दिल्लीः हवाई सफर करने वालों के लिए खुशखबरी है। एयरलाइंस अब बिना किसी प्रतिबंध के टिकट का प्राइस तय कर सकेंगी। सरकार कोरोना महामारी के दौरान लगाए एयर फेयर कैप को पूरी तरह से हटाने जा रही है। यानी एयर फेयर की ऊपरी और निचली दोनों लिमिट को हटाया जा रहा है। यह 31 अगस्त से लागू होगा। सरकार के इस फैसले से विमानों के टिकट सस्ते होंगे।
आपको बता दें कि फेयर कैप वर्तमान में 15 दिनों के साइकिल में रोलिंग बेसिस पर लागू है। यानी एयरलाइंस बुकिंग की तारीख से 15 दिनों की अवधि के बाद की टिकटों की कीमतें निर्धारित करने के लिए स्वतंत्र हैं।
चलिए अब आपको इसके बारे में विस्तार से बताते हैं। अगर किसी व्यक्ति को 15 अगस्त यानी आज से 5 दिन बाद अहमदाबाद से मुंबई जाना है तो उसे अकासा एयर की फ्लाइट के लिए करीब 4200 रुपए चुकाने होंगे। टिकट का ये रेट आज की तारीख से 14 दिनों तक लगभग इतना ही है।
लेकिन जैसे ही आप 25 तारीख (15वें दिन) का किराया देखेंगे तो ये लगभग आधा है। यानी 2100 रुपए में आपको टिकट मिल जाएगा। यानी एयरलाइन ग्राहकों को सस्ता टिकट ऑफर करना चाहती है, लेकिन प्राइस कैप के कारण वह ऐसा नहीं कर पा रही। उसे इसके लिए 15 दिनों का इंतजार करना पड़ता है।
एयरलाइंस से एयरफेयर कैप हटाने के फैसले से इंडिगो, स्पाइसजेट, एयर इंडिया, विस्तारा और नई एयरलाइन अकासा सहित अन्य को राहत मिलेगी। दरअसल, भारत डोमेस्टिक एयर ट्रैवल में स्ट्रॉन्ग रिबाउंड देख रहा है। यात्रियों की संख्या पूर्व-कोविड स्तरों को छू रही है।
इससे एयरलाइंस का रेवेन्यू बढ़ रहा है। एविएशन एक्सपर्ट विनम्र लोंगानी ने इसे यात्रियों के लिए पॉजिटिव बताया। पैसेंजर संख्या बढ़ाने के लिए एयरलाइन टिकटों में छूट दे सकती हैं।
नागर विमानन मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने कहा, “एयर टर्बाइन फ्यूल की डेली डिमांड और कीमतों का सावधानीपूर्वक एनालिसिस करने के बाद हवाई किराया कैप हटाने का निर्णय लिया गया है। कोरोना महामारी के कम होने के बाद से ही एयरलाइन्स डोमेस्टिक एयर फेयर के लिए प्राइस बैंड को हटाने की मांग कर रही थी।“ उधर, एयरलाइन्स का कहना था कि प्राइस कैप डोमेस्टिक एयर ट्रैफिक की फुल फ्लेज्ड रिकवरी के लिए हर्डल की तरह है।
वैश्विक महामारी कोरोना वायरस के कारण दो महीने के लॉकडाउन के बाद 25 मई 2020 को सर्विसेज फिर से शुरू होने पर एविएशन मिनिस्ट्री ने फ्लाइट ड्यूरेशन के आधार पर एयर फेयर पर लोअर और अपर लिमिट लगा दी थी। ट्रैवल रेस्ट्रिक्शन के कारण आर्थिक रूप से संघर्ष कर रही एयरलाइनों की मदद करेने के लिए लोअर फेयर बैंड लाया गया था। अपर लिमिट इसलिए लगाई गई थी ताकि सीटों की मांग अधिक होने पर यात्रियों से ज्यादा किराया न वसूला जाए।
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