Old compass on vintage map with rope closeup. Retro stale

दिल्लीः ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी भारत में व्यापार के लिए आई थी, लेकिन मुगल साम्राज्य को कमजोर होता देख कंपनी का लालच बढ़ता गया। कंपनी ने भारत की अलग-अलग रियासतों को अपने कब्जे में कर लिया। कंपनी का उद्देश्य ज्यादा से ज्यादा मुनाफा कमाना था, इसलिए उसने भारतीयों पर कई जुल्म किए। इसके चलते मजदूरों और किसानों की हालत लगातार खराब होने लगी।

कंपनी की इन नीतियों की वजह से भारतीयों में असंतोष पनप रहा था। ये असंतोष बड़े पैमाने पर पहली बार 1857 में सामने आया। मेरठ से शुरू हुआ ये विद्रोह जल्द ही देश के अलग-अलग हिस्सों में फैल गया और इसने ईस्ट इंडिया कंपनी की नींव हिला कर रख दी। पहली बार ईस्ट इंडिया कंपनी के खिलाफ इतना बड़ा विद्रोह हुआ था।

इसके साथ ही ब्रिटेन का एक सुधारवादी तबका भी ये मांग कर रहा था कि भारत जैसे विशाल देश का शासन ईस्ट इंडिया जैसी एक शुद्ध व्यापारिक संस्था के हाथों में नहीं सौंपा जाना चाहिए। कंपनी में भ्रष्टाचार अपने चरम पर पहुंच गया था, जिससे ब्रिटेन की सरकार को भारत से आर्थिक लाभ नहीं मिल पा रहा था।

इन सभी कारणों से ब्रिटेन पर भारत का शासन सीधे अपने कंट्रोल में लेने का दबाव बढ़ने लगा। इसी के मद्देनजर 2 अगस्त 1858 को ब्रिटिश संसद ने एक एक्ट पारित किया। इसे भारत सरकार अधिनियम 1858 नाम दिया गया।

इसके तहत भारत का शासन ब्रिटिश क्राउन के हाथों में चला गया और भारत के ऊपर इंग्लैंड की संसद का सीधा कंट्रोल हो गया। भारत में प्रशासन के लिए सचिव नियुक्त किया गया, जो महारानी के प्रति जवाबदेह होता था।

ब्रिटिश संसद में भारत के मंत्री का पद खत्म कर 15 सदस्यीय भारतीय परिषद का गठन किया गया। भारत के गवर्नर जनरल को वायसराय कहा जाने लगा। ईस्ट इंडिया कंपनी के बोर्ड ऑफ डायरेक्टर और बोर्ड ऑफ कंट्रोल को खत्म कर भारतीय सचिव की नियुक्ति की गई।

इसके साथ ही घोषणा की गई कि भारतीयों को प्रशासनिक सेवाओं में बराबर मौके दिए जाएंगे। किसी भी आधार पर कोई भेदभाव नहीं किया जाएगा। भारतीय राजाओं के अधिकारों को सुरक्षित रखा जाएगा। इसी के साथ भारत ब्रिटिश कॉलोनी बन गया। लॉर्ड कैनिंग भारत के पहले वायसराय नियुक्त किए गए। 1 नवंबर 1858 को इस एक्ट को लागू कर दिया गया।

अब बात एक भयावह दुर्घटना की करते हैं। 1 अगस्त 1999। दिल्ली से चलकर ब्रह्मपुत्र एक्सप्रेस असम के डिब्रूगढ़ की ओर बढ़ रही थी। वहीं, एक दूसरी ट्रेन अवध-असम एक्सप्रेस डिब्रूगढ़ से चलकर राजस्थान के लालगढ़ आ रही थी। दोनों ट्रेनें खचाखच भरी हुई थीं और अपनी मंजिल की तरफ तेज रफ्तार से बढ़ रही थीं। अवध-असम एक्सप्रेस किशनगंज स्टेशन पर पहुंची। किशनगंज स्टेशन पर नए ट्रैक को बनाने और मेंटेनेंस का काम चल रहा था। इस वजह से चार में से केवल एक ही ट्रैक चालू था। केबिनमैन ने सिग्नल देने में लापरवाही करते हुए ट्रेन को गलत ट्रैक पर भेज दिया। 2 अगस्त की रात करीब पौने 2 बजे उत्तर दिंजापुर के गाइसाल स्टेशन पर दोनों ट्रेनों के बीच भीषण टक्कर हुई। टक्कर इतनी जोरदार थी कि इंजन समेत कई बोगियां हवा में 40 फीट तक ऊंची उछल गईं।

टक्कर से बोगियों में आग लग गई और जोरदार विस्फोट हुआ। यात्रियों के शरीर के अंग उड़कर आसपास की बिल्डिंग तक चले गए।

सरकार ने मरने वालों का आंकड़ा 300 के आसपास बताया, लेकिन बोगियों में क्षमता से कई गुना ज्यादा लोग सवार थे। इस वजह से आशंका जताई जाती है कि इस हादसे में करीब 1 हजार लोग मारे गए।

हादसे की वजहों की जांच का जिम्मा CBI को सौंपा गया। CBI ने 20 जुलाई 2001 को चार्जशीट दायर की। 2007 में CBI की रिपोर्ट के आधार पर कोर्ट ने रेलवे के 6 कर्मचारियों को दोषी ठहराया। सभी को 2 साल की जेल और 11,500 रुपए का जुर्माना लगाया गया। आइए एक नजर डालते हैं देश और दुनिया में 02 अगस्त को घटित हुईं महत्वपूर्ण घटनाओं पर-

1763: मुर्शिदाबाद पर कब्जे के बाद ब्रिटिश सेना ने गिरिया की लड़ाई में मीर कासिम को हराया।
1790: अमेरिका में पहली बार जनगणना की गई। उस समय अमेरिका की जनसंख्या 39 लाख के आसपास थी, जिसमें से करीब 7 लाख बंदी लोग थे।
1831: नीदरलैंड की सेना ने दस दिन के अभियान के बाद बेल्जियम पर कब्जा किया।
1858: ब्रिटिश सरकार ने गवर्नमेंट ऑफ इंडिया ऐक्ट पारित किया, जिसके बाद भारत का शासन ईस्ट इंडिया कंपनी से ब्रिटिश राजशाही के हाथ में चला गया। भारत में ब्रिटिश सरकार के शीर्ष प्रतिनिधि के रूप में वायसराय का ओहदा बनाया गया।
1870: लंदन में थेम्स नदी के नीचे दुनिया के पहले अंडरग्राउंड रेलवे की शुरुआत हुई।
1878: भारत के राष्ट्रीय ध्वज ‘तिरंगे’ की रचना करने वाले पिंगली वेंकैया का जन्म।
1922: चीन में समुद्री तूफान से लगभग साठ हजार लोगों की मौत।
1943: दूसरे विश्वयुद्ध के दौरान जापानी नौसेना ने अमेरिकी जहाज PT-109 को डुबा दिया। यही घटना विश्वयुद्ध में अमेरिका के शामिल होने की वजह बनी।
1944: तुर्की ने जर्मनी के साथ राजनयिक संबंध तोड़े।
1955: सोवियत संघ ने परमाणु परीक्षण किया।।
1984: यूरोप की मानवाधिकार अदालत ने ब्रिटेन के एक नागरिक की फोन टैपिंग को यूरोपीय संधि का उल्लंघन बताया।
1987: विश्वनाथ आनंद ने विश्व जूनियर शतरंज चैंपियनशिप जीती।
1990: इराक ने कुवैत पर हमला किया।
1990: इराकी राष्ट्रपति सद्दाम हुसैन ने कुवैत पर हमला करके खाड़ी युद्ध की शुरुआत की। जवाबी कार्रवाई में अमेरिका ने ऑपरेशन डेजर्ट स्टॉर्म लॉन्च किया, जिसके बाद इराक ने कुवैत पर कब्जा छोड़ा।
1999: ब्रह्मपुत्र मेल घैसल में अवध-असम एक्सप्रेस से आमने सामने टकराई। दोनो रेलगाड़ियां विपरीत दिशा से एक ही पटरी पर चल रही थीं।
1999: चीन ने लंबी दूरी (8000 किमी.) की सतह से सतह पर मार करने वाली मिसाइल का परीक्षण किया।
2001: पाकिस्तान ने भारत से चीनी आयात को मंजूरी दी।
2003: संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद ने लाइबेरिया में संघर्ष विराम लागू करने के लिए सेना भेजने की अनुमति दी।
2004: अमेरिका की लिंडसे डेवनपोर्ट ने रूस की मिस्कीनी की हराकर सान डियागो टेनिस चैम्पियनशिप का महिला एकल ख़िताब जीत लिया।
2007: जाफना के दक्षिणी द्वीप कियुशु में सुबह आये भयानक तूफ़ान उगासी ने व्यापक पैमाने पर क्षति पहुँचाई।
2008: सार्वजनिक क्षेत्र के यूनियन बैंक ने 2008 में हांगकांग में अपनी पहली शाखा खोली। सुधीर कुमार चतुरर्वेदी ने पावर ग्रिड कार्पोरेशन के नये अध्यक्ष और प्रबंध निदेशक के रूप में अपना कार्यभार संभाला।
2010: पाकिस्तान के खैबर-पख्तूनख्वा प्रांत में मौनसून की वर्षा से आई बाढ़ में 1000 से अधिक लोगों की मौत हो गई।
2010: तादातोशी अकिबा सहित 7 व्यक्तियों को 2010 में फिलीपींस की राजधानी मनीला में 2010 का रेमन मैगसेसे पुरस्कार प्रदान किया गया।
2012: लंदन ओलम्पिक भारत ने कुल 6 पदक जीते जिसमें 2 रजत और 4 कांस्य शामिल हैं।
2012: अमेरिकी तैराक माइकल फेल्पस ने लंदन ओलिंपिक में लगातार तीन गोल्ड जीते।
2013: एकाधिकार विरोधी कानूनों के उल्लंघन के आरोप में चीन में हेल्थकेयर कंपनी जॉनसन एंड जॉनसन पर 85 हजार यूराे डालर का जुर्माना लगाया गया।
2018: टेक कंपनी एपल की मार्केट वैल्यू 1 ट्रिलियन डॉलर से ज्यादा हो गई। एपल इस उपलब्धि को हासिल करने वाली पहली पब्लिक लिस्टेड अमेरिकी कंपनी बन गई।

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