Deprecated: The PSR-0 `Requests_...` class names in the Requests library are deprecated. Switch to the PSR-4 `WpOrg\Requests\...` class names at your earliest convenience. in /home1/prakhndx/public_html/wp-includes/class-requests.php on line 24
चरित्र निर्माण और राष्ट्र निर्माण में मातृशक्ति की अहम भूमिका: माधुरी मराठे - Prakhar Prahari
Subscribe for notification
Categories: राज्य

चरित्र निर्माण और राष्ट्र निर्माण में मातृशक्ति की अहम भूमिका: माधुरी मराठे

दिल्लीः चरिज्ञ निर्माण तथा राष्ट्र निर्माण में मातृशक्ति की अहम भूमिका होती है। मातृशक्ति संगठन के जरिए ही राष्ट्र और विश्व में परिवर्तन किया जा सकता है। यह बातें अखिल भारतीय संगठन सचिव, संवर्धिनी न्यास माधुरी मराठे ने शनिवार को कही।

राष्ट्र सेविका समिति की प्रथम संचालिका लक्ष्मीबाई केलकर के 117 वें जन्म दिवस उत्सव पर मेधाविनी सिंधु सृजन,  दिल्ली प्रांत  द्वारा राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली के दीनदयाल उपाध्याय कॉलेज में एक भव्य कार्यक्रम आयोजन किया गया। इस कार्यक्रम की मुख्य वक्ता के तौर पर माधुरी मराठे (अखिल भारतीय संगठन सचिव, संवर्धिनी न्यास), विशिष्ट अतिथि  प्रो. सुदेश छिकारा (कुलपति बी.पी.एस विश्वविद्यालय, सोनीपत), विदुषी शर्मा (राष्ट्र सेविका समिति ,सह कार्यवाहिका ,दिल्ली प्रांत), प्रो.पायल मागो (प्रिंसिपल शहीद राजगुरू कॉलेज एंड डायरेक्टर एस.ओ. एल. दिल्ली विश्वविद्यालय) सहित भारी संख्या सेविकाएं शामिल हुईं। मेधाविनी की संयोजिका प्रो. निशा राणा ने कार्यक्रम की प्रस्तावना दी।

इस मौके पर माधुरी मराठे ने कहा कि समर्पण का भाव राष्ट्रहित के लिए होगा तो राष्ट्र उन्नति करता है । उन्होंने कहा कि राष्ट्र सेविका समिति की संस्थापिका एवं प्रथम संचालिका लक्ष्मीबाई केलकर ने अपने विधवापन को अभिशाप न मानकर शक्ति माना और राष्ट्र निर्माण के कार्य में जुट गई तथा वर्धा में समिति की स्थापना की। उन्होंने कहा कि हम अपनी कमियों को अपनी शक्ति बनाएं और जिस प्रकार भी संभव हो राष्ट्र निर्माण में अपना योगदान दें। यही लक्ष्मी बाई केलकर के जीवन का आदर्श वाक्य था।  उन्होंने  मौसी जी के बहुआयामी व्यक्तित्व पर प्रकाश डालते हुए उनके जीवन की अनेक घटनाओं के माध्यम से बताया और कहा कि आज के युवा  इस बात से परिचित हों कि किस प्रकार उन्होंने मातृशक्ति के संगठन द्वारा राष्ट्र निर्माण की नींव रखी। उन्होंने कहा कि समाज में नेतृत्व करने वाला व्यक्ति मौसी जी जैसा अनुकरणीय होना चाहिए। उनके जीवन और वाणी में मैं का स्थान नहीं था सब कुछ राष्ट्र को समर्पित था ।उन्होंने कहा कि मातृशक्ति संगठन द्वारा ही राष्ट्र और विश्व में परिवर्तन संभव है।  उन्होंने कहा कि मौसी जी ने मातृशक्ति को परिवार, समाज और राष्ट्र को जोड़ने वाली कड़ी कहा है। संस्कृति का रक्षण, भाषा, आचरण और व्यवहार  द्वारा ही संभव है।

उन्होंने कहा कि प्रत्येक राष्ट्र जो अपनी उन्नति चाहता है,  उसे अपनी संस्कृति और इतिहास को कभी नहीं भूलना चाहिए, क्योंकि पूर्व की कृतियां तथा घटनाएं ही भविष्य की पथ प्रदर्शक होती हैं। हम अपनी नींव ,अपनी संस्कृति पर अडिग रहकर वर्तमान और भविष्य की ओर कदम बढ़ाएं तो देश और समाज का निर्माण संभव होगा।

इस दौरान उन्होंने रामायण के महत्व को समझाया। उन्होंने बताया कि देश के विभाजन के समय पर सेविकाओं के आह्वान पर लक्ष्मीबाई केलकर कराची पहुंची और सेविकाको को विषम  परिस्थितियों का साहस के साथ सामना करने के लिए प्रेरित किया । उन्होंने महिलाओं के जागरण के लिए अपना संपूर्ण जीवन समर्पित किया ।

वहीं इस कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रही पायल मागो कहा कि मौसी जी ने एक ऐसे संगठन की स्थापना की जो कार्यकर्ताओं को तराशने का काम करता है। उन्होंने एक ऐसा वट वृक्ष लगाया जिसने अन्य कई वट वृक्षों को जन्म दिया। उन्होंने इस संकल्प दिवस पर महिलाओं को संगठित होकर राष्ट्र को संगठित करने का संकल्प लेने का आह्वान किया।

उन्होंने कहा कि लक्ष्मी बाई जी का संपूर्ण जीवन अनुकरणीय रहा। आज अगर समाज में भी मातृशक्ति की गूंज है तो उसमें भी कहीं ना कहीं लक्ष्मीबाई केलकर के विचार को ही प्रधानता मिली है। उन्होंने 1936 में जिस मातृशक्ति के विषय में सोचा था और आज समाज में उस मातृशक्ति की उपस्थिति प्रत्येक भारतीय के मन में प्रेरणा का संचार करती है। महिला शक्ति अगर कुछ मन में ठान ले तो कुछ भी असंभव नहीं है।

आषाढ़ मास दशमी तिथि शुक्ल पक्ष, 1905 में नागपुर में जन्मी कमल अर्थात लक्ष्मीबाई साधारण बालिकाओं से भिन्न थीं। उन्होंने महिलाओं में छुपी शक्तियों को उस समय पहचाना जब नारी सशक्तिकरण की बात से कोई परिचित भी नहीं था। 25 अक्टूबर ,1936 विजयदशमी के दिन उन्होंने महिलाओं के एक ऐसे संगठन की नींव रखी, जो व्यक्ति निर्माण के साथ समाज और राष्ट्र के निर्माण में भी योगदान दे ।

राष्ट्र सेविका समिति भारतीय महिलाओं का सबसे बड़ा और सुदृढ़ संगठन है, जिसकी शाखाएं पूरे भारत में ही नहीं वरन विदेशों में भी फैली हुई हैं। भारत के 2380 शहरों ,कस्बों और गांवों में समिति की 3000 शाखाएं चल रही हैं। समिति के 1000 सेवा प्रकल्प चल रहे हैं। दुनिया के 16 देशों में समिति की सशक्त उपस्थिति दर्ज हो चुकी है ।

सेविका समिति सामाजिक, सांस्कृतिक और बौद्धिक धरातल पर 1936 से काम कर रही है ।शाखाओं के माध्यम से समिति की सेविकाएं (सदस्या) समाज और देश के समग्र विकास में महत्वपूर्ण योगदान दे रही हैं।

admin

Recent Posts

वेद भौतिक-आध्यात्मिक ज्ञान की निधि व अखिल ब्रह्माण्ड के मूल हैं: भागवत

संवाददाताः संतोष कुमार दुबे, प्रखर प्रहरी दिल्लीः राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के सरसंघचालक डॉ. मोहन भागवत ने वेदों को भौतिक…

1 day ago

भारत बना एशियन चैंपियंस ट्रॉफी का विजेता, पांचवीं बार जीता खिताब जीता, फाइनल में चीन को

स्पोर्ट्स डेस्कः भारत हॉकी एशियन चैंपियंस ट्रॉफी का चैंपियन बन गया है। टीम इंडियान ने मंगलवार को हुए फाइनल मुकाबले…

2 days ago

अगस्त में वाणिज्यक-वस्तु निर्यात में वार्षिक आधार पर 9.3 प्रतिशत की गिरावट

दिल्लीः  देश से वाणिज्यिक वस्तुओं का निर्यात अगस्त 2024 में सालाना 9.3 प्रतिशत घटकर 34.71 अरब डॉलर रहा।  पिछले साल इसी…

2 days ago

आतिशी होंगी दिल्ली की मुख्यमंत्री, सरकार बनाने का दावा पेश किया; भाजपा बोली- मेकओवर से दाग नहीं छुपेंगे

दिल्लीः दिल्ली को नई मुख्यमंत्री मिल गई हैं। आम आदमी पार्टी की नेता आतिशी मार्लेना दिल्ली की नई मुख्यमंत्री होंगी।…

2 days ago

आरएसएस के विजयादशमी कार्यक्रम में शामिल होंगे डॉ. राधाकृष्णन

संवाददाताः संतोष कुमार दुबे नागपुरः विजयादशमी के मौके पर महाराष्ट्र के नागपुर में आयोजित होने वाले राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस)…

3 days ago

मेरा मजाक उड़ाया गया, मैं सरदार की भूमि में पैदा हुआ बेटा, चुपचाप देशहित में नीति बनाने में लगा रहाः मोदी

अहमदाबाद: गुजरात दौरे के दूसरे दिन सोमवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अहमदाबाद के GMDC मैदान में आयोजित भव्य स्वागत समारोह…

3 days ago