दिल्लीः द्रौपदी मुर्मू सोमवार यानी 25 जुलाई 2022 को देश की 15वीं राष्ट्रपति बन गईं। संसद के केंद्रीय कक्ष में सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस एनवी रमना ने मुर्मू को राष्ट्रपति पद की शपथ दिलाई। इससे पहले वह राष्ट्रपति भवन पहुंचीं, यहां उन्होंने रामनाथ कोविंद और उनकी पत्नी से मुलाकात की। दोनों ने मुर्मू को बधाई दी। राष्ट्रपति भवन के लिए निकलने से पहले राजघाट पहुंचकर उन्होंने महात्मा गांधी को श्रद्धांजलि दी थी।
अब सवाल पैदा हो रहा है कि शपथग्रह 25 जुलाई और सेंट्रल हॉल ही क्यों? इसका आसान सा जवाब है कि भारत में संसद के 3 हिस्से राज्यसभा, लोकसभा और राष्ट्रपति हैं। इसलिए राष्ट्रपति सेंट्रल हॉल में शपथ लेते हैं।
आपको बता दें कि 55 साल पहले नीलम संजीव रेड्डी ने 25 जुलाई 1977 को राष्ट्रपति पद की शपथ ली थी। इसके बाद से भारत में 25 जुलाई को ही राष्ट्रपति के शपथ लेने की परंपरा बन गई। इससे पहले राष्ट्रपति के शपथ लेने की कोई तारीख तय नहीं थी। दुनिया के अगल-अगल देशों में ऐसी कई परंपराएं जो राष्ट्रपति के शपथग्रहण के दौरान निभाई जाती है, तो चलिए आज हम उन परंपराओं से रूबरू करवाते हैं….
तंजानियाः यहां पर राष्ट्रपति को हेड ऑफ स्टेट और हेड ऑफ गवर्नमेंट कहा जाता है।
शपथः शपथ लेने पर संविधान और भाला तथा ढाल मिलता है। 1961 में ब्रिटेन से आजादी मिलने के बाद से चली आ रही है परंपरा…शपथ लेने के बाद राष्ट्रपति को दी जाती है 21 तोपों की सलामी
इंडोनेशियाः यहां पर राष्ट्रपति को हेड ऑफ स्टेट और हेड ऑफ गवर्नमेंट कहा जाता है।
शपथः धार्मिक पुस्तक की छाया में होता है शपथग्रहण। राष्ट्रपति के शपथ लेते समय एक धार्मिक व्यक्ति धार्मिक पुस्तक लेकर पीछे खड़ा रहता है। वह राष्ट्रपति के सिर से कुछ ऊंचाई पर पुस्तक को पकड़े रहता है। आम तौर पर यहां शपथ लेने के बाद राष्ट्रपति सांस्कृतिक परेड में हिंसा लेते हैं, लेकिन 2019 में मौजूदा राष्ट्रपति जोको विडोडो ने ऐसा नहीं किया था।
फिसीपींसः यहां पर राष्ट्रपति को हेड ऑफ स्टेट और हेड ऑफ गवर्नमेंट कहा जाता है।
शपथः यहां 30 जून को राष्ट्रपति अनानास के पत्ते के फाइबर से बनी एक खास परंपरागत बोरोमग टोगोलोग को पहनकर ही शपथ लेते हैं। आपको बता दें कि बोरोमग टोगोलोग फिलीपींस का राष्ट्रीय पोषाक है। यहां पर परंपरा है कि प्रोटोकॉल के मुताबिक राष्ट्रपति को कोई फॉलो न करे, इस लिए पहले उपराष्ट्रपति शपथ लेते हैं। शपथ के बाद राष्ट्रपति को 21 तोपो की सलामी दी जाती है।
रूसः यहां पर सेमी प्रेसिडेंशियल सिस्टम लागू है, लेकिन सरकार की ज्यादातर शक्तियां राष्ट्रपति में निहित है। 2008 से राष्ट्रपति का कार्यकाल छह साल का होता है।
शपथः यहां पर राष्ट्रपति को शपथ कॉन्स्टीट्यूशनल कोर्ट का चैयरमैन दिलाता है। थपथग्रहण के बाद कॉन्स्टीट्यूशनल कोर्ट का चैयरमैन राष्ट्रपति को सोने का चैन देता है और शपथग्रहण पूरा होने की घोषणा करता है। यहां पर सात मई को राष्ट्रपति शपथ लेता है।
फ्रांसः यहां पर सेमी प्रेसिडेंशियल सिस्टम लागू है, लेकिन सरकार की ज्यादातर शक्तियां राष्ट्रपति में निहित है। यहां पर राष्ट्रपति को सीधे जनता चुनती है। पहले यहां राष्ट्रपति का कार्यकाल सात साल का होता था, लेकिन 2000 के बाद पांच साल कर दिया गया।
यहां पर राष्ट्रपति शपथ नहीं लेता है, लेकिन पदग्रहण करने के दौरान कई कार्यक्रम आयोजित होते हैं।
शपथः कॉन्स्टिट्यूशन काउंसिल के चेयरमैन द्वारा राष्ट्रपति के चुनाव की आधिकारिक घोषणा होती है। इसके बाद ग्रैंड चांसलर नए राष्ट्रपति को ग्रैंड कॉलर ऑफ दर लेजन ऑफ द ऑनर सौंपते हैं। आपको बता दें कि ग्रैंड कॉलर 16 जंजीरों की बनीं सोनी की एक चैन होती है। यहां पर पद छोड़ रहे राष्ट्रपति नए राष्ट्रपति को न्यूक्लीयर हथियारों का कोड देते हैं। सेना नए राष्ट्रपति को 21 तोपों की सलामी देती है।
अमेरिकाः यहां पर राष्ट्रपति को हेड ऑफ स्टेट और हेड ऑफ गवर्नमेंट कहा जाता है। यहां पर राष्ट्रपति का चुनाव जनता सीधे नहीं करती है। जनता के प्रतिनिधि राष्ट्रपति का चुनाव करते हैं।
शपथः यहां पर राष्ट्रपति 20 जनवरी को अपने हाथ में बाइबिल लेकर शपथग्रहण करता है। हालांकि अमेरिका का संविधान हाथ में बाइबिल लेकर थपथग्रहण करने को नहीं कहता है, लेकिन यह परंपरा 1789 में पहले राष्ट्रपति जॉर्ज वाशिंगटन के समय से चली आ रही है। 1933 तक यहां राष्ट्रपति चार मार्च को शपथग्रहण करते थे, लेकिन 20वें संविधान संशोधन के जरिए इस 20 जनवरी कर दिया गया।
जॉन एफ कैनेडी की मौत के बाद लिंडन बी जॉनसन 1963 में विमान में शपथ ली। बराक ओबामा तथा डोनाल्ड ट्रम्प ने दो बाइबिलों के साथ थपथग्रहण किया।
भारतः यहां पर राष्ट्रपति को हेड ऑफ स्टेट होता है, जबकि प्रधानमंत्री हेड ऑफ गवर्नमेंट होता है।
शपथः सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस दिलाते हैं शपथ। संसद भवन के सेंट्रल हॉल में आयोजित होता है समारोह। ऐसा इसलिए होता है क्योंकि राष्ट्रपति संसद का हिस्सा है। चीफ जस्टिस की अनुपस्थिति में सुप्रीम कोर्ट का वरिष्टतम जज दिलाते हैं शपथ। शपथग्रहण के बाद 21 तोपों की सलामी दी जाती है। 25 जुलाई को है शपथग्रण करने की परंपरा।
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