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दलाई लामा को मोदी की बधाई पर बिफरा चीन, कही यह बात, भारत ने दिया करारा जबाव - Prakhar Prahari
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दलाई लामा को मोदी की बधाई पर बिफरा चीन, कही यह बात, भारत ने दिया करारा जबाव

बीजिंग: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आध्यात्मिक गुरु दलाई लामा को जन्मदिन की बधाई क्या दी चीन बिफर पड़ा। चीन ने दलाई लामा को उनके 87वें जन्मदिन पर बधाई देने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की आलोचना की है। आपको बता दें कि छह जुलाई को दलाई लामा का जन्मदिन था और इस मौके पर मोदी ने उन्हें बधाई दी थी।

चीन ने मोदी की आलोचना करते हुए कहा कि भारत को निर्वासित तिब्बती आध्यात्मिक नेता के अलगाववादी स्वभाव को पूरी तरह से समझना चाहिए और चीन के आंतरिक मामले में हस्तक्षेप करने के लिए तिब्बत से संबंधित मुद्दों का इस्तेमाल करना बंद कर देना चाहिए। आपको बता दें कि पीएम मोदी ने बुधवार को दलाई लामा के 87 वर्ष के होने पर उन्हें फोन पर बधाई दी। उन्होंने ट्वीट कर कहा था कि हम उनके लंबे जीवन और उत्तम स्वास्थ्य की कामना करते हैं। प्रधानमंत्री ने पिछले साल भी दलाई लामा को उनके जन्मदिन पर बधाई दी थी। दलाई लामा के अनुयायियों ने धर्मशाला में उनका जन्मदिन मनाया जहां दलाई लामा 1959 से रहते हैं।

पीएम मोदी की शुभकामनाओं पर एक सवाल को लेकर प्रतिक्रिया देते हुए चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता झाओ लिजियान ने कहा कि भारतीय पक्ष को 14वें दलाई लामा के चीन विरोधी अलगाववादी स्वभाव को पूरी तरह से पहचानना चाहिए। उन्होंने कहा, ‘‘चीन के प्रति अपनी प्रतिबद्धता का पालन करना चाहिए, समझदारी से बोलना और कार्य करना चाहिए तथा चीन के आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप करने के लिए तिब्बत से संबंधित मुद्दों का इस्तेमाल बंद कर देना चाहिए। उन्होंने कहा कि तिब्बत से जुड़े मामले चीन के आंतरिक मामले हैं और इसमें किसी भी बाहरी ताकत का दखल नहीं होना चाहिए। चीन विदेशी अधिकारियों और दलाई लामा के बीच सभी तरह के संपर्क का कड़ा विरोध करता है।’’

वहीं भारत ने दलाई लामा को उनके जन्मदिन पर प्रधानमंत्री मोदी द्वारा बधाई देने पर चीन की आपत्ति को खारिज करते हुए कहा कि सरकार की नीति भारत में दलाई लामा को हमेशा सम्मानित अतिथि के रूप में देखने की रही है और इसे समग्र संदर्भ में देखा जाना चाहिए। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने इस बारे में संवाददाताओं से कहा कि दलाई लामा भारत में सम्मानित अतिथि और धार्मिक नेता हैं जिन्हें धार्मिक एवं आध्यात्मिक कार्यों को करने के लिये उचित शिष्टाचार एवं स्वतंत्रता प्रदान की गई है। इनके बड़ी संख्या में अनुयायी हैं। उन्होंने कहा कि दलाई लामा का जन्मदिन भारत और दुनियाभर में उनके अनुयायियों द्वारा मनाया जाता है। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा दलाई लामा को जन्मदिन की शुभकामना देने को समग्र संदर्भ में देखा जाना चाहिए।

 

आपको बता दें कि चीन दलाई लामा पर अलगाववादी गतिविधियों में शामिल होने का आरोप लगाता रहा है। हालांकि, तिब्बती आध्यात्मिक नेता का कहना है कि वह आजादी नहीं बल्कि मध्य-मार्गी दृष्टिकोण के तहत तिब्बत के तीन पारंपरिक प्रांतों में रहने वाले सभी तिब्बतियों के लिए वास्तविक स्वायत्तता की मांग कर रहे हैं। चीन की यह प्रतिक्रिया ऐसे समय में आई है जब इंडोनेशिया के बाली में जी20 समूह के विदेश मंत्रियों की शिखर बैठक से इतर विदेश मंत्री एस जयशंकर और चीन के विदेश मंत्री वांग यी के बीच द्विपक्षीय वार्ता हुई है।

चीन ने दलाई लामा को बधाई देने के लिए अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन की भी आलोचना की। आपको बता दें कि ब्लिंकन ने अपने संदेश में कहा कि अमेरिका तिब्बती समुदाय की विशिष्ट भाषाई, धार्मिक और सांस्कृतिक परंपराओं को संरक्षित करने के प्रयासों का समर्थन करना जारी रखेगा, जिसमें स्वतंत्र रूप से अपने धार्मिक नेताओं को चुनने की उनकी क्षमता भी शामिल है। वहीं, ब्लिंकन की आलोचना करते हुए झाओ ने कहा कि तिब्बत के मामले चीन के आंतरिक मामले हैं, जिसमें कोई विदेशी हस्तक्षेप नहीं होना चाहिए। चीन 14वें दलाई लामा के साथ किसी भी देश के किसी भी जुड़ाव के खिलाफ है।

चीन प्रवक्ता ने कहा कि दलाई लामा धार्मिक व्यक्ति के वेश में राजनीतिक निर्वासित शख्स हैं जो लंबे समय से चीन विरोधी अलगाववादी गतिविधियों में लिप्त हैं। झाओ ने कहा, ‘‘हम अमेरिकी पक्ष से तिब्बत से संबंधित मुद्दों की महत्वपूर्ण और संवेदनशील प्रकृति की पूरी समझ रखने, चीन के मूल हितों का सम्मान करने, दलाई लामा समूह की चीन विरोधी अलगाववादी प्रकृति की स्पष्ट समझ रखने तथा तिब्बत से संबंधित अपनी प्रतिबद्धता का पालन करने का आग्रह करते हैं। दलाई लामा के साथ किसी भी प्रकार के जुड़ाव को रोकें और बाहरी दुनिया को कोई गलत संकेत भेजना बंद करें। झाओ ने कहा, ‘‘तिब्बत में सभी जातीय समूहों के लोगों धार्मिक विश्वास की स्वतंत्रता मिली है और अपनी जातीय भाषाओं का उपयोग करने और विकसित करने की स्वतंत्रता हैं। अन्य अधिकार और स्वतंत्रता भी पूरी तरह से सुरक्षित हैं।

Delhi Desk

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