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आज का इतिहासः आज के ही दिन 24 साल पहले 120 देशों ने मिलकर की थी इंटरनेशनल क्रिमिनल कोर्ट की शुरुआत - Prakhar Prahari
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आज का इतिहासः आज के ही दिन 24 साल पहले 120 देशों ने मिलकर की थी इंटरनेशनल क्रिमिनल कोर्ट की शुरुआत

दिल्लीः आज जुलाई यानी ‘वर्ल्ड डे फॉर इंटरनेशनल जस्टिस’ है। आज के ही दिन 1998 में 120 से ज्यादा देशों ने मिलकर इंटरनेशनल क्रिमिनल कोर्ट की स्थापना की थी। इस कोर्ट को बनाने का मकसद गंभीर अपराधों के मामलों की सुनवाई करना है। 1 जुलाई 2002 से इस कोर्ट ने अपना कामकाज शुरू किया था। हालांकि भारत रोम में हुई उस संधि से अलग है, जिसमें शामिल देशों ने इस कोर्ट की स्थापना की थी।

दरअसल, 1945 में यूनाइटेड नेशंस के बनने के बाद से ही इंटरनेशनल क्रिमिनल कोर्ट बनाने की कोशिश हो रही थी। 9 दिसंबर 1948 को यूनाइटेड नेशंस ने इस बारे में एक रेजोल्यूशन पास किया। इसमें कहा गया कि इतिहास में नरसंहार जैसी क्रूर घटनाओं ने मानवता का बहुत नुकसान किया है। मानव जाति को इस तरह के जघन्य संकट से मुक्त करने के लिए अंतरराष्ट्रीय सहयोग जरूरी है।

इस रेजोल्यूशन में नरसंहार को अंतरराष्ट्रीय अपराध माना गया। यूनाइटेड नेशंस ने एक इंटरनेशनल कोर्ट के गठन के लिए इंटरनेशनल लॉ कमीशन से भी सुझाव मांगा। कमीशन के सुझावों के आधार पर एक कमेटी बनाई गई। इस कमेटी का काम इंटरनेशनल कोर्ट की स्थापना से जुड़ी रिसर्च करना था। 1953 में इस कमेटी ने एक ड्राफ्ट तैयार किया।

युगोस्लाविया में 1993 में भीषण गृह युद्ध छिड़ गया। इस युद्ध में जातीय हिंसा में हजारों लोगों का नरसंहार हुआ। इसके बाद एक बार फिर इंटरनेशनल क्रिमिनल कोर्ट के गठन की मांग बढ़ने लगी। 1994 में इंटरनेशनल लॉ कमीशन ने इंटरनेशनल क्रिमिनल कोर्ट के गठन संबंधी ड्राफ्ट पर काम पूरा किया। इस ड्राफ्ट को यूनाइटेड नेशंस जनरल असेंबली के सामने रखा गया। इस दौरान ड्राफ्ट में सुधार होते रहे और अप्रैल 1998 में ड्राफ्ट पूरी तरह बनकर तैयार हो गया।

यूनाइटेड नेशंस ने रोम में 15 जून से 17 जुलाई तक इस ड्राफ्ट को कानून का रूप देने के लिए एक कॉन्फ्रेंस बुलाई। आज ही के दिन 1998 में 100 से भी ज्यादा देशों ने इस ड्राफ्ट पर अपनी सहमति जताते हुए इसे कानून का रूप दे दिया और इसी के तहत इंटरनेशनल क्रिमिनल कोर्ट की स्थापना हुई।
2006 में इंटरनेशनल क्रिमिनल कोर्ट ने अपने पहले मामले पर सुनवाई शुरू की। ये मामला कांगो के मिलिट्री कमांडर थॉमस लुबांगा से जुड़ा था, जिन पर आरोप था कि उन्होंने सेना में बच्चों को भर्ती किया। लुबांगा ने युद्ध में उनका इस्तेमाल किया। 2009 में इस मामले में लुबांगा पर ट्रायल शुरू हुआ। 2012 तक इस मामले की सुनवाई चली। मार्च 2012 में कोर्ट ने लुबांगा को इस अपराध का दोषी पाते हुए उन्हें 14 साल की सजा सुनाई।

अब बात करते हैं ब्रिटेन के शाही परिवार के सरनेम बदलने की। आपको बता दें कि 18वीं शताब्दी की शुरुआत से ही ब्रिटेन के राजपरिवार के सदस्यों के वैवाहिक संबंध जर्मन शासकों से रहे हैं। क्वीन विक्टोरिया के पति अल्बर्ट भी जर्मन थे। इन दोनों के 9 बच्चे थे, जिन्होंने पूरे यूरोप में अलग-अलग जगहों पर शादियां कीं। शाही परिवार के पुरुष सदस्यों को सैक्स कोबुर्ग एंड गोथा की उपाधि दी जाती थी।

1911 में जॉर्ज V राजा बने और कुछ ही सालों बाद पहला विश्वयुद्ध शुरू हो गया। इस विश्वयुद्ध में जर्मनी और ब्रिटेन की सेना आमने-सामने थी। इस वजह से ब्रिटेन के लोगों में जर्मनी के खिलाफ नफरत बढ़ती जा रही थी। जर्मन लोगों को मारा जा रहा था, उनकी दुकानें लूटी जा रही थीं। देश में जर्मन विरोधी दंगे भड़क रहे थे। जर्मन राजा विल्हम II जॉर्ज V का चचेरा भाई था। इस वजह से लोगों में राजपरिवार के जर्मन कनेक्शन को लेकर भी असंतोष पनपने लगा था। लिहाजा किंग जॉर्ज ने लोगों की जर्मन विरोधी भावनाओं को देखते हुए राजपरिवार के नाम को जर्मन से इंग्लिश करने का फैसला लिया।

आज ही के दिन 1917 में किंग जॉर्ज ने ब्रिटिश राजघराने का नाम सैक्स कोबुर्ग एंड गोथा से बदलकर विंडसर कर दिया। उसके बाद से आज तक ब्रिटेन के शाही परिवार के पुरुष सदस्यों को विंडसर नाम से ही जाना जाता है। आइए एक नजर डालते हैं 17 जुलाई को देश और दुनिया में घटित हुईं महत्वपूर्ण घटनाओं पर-

1429 – डोफिन की फ्रांस के राजा के रुप में ताजपोशी।
1489 – निजाम खान को सिकंदर शाह लोदी द्वितीय के नाम से दिल्ली का सुल्तान घोषित किया गया।
1549 – यूरोपीय देश बेल्जियम के घेंट इलाके से यहूदियों को बाहर निकाला गया।
1712 – इंग्लैंड, पुर्तगाल और फ्रांस ने युद्वविराम संधि पर हस्ताक्षर किया।
1850 – हार्वर्ड वेधशाला ने तारों का पहला फोटोग्राफ लिया।
1893 – इंग्लैंड के आर्थर श्रेव्सबरी टेस्ट क्रिकेट में 1000 रन बनाने वाले पहले क्रिकेटर बने।
1898 – स्पेन की सेना ने क्यूबा के सेंटियागो क्षेत्र में अमेरिका के समक्ष आत्मर्समपण किया।
1906 – क्लेमेंट आर्मंड फैलिएरेस फ्रांस के राष्ट्रपति चुने गए।
1917 – जॉर्ज पंचम ने परिवार का उपनाम बदलकर विंडसर कर दिया। इससे पहले यह शाही परिवर जर्मनी शाही घराने ‘साक्से कोबुर्ग एंड गोथा’ के नाम से जाना जाता था।
1918- रूस के जार निकोलस द्वितीय और उनके परिवार की हत्या कर दी गई।
19।9 – यूरोपीय देश फिनलैंड में संविधान को स्वीकृति प्रदान की गई।
1929 – सोवियत संघ ने चीन के साथ कूटनीतिक संबंध समाप्त किए।
1936- स्पेन में सिविल वॉर की शुरुआत हुई, जो 3 साल तक चलता रहा।
1943 – ब्रिटेन की रॉयल एयर फोर्स (आरएएफ) ने जर्मनी के पीनमुंदे रॉकेट बेस पर हमला किया।
1948: भारत में महिलाओं को भारतीय प्रशासनिक सेवा और भारतीय पुलिस सेवा समेत सभी सार्वजनिक सेवाओं में भर्ती होने की पात्रता मिली।
1944 – अमेरिका में कैलिफोर्निया के समीप गोला बारूद से लदे दो जहाजों में विस्फोट होने से 322 लोगों की मौत।
1947: भारतीय यात्री जहाज एसएस रामदास एक समुद्री तूफान की चपेट में आ गया। हादसे में जहाज में सवार 713 यात्रियों में से 690 की मौत हो गई।
1950 – भारत की पहली यात्री विमान दुर्घटना पंजाब के पठानकोट शहर के पास हुई।
1974 – लंदन टॉवर में हुए बम धमाके से 41 लोग घायल हो गए।
1980 – जेंको सुजुकी जापान के प्रधानमंत्री बने।
1981 – इजरायल ने लेबनान की राजधानी बेरूत में अल-फतह मुख्यालय को नष्ट किया।
1987 – ईरान और फ्रांस के बीच राजनयिक संबंध टूटे।
1995 – फोर्ब्स पत्रिका ने माइक्रोसॉफ्ट के संस्थापक बिल गेट्स को दुनिया का सबसे अमीर आदमी घोषित किया।
1996- तमिलनाडु के तत्कालीन मुख्यमंत्री एम. करुणानिधि ने मद्रास का नाम बदलकर चेन्नई कर दिया।
2006 – कैप कनैवरल (फ़्लोरिडा) के स्पेस सेंटर में अपनी 13 दिन की अंतरिक्ष यात्रा पूरी कर डिस्कवरी अंतरिक्ष यान पृथ्वी पर सकुशल उतरा।
2008 – अफ़ग़ानिस्तान में नाटो सेनाओं ने पाकिस्तान में छिपे आतंकवादियों पर मिसाइलों व हेलीकॉप्टरों से हमला किया।
2013 – चीन के सिचुआन प्रांत में बाढ़ से 58 लोगों की मौत।
2014- मलेशियन एयरलाइंस की फ्लाइट को रूस समर्थक अलगाववादियों ने मिसाइल के जरिए गिरा दिया। हमले में फ्लाइट में सवार सभी 283 यात्रियों की मौत हो गई।

 

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