दिल्लीः द्रौपदी मुर्मू ने आज सुबह सवा 10 बजे संसद भवन के सेंट्रल हॉल में भारत के सर्वोच्च संवैधानिक पद की शपथ ली। देश के 15वें राष्ट्रपति पद की शपथ लेने के बाद 21 तोपों की सलामी दी गई। वैसे तो संसद का सेंट्रल हॉल आजादी के बाद से कई लम्हों का गवाह रहा है, लेकिन सोमवार यानी 25 जुलाई को एक अलहदा और गर्वीला पल उसकी दीवारों में दर्ज हो गया।
द्रौपदी मुर्मू ने राष्ट्रपति पद की शपथ लेने के बाद संसद भवन के केंद्रीय कक्ष में दोनों सदनों के नेताओं को संबोधित किया। इस दौरान उन्होंने जैसे ही जोहार शब्द कहा, पूरा कक्ष तालियों की गड़गड़ागट से गूंज उठा। केंद्रीय मंत्री स्मृति इरानी इस दौरान काफी खुश नजर आईं।
दरअसल, महिला राष्ट्रपति उम्मीदवार बनने की घोषणा के बाद ही इरानी ने इसका जोरदार स्वागत किया था। आपको बता दें कि जोहार का मतलब नमस्कार होता है। आदिवासी इलाकों में इसका इस्तेमाल होता है।
संसद के सेंट्रल हॉल में द्रौपदी मुर्मू ने देशवासियों को संबोधित करते हुए कहा कि कहा कि मेरे लिए महिलाओं के हित सर्वोपरि होंगे। इसके साथ ही दलितों, पिछड़ों और गरीबों के हितों के लिए भी काम करने की बात कही। उन्होंने कहा कि लोकतंत्र की शक्ति ने मुझे यहां तक पहुंचाया। देश के गरीब आदिवासी, दलित और पिछड़े मुझमें अपना प्रतिबिंब देख सकते हैं। मेरे इस निर्वाचन में पुरानी लीक से हटकर आज के दौर में आगे बढ़ने वाले युवाओं का भी योगदान शामिल हैं। द्रौपदी मुर्मू ने कहा कि मैं देश की ऐसी पहली राष्ट्रपति भी हूँ जिसका जन्म आज़ाद भारत में हुआ है।
उन्होंने कहा, “आज मैं खुद को भारत का नेतृत्व करते हुए गौरवान्वित महसूस कर रही हूं। मैं आज देश की महिलाओं और युवाओं को याद दिलाती हूं कि मेरे लिए उनके हित सर्वोपरि हैं। मेरे सामने राष्ट्रपति पद की ऐसी महान विरासत है, जिसने दुनिया में भारत के लोकतंत्र की प्रतिष्ठा को मजबूत किया है। संविधान के आलोक में मैं पूरी निष्ठा से अपने कर्तव्य का निर्वहन करूंगी। मेरे लिए लोकतांत्रिक आदर्श और समस्त देशवासी ऊर्जा का स्रोत रहेंगे।“इस दौरान उन्होंने कारगिल विजय दिवस की अग्रिम शुभकामनाएं भी दीं।
देश की दूसरी महिला राष्ट्रपति बनीं द्रौपदी मुर्मू ने इस मौके पर देश के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू, सरदार पटेल, भीमराव आंबेडकर, भगत सिंह, चंद्रशेखर आजाद और महात्मा गांधी का भी जिक्र किया। यही नहीं रानी लक्ष्मीबाई समेत कई महिला शासकों का भी जिक्र किया। उन्होंने आदिवासियों की विरासत याद दिलाते हुए कहा कि कोल क्रांति, भील क्रांति समेत कई ऐसे आंदोलन रहे हैं, जिनका नेतृत्व आदिवासियों ने किया और इससे देश की आजादी का संघर्ष मजबूत हुआ। आजादी की लड़ाई में जनजातीय समुदाय के योगदान को समर्पित म्यूजियम बनवाया जा रहा है। एक संसदीय लोकतंत्र के रूप में भारत ने पूरी मजबूती के साथ कदम आगे बढ़ाए हैं। आइए एक नडर डालते हैं राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के संबोधन की प्रमुख बातों पर-
Public service has been the meaning of my life so far.
A line from the poem of eminent Poet Bhim Bhoi Ji states:
“Mo Jiwan Pachhe Narke Padi Thau, Jagat Uddhar Heu”.The benefit & harm of one's life must be greater than the welfare of the world, says President #DroupadiMurmu pic.twitter.com/JGk4sd0Gzv
— DD News (@DDNewslive) July 25, 2022
For thousands of years, my tribe has lived in harmony with nature.
I have realized importance of forests & water bodies in my life.
Taking resources from nature & serving it with equal reverence are mutually beneficial, says President #DroupadiMurmu @rashtrapatibhvn pic.twitter.com/wQSnPj4Txi
— DD News (@DDNewslive) July 25, 2022
ये भी एक संयोग है कि जब देश अपनी आजादी के 50वें वर्ष का पर्व मना रहा था तभी मेरे राजनीतिक जीवन की शुरुआत हुई थी। और आज आजादी के 75वें वर्ष में मुझे ये नया दायित्व मिला है: राष्ट्रपति #DroupadiMurmu @rashtrapatibhvn pic.twitter.com/ztEwqyIUck
— SansadTV (@sansad_tv) July 25, 2022
- “मैं जिस जगह से आती हूं, वहां प्रारंभिक शिक्षा भी सपना होता है। गरीब, पिछड़े मुझे अपना प्रतिबिंब दिखाते हैं। मैं भारत के युवाओं और महिलाओं को विश्वास दिलाती हूं कि इस पद पर काम करते हुए उनका हित मेरे लिए सर्वोपरि रहेगा।
- संसद में मेरी मौजूदगी भारतीयों की आशाओं और अधिकारों का प्रतीक है। मैं सभी के प्रति आभार व्यक्त करती हूं। आपका भरोसा और समर्थन मुझे नई जिम्मेदारी संभालने का बल दे रहा है।
- मैं पहली ऐसी राष्ट्रपति हूं जो आजाद भारत में जन्मी। हमारे स्वतंत्रता सेनानियों ने भारतीयों से जो उम्मीदें लगाई थीं, उन्हें पूरा करने का मैं पूरा प्रयास करूंगी।
- राष्ट्रपति के पद तक पहुंचना मेरी निजी उपलब्धि नहीं है, यह देश के सभी गरीबों की उपलब्धि है। मेरा नॉमिनेशन इस बात का सबूत है कि भारत में गरीब न केवल सपने देख सकता है, बल्कि उन सपनों को पूरा भी कर सकता है।’