दिल्लीः जैसा कि आप जानते हैं कि विटामिन D आपके स्वास्थ्य के लिए बहुत जरूरी होता है। यह आपकी हड्डियों और दांतों को स्वस्थ बनाए रखता है। साथ ही यह शरीर में कई अन्य महत्वपूर्ण भूमिका भी निभाता है, जिसमें सूजन और प्रतिरक्षा कार्य (Immunity)को नियंत्रित करना भी शामिल है। सूर्य के रोशनी से आपका शरीर विटामिन डी का उत्पादन करता है, लेकिन ज्यादा देर तक इसके संपर्क में रहने से स्किन संबंधित कई तरह के रोग होने लगते हैं।
यह सही बात है कि स्वस्थ रहने के लिए आपके शरीर को पर्याप्त मात्रा में कई तरह के पोषक तत्वों के साथ विटामिन और मिनिरल्स की जरूरत होती है। जिसे बेहतर खान-पान और जीवनशैली द्वारा सुनिश्चित किया जा सकता है। कुछ स्थितियों में शरीर विटामिन्स को अवशोषित नहीं कर पाते हैं। ऐसे में विटामिन्स की पूर्ति इनके सप्लिमेंट्स(Vitamin Supplements) द्वारा पूरी की जाती है।
अधिकांश लोग बिना डॉक्टर की सलाह के भी विटामिन की खुराक लेना शुरू कर देते हैं। विटामिन शरीर के लिए आवश्यक होते हैं, लेकिन केवल तभी जब उन्हें एक निश्चित मात्रा में प्रदान किया जाता है। जब कुछ विटामिनों की आवश्यक खुराक शरीर में अधिक हो जाती है, तो यह या तो शरीर से निकल जाती है या फिर विषाक्तता हो जाती है। आज हम आपको बताने जा रहे हैं कि जब आपके शरीर में Vitamin-D की मात्रा बढ़ जाती है, तो उससे क्या नुकसान होता है।
आपको बता दें कि शरीर में विषाक्त होने वाले विटामिन डी की स्थिति को हाइपरविटामिनोसिस डी कहा जाता है। यह एक गंभीर स्थिति होती है। ऐसा तभी होता है जब आप जरूरत से ज्यादा विटामिन डी खुराक लेते हैं। आहार या सूर्य के संपर्क से यह स्थिति नहीं पैदा होती है। ऐसा इसलिए है क्योंकि आपका शरीर सूर्य के संपर्क में आने से उत्पन्न विटामिन डी की अतिरिक्त मात्रा को नियंत्रित कर देता है।
विटामिन डी उस समय आपके शरीर के लिए जहर बन जाता है, जब इसका स्तर सामान्य से अधिक हो जाता है जो वयस्कों के लिए 20 से 40 एनजी / एमएल के बीच होता है। इसलिए विटामिन सप्लिमेंट्स को डॉक्टर से सलाह लेने के बाद ही लेना चाहिए।
हाइपरविटामिनोसिस डी के लक्षणः
- जी मिचलाना
- उल्टी
- कब्ज
- भूख न लगना
- अनियमित मल त्याग
- भ्रम
- डिप्रेशन
- मानसिक रोग
- कोमा
हम आपको यही सलाह देंगे कि यदि आपको कोई मेडिकल कंडीशन नहीं है जिसके वजह से आपका शरीर विटामिन्स को प्राकृतिक रूप से अवशोषित न कर पाता है तो इसके सप्लीमेंट्स न लें। शरीर में विटामिन D की पूर्ति नेचुरल तरीके से करना बेहतर विकल्प होता है। इसके लिए आप वसायुक्त मछली, जैसे टूना, मैकेरल और सैल्मन, डेयरी उत्पाद, संतरे का रस, सोया दूध और अनाज, पनीर, अंडे का सेवन कर सकते हैं।