दिल्लीः जीवाश्म ईंधनों की कीमतों में बढ़ोतरी और वैश्विक कारणों का आम लोगों की जेब पर असर दिखने लगा है। भारत में पिछले चार महीनों में खाने की चीजों से लेकर आने-जाने तक का खर्च बढ़ा है। देश में सीएनजी और रसोई गैस के दाम लगातार बढ़े हैं। इस वजह से टैक्सी और कैब के किराये में भी इजाफा हुआ है। तो चलिए आज हम आपको बताते हैं देश में क्या-क्या महंगा हुआ है…

सीएनजी-रसोई गैसः देश में तीन अप्रैल को सीएनजी के दाम 60.81 रुपये प्रति किलो थी। तब से अब तक कीमतों में चार बार बढ़ोतरी हो चुकी है। अब दिल्ली में इसके दाम 75.61 रुपये प्रति किलो पहुंच चुके हैं। इसका सीधा असर किराये पर पड़ा है, जिसमें 15 से अधिक का इजाफा हुआ है। वहीं, रसोई गैस की कीमत में मार्च से अब तक 11 फीसदी की वृद्धि हुई है।

नाश्ता-खानाः पिछले दो महीने में अंडे की कीमत 148 रुपये से बढ़कर 170 रुपये प्रति कैरट पहुंच गई है। यानी 15 फीसदी का इजाफा हुआ है। ब्रेड-बटर की कीमत में 10 फीसदी तक इजाफा हुआ है। टैट्रा पैक पर जीएसटी 12 से बढ़ाकर 18 फीसदी कर दी गई है। आटा चक्की और दाल मशीन पर भी जीएसटी 12 से 18 फीसदी किया गया है।

बैंकिंग प्रणालीः देश में 16 जुलाई से चेकबुक लेने पर 18 फीसदी का जीएसटी चुकाना होगा, जो अब तक मुफ्त था। इसके अलावा चिट फंड में निवेश पर 18 फीसदी जीएसटी चुकाना होगा जो अभी 12 फीसदी है।

कैब, स्कूल बसों- देश में पिछले तीन माह में ओला-उबर के किराये में 44 फीसदी तक इजाफा हुआ है। कंपनियों का कहना है कि सीएनजी के दाम बढ़ने के साथ अन्य खर्च में इजाफा होने से ऐसा हुआ है। एनसीआर के तमाम बड़े स्कूलों ने अप्रैल से अब तक ट्रांसपोर्ट चार्ज में 20 से 60 तक बढ़ोतरी की है। अभिभावकों की जेब पर इसका असर पड़ा है।

टैक्स का बोझः  सड़क, पुल, रेल, मेट्रो, श्मशान बनाने का ठेका, केंद्र-राज्य सरकार से नहर, डैम, पाइपलाइन,पानी आपूर्ति प्लांट, शिक्षा संस्थान, अस्पताल बनाने का ठेका पर जीएसटी 18 फीसदी कर दिया गया है। इसका अंतिम बोझ आम लोगों पर पड़ेगा। इसके दायरे में रोजमर्रा का सामान खरीदने वाले लोग भी प्रभावित होंगे।

 

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