- श्रीलंका में बिगड़े हालात, प्रदर्शनकारियों ने किया राष्ट्रपति भवन पर कब्जा.
- श्रीलंका के प्रधानमंत्री रानिल विक्रमसिंघे ने दिया इस्तीफा, प्रदर्शनकारियों ने विक्रमसिंघे के निजी आवास में लगाई आग।
- श्रीलंका पीपुल्स फ्रंट के 16 सांसदों ने राष्ट्रपति गोटबाया राजपक्षे से तुरंत इस्तीफा देने की अपील की।
- श्रीलंका पुलिस ने देश में बिगड़ते हालात के बीच कई प्रांतों में कर्फ्यू लगाया।
- प्रदर्शनकारियों ने समागी जाना बालवेगया (SJB) के सांसद रजिता सेनारत्ने पर हमला किया।
कोलंबोः भीषण आर्थिक संगट से जूझ रहे श्रीलंका में हालात बेहद खराब हो गए हैं। प्रदर्शन के बीच आंदोलनकारियों ने राष्ट्रपति गोटबाया राजपक्षे के सरकारी आवास पर कब्जा कर लिया और राजपक्षे प्रेसिडेंट हाउस छोड़कर भाग गए हैं। अभी तक किसी को यह जानकारी नहीं मिल पाई है कि राजपक्षे कहां हैं। वह श्रीलंका में ही हैं या देश छोड़कर चले गए हैं, यह अभी साफ नहीं हुआ हैं।
Protesters seen having a swim at the President's house in Srilanka🤦😆#SriLanka #SriLankaCrisis pic.twitter.com/oSBxH70KiS
— HARASH 🇮🇳 (@HarashOfficial) July 9, 2022
इस बीच प्रधानमंत्री रानिल विक्रमसिंघे ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया है। उन्होंने इस बात की जानकारी सोशल मीडिया पर दी। वहीं प्रदर्शनकारियों ने रानिल विक्रमसिंघे के निजी मकान में आग के हवाले कर दिया है। स्पेशल टास्क फोर्स ने प्रदर्शनकारियों पर हमला कर दिया, जिसके कारण 64 लोग घायल हो गए हैं, इनमें 6 पत्रकार भी हैं। सभी घायलों को उपचार के लिए कोलंबो राष्ट्रीय अस्पताल में भर्ती कराया गया है।
BREAKING 🚨- Sri Lankan PM's house SET ON FIRE 🔥 #SriLanka pic.twitter.com/lAAehUhp7b
— Ihtisham Ul Haq (@iihtishamm) July 9, 2022
रानिल विक्रमसिंघे ने इस्तीफे से पहले आपातकालीन बैठक बुलाई थी, जिसमें असेंबली स्पीकर महिंदा यप्पा अभयवर्धने को अंतरिम राष्ट्रपति बनाने का प्रस्ताव रखा। आपको बता दें कि श्रीलंकाई संविधान के अनुसार राष्ट्रपति इस्तीफा देने पर स्पीकर एक महीने के लिए अंतरिम राष्ट्रपति बन सकते हैं।
आपको बता दें कि श्रीलंका में राष्ट्रपति गोटबाया राजपक्षे के खिलाफ लंबे वक्त से ‘Gota Go Gama’ और ‘Gota Go Home’ आंदोलन जारी है। सिंहली भाषा में गामा का मतलब गांव होता है। प्रदर्शनकारी एक जगह जमा होकर तंबू लगाते हैं और गाड़ियों के हार्न बजाते हुए राष्ट्रपति और सरकार के खिलाफ गोटा-गो-गामा का नारा बुलंद करते हैं।
इनका मकसद राष्ट्रपति गोटबाया राजपक्षे को सत्ता छोड़ने के लिए मजबूर करना है। इसी बीच राष्ट्रपति गोटबाया की तरफ से कहा गया है कि वह पार्टी के फैसले का सम्मान करेंगे। गोटबाया के खिलाफ इतना ज्यादा आक्रोश है कि पेट्रोल का पैसा नहीं होने पर लोगों पैदल ही प्रदर्शन में शामिल होने जा रहे हैं।
उधर, काउंसिल ऑफ श्रीलंका ने देश में बढ़ते अराजक माहौल के बीच बार राष्ट्रपति गोटबाया से मुलाकात की है। काउंसिल ने राष्ट्रपति से पूछा है कि अब जब उनके सचिवालय और घर पर प्रदर्शनकारियों का कब्जा हो गया है तो क्या ऐसे में वो अपनी ड्यूटी निभा पाएंगे?
प्रर्दशनकारियों का जत्था गॉल में चल रहे ऑस्ट्रेलिया-श्रीलंका मैच के स्टेडियम के बाहर तक पहुंच गया है। पूर्व लंकाई क्रिकेटर सनथ जयसूर्या भी प्रदर्शनकारियों के साथ शामिल हैं। वहीं, राजधानी कोलंबो में आंदोलन उग्र हो गया है। पुलिस के साथ झड़प में 100 से ज्यादा लोग घायल हो गए। बिगड़ते हालात को लेकर प्रधानमंत्री विक्रमसिंघे ने इमरजेंसी मीटिंग बुलाई है
यहां रोज आम लोगों की पुलिस, आर्मी और एयरफोर्स के साथ झड़पें हो रही हैं, क्योंकि यहीं पेट्रोल पंप की निगरानी कर रहे हैं। समाज में उग्रता अप्रत्याशित तौर पर बढ़ी है, जो दंगों के रूप में उभर जाती है। स्कूल-कॉलेज, अस्पताल बंद पड़े हैं। लिहाजा युवक घर पर अपने परिवार को बेबस जूझते हुए देखने पर मजबूर हैं।
श्रीलंका में केमिकल फर्टिलाइजर पर बैन के चलते खाद्य संकट पैदा हो गया है। गैस की कमी के कारण लोग घरों में चूल्हा जला रहे हैं। श्रीलंका के मध्यमवर्गीय परिवारों ने भी अपने भोजन की खपत को कम कर दिया है, क्योंकि वे इतनी महंगी खाद्य सामग्री लेने से कतरा रहे हैं।
मई में जो महंगाई 39.1 फीसदी थी, वह जून में बढ़कर 54.6 फीसदी हो गई है। अगर सिर्फ खाद्य महंगाई को देखें तो मई में जो 57.4% थी, वो जून में बढ़कर 80.1 प्रतिशत हो गई है।
मौजूदा समय में श्री 1948 में ब्रिटेन से आजादी मिलने के बाद सबसे खराब आर्थिक संकट से जूझ रहा है। श्रीलंका में लोगों को रोजमर्रा से जुड़ी चीजें भी नहीं मिल पा रही हैं या कई गुना महंगी मिल रही हैं। विदेशी मुद्रा भंडार लगभग खत्म हो चुका है, जिससे वो जरूरी चीजों का भी आयात नहीं कर पा रहा है। सबसे ज्यादा ईंधन की कमी है। पेट्रोल-डीजल के लिए कई किलोमीटर लंबी लाइनें हैं। विरोध प्रदर्शन भी हो रहे हैं।