन (IBM) ने अपना पहला पर्सनल कम्प्यूटर लॉन्च किया था। 1565 डॉलर कीमत के इस कम्प्यूटर ने होम कम्प्यूटर मार्केट में क्रांति ला दी थी।
दरअसल 1980 से पहले IBM मिनी और मेनफ्रेम कम्प्यूटर बनाता था, जो काफी महंगे होने के साथ-साथ भारी-भरकम भी हुआ करते थे। इन्हें एक जगह से दूसरी जगह ले जाना बेहद कठिन था।
कंपनी के पास होम कम्प्यूटर के लिए भी इन्क्वायरी आने लगी। 1980 में कंपनी ने लैब डायरेक्टर बिल लोवे को पर्सनल कम्प्यूटर बनाने का जिम्मा सौंपा। बिल ने एक टास्क फोर्स बनाई जिसका काम कम्प्यूटर की जरूरत से जुड़ी ग्राउंड रिसर्च करना था। इस टास्क फोर्स ने कहा कि आम लोगों के बीच पर्सनल कम्प्यूटर का कोई काम नहीं है, लेकिन बिल जानते थे कि कम्प्यूटर धीरे-धीरे हर घर की जरूरत बन जाएगा।
उन्होंने न्यूयॉर्क में IBM के एग्जीक्यूटिव्स के साथ एक मीटिंग में वादा कर दिया कि एक साल के भीतर हम कम्प्यूटर तैयार कर देंगे। कंपनी ने प्रोजेक्ट को हरी झंडी दे दी। बिल ने 12 लोगों की एक टीम बनाई। इसका काम हार्डवेयर, सॉफ्टवेयर, सेल्स और मार्केटिंग से जुड़े सभी काम करना था।
टीम दिन-रात प्रोजेक्ट में लगी रही। बिल ने अपना वादा पूरा किया। एक साल के भीतर ही IBM का पहला पर्सनल कम्प्यूटर तैयार था। 12 अगस्त 1981 को इसे मार्केट में लॉन्च किया गया। कम्प्यूटर को नाम दिया गया- IBM 5150।
1565 डॉलर के इस कम्प्यूटर में एक मेन सिस्टम यूनिट, एक कीबोर्ड, मॉनिटर, प्रिंटर और मेमोरी कार्ड साथ आता था।
थॉमस अल्वा एडिसन एक ऐसा नाम, जिसके नाम 1 हजार से भी ज्यादा पेटेंट है, लेकिन आज के दिन उन्होंने फोनोग्राफ बनाया था। आपको बता दें कि फोनोग्राफ को एडिसन के सबसे महत्वपूर्ण आविष्कारों में से एक माना जाता है। फोनोग्राफ ऐसा डिवाइस था, जिसमें साउंड रिकॉर्ड कर दोबारा सुना जा सकता था। बाद में इसे ग्रामोफोन और रिकॉर्ड प्लेयर कहा जाने लगा।
दरअसल एडिसन अपने टेलीग्राफ और टेलीफोन को और बेहतर बनाने पर काम कर रहे थे। तभी उन्होंने देखा कि तेज स्पीड से चलाए जाने पर मशीन में से बोले गए शब्दों जैसी आवाज आ रही थी। उन्हें आइडिया आया कि इस तरह तो टेलीफोन मैसेज को रिकॉर्ड किया जा सकता है। एडिसन काम पर लग गए। उन्होंने एक सिलेंड्रिकल ग्रामोफोन बनाया जिसमें एक सूई के जरिए मैसेज रिकॉर्ड किया जा सकता था। बाद में उन्होंने सूई की जगह स्टाइलस को लगाया।
एडिसन ने इस डिवाइस के सामने बच्चों की मशहूर कविता “Mary had a little lamb” गाई। डिवाइस ने इसे बखूबी रिकॉर्ड कर लिया। यह पहला मौका था, जब आवाज को तरंगों के रूप में रिकॉर्ड करने में कामयाबी मिली थी। आइए एक नजर डालते हैं देश और दुनिया में 12 अगस्त को घटित हुईं महत्वपूर्ण घटनाओं पर-
1765: इलाहाबाद संधि के तहत भारत में ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी के शासन की शुरुआत।
1831: नीदरलैंड और बेल्जियम ने शांति समझौते पर हस्ताक्षर किए।
1833: अमेरिका में शिकागो शहर की स्थापना।
1851: आइजैक मेरिट सिंगर ने सिलाई मशीन का पेटेंट करवाया।
1908: हेनरी फोर्ड की कार कंपनी ने पहला कार मॉडल बनाया।
1914: प्रथम विश्व युद्ध के दौरान ब्रिटेन ने ऑस्ट्रिया-हंगरी पर हमले का ऐलान किया।
1919: भारतीय अंतरिक्ष कार्यक्रम के जनक वैज्ञानिक विक्रम साराभाई का जन्म।
1920: पोलैंड और रूस के बीच वारसॉ की लड़ाई शुरू हुई।
1953: यूनान के लोनियन द्वीप में भूकंप से 435 लोगों की जानें गई।
1953: सोवियत संघ ने अपने पहले हाइड्रोजन बम का परीक्षण किया।
1960: नासा ने अपना पहला सफल संचार उपग्रह ईको-ए प्रक्षेपित किया।
1961: ईस्ट जर्मन कम्युनिस्ट पार्टी ने बर्लिन की दीवार का निर्माण शुरू करने का आदेश दिया।
1964 :दक्षिण अफ्रीका को ओलंपिक खेलों से प्रतिबंधित कर दिया गया।
1971: सीरिया ने जॉर्डन से राजनयिक संबंध तोड़ा।
1980: मैक्सिको के चिड़ियाघर में एक पांडा का जन्म हुआ। ये पहली बार हुआ था जब चीन से बाहर किसी पांडा का जन्म हुआ था।
1981: आईबीएम ने अपना पहला पर्सनल कंप्यूटर पेश किया। इसकी कीमत 16 हजार डॉलर रखी गई थी।
1994: कांगो गणराज्य की राजधानी ब्राजविल्ले में एक चर्च में भगदड़ मची, 142 लोग मारे गये।
2004: फ्रांस के मशहूर स्ट्राइकर जिनेदिन जिदान ने अंतर्राष्ट्रीय फ़ुटबाल से संन्यास लिया।
2006: यूरोपीय प्रक्षेपण यान एरियन-5 ने जापान के संचार उपग्रह और फ्रांस के एक सैन्य उपकरण को सफलतापूर्वक अंतरिक्ष की कक्षा में स्थापित किया।
2008: आमिर ख़ान को उनकी फ़िल्म ‘तारे ज़मीं पर’ के लिए गोलापुड़ी श्रीनिवास मेमोरियल अवार्ड प्रदान किया गया।
2012: 30वें ओलंपिक खेलों का लंदन में समापन।
2015: चीन के उत्तरी शहर तियांजिन में हुए धमाकों में 50 लोगों की मौत और कम से कम 700 घायल।
2018: नासा ने पार्कर सोलर प्रोब लॉन्च किया। इसका उद्देश्य सूर्य की आउटर लेयर का अध्ययन करना है।
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