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छू मंतर हो जाएंगे गठिया-डायबिटीज और यौन रोग, 10 बीमारियों का रामवाण हैं दो दो योगासन, जानिए करने के तरीके - Prakhar Prahari
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छू मंतर हो जाएंगे गठिया-डायबिटीज और यौन रोग, 10 बीमारियों का रामवाण हैं दो दो योगासन, जानिए करने के तरीके

दिल्लीः शरीर में लचीलेपन लाने और ताकत वृद्धि करने का योग एक शानदार तरीका है, जिसे लगभग हर कोई इसे कर सकता है। यह केवल उन लोगों के लिए नहीं है, जो अपने पैर की उंगलियों को छू सकते हैं या ध्यान करना चाहते हैं। योग आपकी मांसपेशियों को खींचकर काम करता है। यह आपको बेहतर तरीके से आगे बढ़ने में मदद कर सकता है। कुछ तरह के योगासन का अभ्यास करने से आपको मांसपेशियों को बढ़ावा देने और सुधार करने में मदद मिलेगी।

आपको बता दें कि योगासन कई तरीके के होते हैं और सबके अपने-अपने लाभ होते हैं। योग करने से शरीर को अंदर और बाहर से मजबूत बनाने में मदद मिलती है। यह शारीरिक स्वास्थ्य के साथ-साथ मानसिक स्वास्थ्य में भी सुधार करता है। आज हम आपको दो ऐसे योग के बारे में बताने जा रहे हैं, जिनका रोजाना अभ्यास करने से आपको अनगिनत फायदे हो सकते हैं। इन दो योगासनों में से एक है गोमुखासन तथा दूसरा योग। तो चलिए अब हम आपको इसके करने की विधि और फायदों के बारे में बताने जा रहे हैं।

गोमुखासन- यह आसन आपके पूरे शरीर को फैलाता है। आपके कंधे और हाथ, आपकी टखनों, कूल्हों, जांघों और पीठ पर काम करता है। इस मुद्रा में मुड़े हुए पैर गाय के मुंह के समान होते हैं और कोहनी गाय के कान का आकार बनाती है।

कैसे करें-गोमुखासन के लिये दंडासन में बैठकर बायें पैर को मोड़कर एड़ी को दायें नितम्ब के पास रखें अथवा एड़ी पर बैठ भी सकते हैं, दायें पैर को मोड़कर बायें पैर के ऊपर इस प्रकार रखें की दोनों घुटने एक दूसरे से स्पर्श करते हों, अब जो पैर ऊपर है, उसी हाथ को ऊपर से एवं नीचे वाले पैर की ओर के हाथ को पीछे कमर की ओर से ले जाकर आपस में अंगुलियां फंसाकर खींचे, कोहनियां एवं गर्दन व सिर सीधे रहेंगे, एक ओर से करने के बाद पुनः दूसरी और से भी करें। इस संपूर्ण क्रिया को गोमुखासन कहते हैं।

फायदे- यह आसन हाइड्रोसिल (अंडकोष वृद्धि) एवं यौन-रोगों में विशेष लाभप्रद है, स्त्री-रोगों, सन्धिवात एवं गठिया में भी यह आसन उपयोगी है तथा लीवर, गुर्दे एवं छाती को पुष्ट करता है।

वक्रासन- वक्रासन अर्धमत्स्येन्द्रासन का स्पष्ट रूप है। अर्धमत्स्येन्द्रासन को आधा रीढ़ की हड्डी मोड़ मुद्रा के रूप में जाना जाता है। वक्रासन में रीढ़ की हड्डी के क्षेत्र में घुमाव देखा जाता है। यह शुरुआती लोगों के लिए एक सरल योग है। यह रीढ़ की हड्डी और पेट के निचले हिस्से में पर्याप्त खिंचाव और मोड़ प्रदान करता है।

कैसे करें- वक्रासन करने लिये दंडासन में बैठकर दायां पैर मोड़कर बायीं जांघ के पास घुटने से सटाकर रखें (अथवा घुटने के ऊपर से दूसरी ओर भी रख सकते हैं ) बायां पैर सीधा रहेगा, बायें हाथ को दायें पैर और उदर के बीच से लाकर दायें पैर के पंजे के पास टिका दें, दायें हाथ को कमर के पीछे भूमि पर सीधा रखकर गर्दन को घूमाकर दायी ओर कंधे के ऊपर से मोड़ कर पीछे की ओर देखे, इसी प्रकार दूसरी ओर से भी अभ्यास करें, इसका 4 से 6 बार अभ्यास कर सकते हैं।

फायदे- वक्रासन कमर व कूल्हों को चर्बी को कम करता है, मधुमेह या डायबिटीज, यकृत, तिल्ली के लिए विशेष लाभप्रद है और कमर-दर्द के लिए बहुत उपयोगी आसन है।

Shobha Ojha

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