Old compass on vintage map with rope closeup. Retro stale

दिल्लीः वास्को डी गामा आज के ही दिन 1497 में अपनी पहली भारत यात्रा पर निकले थे। 4 विशाल जहाजों और सैकड़ों नौकाओं के साथ 170 लोगों को लेकर निकले वास्को डी गामा को भारत पहुंचने में करीब 11 महीने लग गए। इसी के साथ वास्को डी गामा ने यूरोप से भारत पहुंचने का समुद्री रास्ता खोज लिया था, जो पुर्तगालियों के लिए ये एक बड़ी उपलब्धि थी।

आपको बता दें कि भारत की चाय और मसाले हमेशा से पूरी दुनिया में प्रसिद्ध रहे हैं। उस समय भी यूरोपीय देश भारत के मसालों और चाय का इस्तेमाल करते थे। भारत से ये सामान अरब देशों से होते हुए यूरोप पहुंचता था। अरब देशों ने यूरोपीय देशों को कभी भी ये नहीं बताया था कि ये सामान आता कहां से है। अरब देशों के लिए ये कमाई का एक बड़ा जरिया था।

यूरोपीय लोगों को बाद में ये पता लगा कि ये मसाल दूर कहीं भारत है, लेकिन भारत पहुंचने का समुद्री रास्ता नहीं पता था। अरब देशों से होते हुए भारत नहीं पहुंचा जा सकता था। इसलिए यूरोपीय लोग समुद्र से भारत पहुंचने का रास्ता तलाशने लगे।

इटली के क्रिस्टोफर कोलंबस सबसे पहले भारत पहुंचने का समुद्री रास्ता पता करने निकले, लेकिन अटलांटिक महासागर में भटक गए और अमेरिका पहुंच गए।

इसके 5 साल बाद वास्को डी गामा भारत पहुंचने का समुद्री रास्ता खोजने निकल पड़े। उनके साथ एक बड़ा काफिला था, जिसमें सफर के लिए जरूरी सामान और बाकी चीजों को रखा गया। सफर के दौरान स्थानीय लोगों से बातचीत के लिए 3 भाषाविद भी साथ रखे गए, जिनमें से 2 अरबी बोलते थे और एक अफ्रीका की बांटु भाषा बोलता था। रास्ते की निशानदेही के लिए अपने साथ बड़े-बड़े पत्थरों के पिलर भी रखे गए।

वास्को डी गामा एक बेहतरीन कप्तान थे और उन्हें समुद्री रास्तों की बढ़िया जानकारी थी। 26 जुलाई को डी गामा का काफिला सैंटियागो पहुंच गया। यहां एक हफ्ते आराम किया। महीनों तक सफर जारी रहा और नवंबर में कैप ऑफ गुड होप से होते हुए काफिला हिंद महासागर में दाखिल हुआ। इतने लंबे और थका देने वाले सफर में उनके कई साथी बीमार भी पड़ गए, कई मारे गए और उनका खाने का सामान भी खत्‍म होने लगा था। इसको देखते हुए वास्को डी गामा ने मोजांबिक में रुकने का फैसला किया। यहां नावों की मरम्मत की गई और खाने का सामान इकट्ठा किया गया। कहा जाता है कि मोजांबिक के सुल्‍तान को उन्‍होंने कई बेशकीमती तोहफे दिए जिसके बदले सुल्तान ने उन्हें 2 नाविक दिए, जिन्हें भारत तक के समुद्री रास्तों की जानकारी थी।

अप्रैल तक काफिला केन्या पहुंच चुका था। आखिरकार लंबे सफर के बाद 20 मई 1498 को वास्‍को डी गामा ने भारत के कालीकट की धरती को छुआ।
वास्को डी गामा यहां पर कालीकट के राजा से मिले और उसको व्‍यापार के लिए राजी किया, लेकिन मुस्लिम व्यापारियों ने वास्को का विरोध किया जिसका नतीजा ये हुआ कि तीन महीने में ही उन्हें वापस पुर्तगाल लौटना पड़ा। अगस्त में जब काफिला पुर्तगाल के लिए चला तो बेहद खराब मौसम की वजह से 170 में से केवल 55 लोग ही जिंदा बचे।

इसके बाद वास्को डी गामा दो बार और भारत आए। अपने तीसरे और आखिरी दौरे के दौरान ही उनकी तबीयत खराब हो गई और 24 मई 1524 को उनका निधन हो गया। वास्को डी गामा के शव को कोच्चि में ही दफनाया गया। 1538 में उनकी कब्र को खोदकर उसके अवशेषों को बाहर निकाला गया और पुर्तगाल ले जाया गया।

अब बात भाखड़ा बांध की करते हैं। हिमाचल के भाखड़ा में एक तेंदुए का पीछा करते हुए ब्रिटिश जनरल लुई डेन सतलज नदी की तराई में पहुंच गए थे। यहां पर जब उन्होंने सतलज नदी के बहाव को देखा तो सोचा कि इसका इस्तेमाल तो बिजली बनाने में किया जा सकता है।

1908 में उन्होंने इसके लिए ब्रिटिश सरकार को एक प्रस्ताव भेजा, लेकिन सरकार ने पैसों की कमी का हवाला देते हुए मना कर दिया। इसके करीब 10 साल बाद तत्कालीन चीफ इंजीनियर एफ.ई. वैदर के प्रयासों से एक विस्तृत रिपोर्ट बनाई गई, जिसमें 395 फीट ऊंचा बांध बनाने का प्रस्ताव था।

इस बांध को रोपड़ से करीब 69 किलोमीटर दूर बनाया जाना था। अभी तक बांध को बनाने का उद्देश्य केवल सिंचाई के लिए पानी रोकना ही था। इस दौरान कई बार प्रोजेक्ट रिपोर्ट बनती रही लेकिन हर बार किसी वजह से पास न हो सकी। आखिरकार 1948 में प्रोजेक्ट रिपोर्ट पास हो पाई। इस रिपोर्ट में भाखड़ा डैम, नांगल डैम और नहरों को बनाने का प्रस्ताव था।

1951 में प्रोजेक्ट पर काम शुरू हुआ। अमेरिका से इंजीनियरों की टीम बुलाई गई। फैसला लिया गया कि पहले नहर बनाई जाएगी ताकि किसानों को जल्द से जल्द सिंचाई के लिए पानी मिल सके। सामान लाने ले जाने के लिए रोपड़ से नांगल तक 60 किलोमीटर लंबी रेल लाइन बिछाई गई, सड़कें भी बनाई गईं और 50 बेड का एक अस्पताल भी बनाया गया।

कहा जाता है कि भाखड़ा-नांगल नहर परियोजना पर पंडित नेहरू को बेहद गर्व था। उन्‍होंने इसके निर्माण के दौरान परियोजना का 10 बार दौरा किया। आज ही के दिन 1954 में नेहरू ने इस परियोजना का उद्घाटन किया था।
आज यानी आठ जुलाई फ्रांस की खूबसूरत राजधानी पेरिस का जन्मदिवस है। माना जाता है कि आज ही के दिन 250 बीसी में पेरिस की स्थापना हुई थी। पैरिसी जनजाति के कुछ लोग 250 बीसी के आसपास सीन नदी के किनारे पर आकर बसे थे। ये नदी फिलहाल पेरिस से होकर गुजरती है।

धीरे-धीरे नदी किनारे इन लोगों की आबादी बढ़ती गई और जनजाति के नाम पर ही इस इलाके को पेरिस पुकारा जाने लगा। 15 से 17वीं शताब्दी के दौरान पेरिस कला, आर्किटेक्चर और विज्ञान के केंद्र के तौर पर उभरा। 18वीं शताब्दी के मध्य में नेपोलियन तृतीय ने पेरिस को मॉडर्न तरीके से बसाने का फैसला लिया, जिसकी जिम्मेदारी इंजीनियर और प्लानर जॉर्ज यूजीन को दी गई।
हाल के पेरिस में कई चीजें यूजीन की प्लानिंग के तहत ही बनी हैं। आज पेरिस दुनिया के खूबसूरत शहरों में गिना जाता है। आइए एक नजर डालते हैं देश और दुनिया में आठ जुलाई को घटित हुईं महत्वपूर्ण घटनाओं परः

1716 : ग्रेट नॉर्दर्न वॉर: डायनेक्लिन का युद्ध पीटर टेर्डेंकॉल्ड के नीचे एक डेनिश-नॉर्वेजियाई बल फंस गया और इस तरह से उसने स्वीडिश बल को हराया।
1758 : फ्रांसीसी सेनाओं पर फोर्ट टीकेंडरोगा, न्यूयॉर्क में ब्रिटिश और औपनिवेशिक हमले किये गये।
1777 : वर्मोंट ने नए संविधान का परिचय दिया, जिससे गुलामी को खत्म करने वाला पहला अमेरिकी राज्य बना।
1791 : संगीतकार जोसेफ हेडन को ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय में संगीत की मानद डॉक्टरेट से सम्मानित किया गया।
1792 : फ्रांस ने प्रशिया पर युद्ध की घोषणा की।
1808 : जोसेफ बोनापार्ट ने बेयोन संविधान को मंजूरी दी थी।
1809 : फिनिश युद्ध में स्वीडिश द्वीपसमूह फ्लीट ने रूसियों को पोर्कला के नौसैनिक युद्ध में पराजित किया।
1833 : रूस और तुर्की ने रक्षा संधि पर हस्ताक्षर किये।
1853 : पेरी अभियान एक संधि अनुरोध व्यापार के साथ ईदो बे में आया था।
1859 : किंग चार्ल्स एक्सवी और चतुर्थ स्वीडन-नॉर्वे के सिंहासन पर सहमत हुए थे।
1876 : व्हाइट सुपरमैसिस्ट्स ने दक्षिण कैरोलिना के हैम्बर्ग में पांच काले रिपब्लिकन को मार दिया था।
1889: अमेरिकी अखबार ‘द वॉल स्ट्रीट जर्नल’ की शुरुआत हुई। आज हर दिन इसकी 20 लाख प्रतियां बिकती हैं।

1892 : सेंट जॉन्स, न्यूफाउंडलैंड 1892 की आग में तबाह हो गया था।
1895 : देलगोआ बे रेलवे दक्षिण अफ्रीका में खोला गया।
1912 : हेनरिक मिशेल डी पाइवा क्यूसेरो चाव्स में प्रथम पुर्तगाली गणराज्य के खिलाफ एक असफल शाही हमले की ओर गया था।
1914 : पश्चिम बंगाल में सबसे लंबे समय तक मुख्यमंत्री और वामपंथी राजनीति के आधार रहे ज्योति बसु का जन्म हुआ।
1918 : भारतीय संविधान में सुधार के लिए मांटेग्यु चेम्सफोर्ड रपट प्रकाशित की गई थी।
1930 : किंग जॉर्ज वी ने लंदन में इंडिया हाउस की स्थापना की।
1932 : अमेरिकी शेयर सूचकांक डाऊ जोंस ग्रेट डिप्रेशन के निचले स्तर 41 अंक पर पहुंच गया था।
1933 : ऑस्ट्रेलिया के वालाबीज और दक्षिण अफ्रीका के स्प्रिंगबोक के बीच पहला रग्बी यूनियन टेस्ट मैच केप टाउन के न्यूलैंड्स स्टेडियम में खेला गया था।
1937 : तुर्की, ईरान, इराक और अफगानिस्तान ने सादाबाद की संधि पर हस्ताक्षर किये थे।
1948 : संयुक्त राज्य वायु सेना ने महिलाओं की वायुसेना (डब्ल्यूएएफ) नामक कार्यक्रम में अपनी पहली महिला भर्ती स्वीकार की थी।
1954 : सतलज नदी पर निर्मित भाखड़ा नांगल पनबिजली परियोजना पर बनी सबसे बड़ी नहर का प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरु ने उद्घाटन किया गया था।
1955 : बुरखा विश्वविद्यालय थाईलैंड के चोनबरी प्रांत में स्थापित किया गया।
1960 : फ्रांसिस गैरी पावरों को सोवियत संघ पर अपनी उड़ान के परिणामस्वरूप जासूसी का आरोप लगाया गया था।
1966 : बुरुंडी के राजा मवांबुत्सा चतुर्थ बंगिरिकेंग को उनके बेटे प्रिंस चार्ल्स एनडीज़ी ने हटा दिया था।
1968 : क्रिसलर वाइल्डकैट स्ट्राइक डेट्रोइट, मिशिगन में शुरू हुआ था।
1970 : रिचर्ड निक्सन ने 1975 के भारतीय स्व-निर्धारण और शिक्षा सहायता अधिनियम की ओर अग्रसर अमेरिकी अमेरिकी नीति के रूप में मूल अमेरिकी आत्मनिर्भरता को लागू करने वाला एक विशेष कांग्रेस संदेश दिया था।
1972: बतौर कप्तान भारतीय क्रिकेट को नए तेवर देने वाले खिलाड़ी सौरव गांगुली का जन्म।
1972 : इज़राइली मोसाद ने फिलिस्तीनी लेखक घासन कनफानी की हत्या कर दी थी।
1982 : दुजैल में इराकी राष्ट्रपति सद्दाम हुसैन के खिलाफ हत्या का प्रयास किया गया था।
1992 : थॉमस क्लेस्टिल आस्ट्रिया के राष्ट्रपति बने।
1994 : किम जोंग-इल ने अपने पिता, किम इल-सुंग की मौत पर उत्तर कोरिया के सर्वोच्च नेतृत्व को ग्रहण किया था।
1997 : उत्तर अटलांटिक संधि संगठन (नाटो) ने पोलैंड, हंगरी और चेक गणराज्य को संगठन में शामिल होने का आमंत्रण दिया।
2003 : सूडान एयरवेज का विमान दुर्घटनाग्रस्त हुआ, जिसमें सवार सभी 116 यात्रियों की मौत हुई।
2007 : देश के 9वें प्रधानमंत्री चंद्रशेखर का निधन हुआ।
2007: 42 साल बाद भारत-बांग्लादेश के बीच रेल यातायात शुरू हुआ। 1965 के बाद से दोनों देशों के बीच रेल यातायात बंद था।
2011 : अंतरिक्ष शटल अटलांटिस यूएस अंतरिक्ष शटल कार्यक्रम के अंतिम मिशन में लॉन्च किया गया था।
2014 : इज़राइल ने तीन इज़राइली किशोरों के अपहरण और हत्या के बाद बढ़ते तनाव के बीच गाजा पर आक्रामक प्रक्षेपण किया था।
2014 : जर्मनी फुटबाल टीम के मिरोस्लाव क्लोस ने विश्वकप में सर्वाधिक 16 गोलों का विश्व रिकार्ड बनाया।
2016: पाकिस्तान के विश्व प्रसिद्ध इदी फाउंडेशन के संस्थापक अब्दुल सत्तार ईधी का निधन।

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