श्रीहरिकोटाः इसरो (ISRO) यानी भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन ने रविवार एक और कामयाबी हासिल की। इसरो ने सुबह 9.18 बजे आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा में सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र (SDSC) से अपना पहला नया रॉकेट स्मॉल सैटेलाइट लॉन्च व्हीकल (SSLV) D1 लॉन्च किया। आपको बता दें कि इस रॉकेट के साथ आजादीसेट सैटेलाइट भेजा गया है। इसके 75 पेलोड देशभर के 75 ग्रामीण सरकारी विद्यालयों के 750 छात्र-छात्राओं ने बनाए हैं। इन्हें डिजाइन करने वाली लड़कियां भी लॉन्च के समय श्रीहरिकोटा में मौजूद रहीं।
इसरो ने बताया कि रॉकेट ने दोनों सैटेलाइट्स को उनकी निर्धारित कक्षा में पहुंचा दिया, लेकिन उसके बाद सैटेलाइट्स से डेटा मिलना बंद हो गया। इसरो प्रमुख एस. सोमनाथ ने कहा कि इसरो मिशन कंट्रोल सेंटर लगातार डेटा लिंक हासिल करने का प्रयास कर रहा है। आपको बता दें कि EOS02 एक अर्थ ऑब्जरवेशन सैटेलाइट हैं, जो 10 महीने के लिए अंतरिक्ष में काम करेगा। इसका वजन 142 किलोग्राम है। इसमें मिड और लॉन्ग वेवलेंथ इंफ्रारेड कैमरा लगा है। इसका रेजोल्यूशन 6 मीटर है। ये रात में भी निगरानी कर सकता है।
इस रॉकेट के जरिए आजादी का अमृत महोत्सव के उत्सव में स्पेसकिड्ज इंडिया नाम की स्पेस एजेंसी का स्टूडेंट सैटेलाइट आजादीसैट भी भेजा गया है। आपको बता दें कि आजादीसैट एक सह-यात्री उपग्रह है। तेलंगाना के सेंट फ्रांसिस गर्ल्स हाई स्कूल, की एक छात्रा श्रेया ने बताया कि हमारे स्कूल के तीन समूहों ने इस SSLV लॉन्च में भाग लिया है। मुझे बहुत खुशी है कि हमें यह अवसर मिला। हमने वास्तव में इस पर कड़ी मेहनत की और आज हम करेंगे आजादीसैट उपग्रह के प्रक्षेपण के गवाह बनें।
आपको बता दें कि यह देश का पहला स्मॉल सैटेलाइट लॉन्च व्हीकल है। इससे पहले छोटे उपग्रह सुन सिंक्रोनस ऑर्बिट तक के लिए हम PSLV पर निर्भर थे। PSLV को लॉन्च पैड तक लाने और असेंबल करने में दो से तीन महीनों का वक्त लगता है, जबकि SSLV सिर्फ 24 से 72 घंटों के भीतर असेंबल किया जा सकता है। इससे पैसों और समय दोनों की बचत होगी।
दो सैटेलाइट लॉन्च हुए
- इसरो द्वपारा लॉन्च EOS- 02: SSLV से प्रायोरिटी सैटेलाइट है। यह नई तकनीक और इंफ्रारेड कैमरा से लैस है, जो मैपिंग, फॉरेस्ट्री, एग्रीकल्चर, जियोलॉजी और हाइड्रोलॉजी जैसे यूटीलिटी फील्ड में काम करेगा। यह डिफेंस सेक्टर के यूज में भी लिया जाएगा।
- आजादी सैट: इसे EOS 02 के मिशन से अगल करने के बाद इसे इसकी कक्षा में स्थापित किया जाएगा। स्वतंत्रता दिवस से ठीक पहले इस आजादी सैट को ग्रामीण क्षेत्र के छात्रों द्वारा वैज्ञानिकों की निगरानी में तैयार कराया गया है। ये स्टूडेंट्स स्पेस किड्स इंडिया से जुड़े हैं। इसमें 50 ग्राम वजन वाले 75 पेलोड हैं।