दिल्लीः बीजेपी की पूर्व प्रवक्ता नुपूर शर्मा को लेकर सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी से पूर्व जज और ब्यूक्रेट खफा है। 15 रिटायर्ड जजों, 77 रिटायर्ड नौकरशाहों और 25 रिटायर्ड सैन्य अधिकारियों सीजेआई एनवी रमना को चिट्ठी लिखी है। इन लोगों ने खत में कहा है कि सुप्रीम कोर्ट ने लक्ष्मण रेखा लांघी है और नूपुर के मामले में तुरंत न्यायालय को सुधार संबंधी कदम उठाने चाहिए।

इन लोगों ने चिट्ठी में यह भी कहा है कि जस्टिस सूर्यकांत त्रिपाठी की टिप्पणियों और आदेशों को वापस लेने का निर्देश दिया जाए।

इस चिट्ठी पर जिन लोगों को हस्ताक्षर हैं, उनमें केरल हाईकोर्ट के पूर्व जस्टिस पीएस रविंद्रन, बॉम्बे हाईकोर्ट के पूर्व चीफ जस्टिस क्षितिज व्यास, गुजरात हाईकोर्ट के पूर्व चीफ जस्टिस एसएम सोनी, राजस्थान हाईकोर्ट के पूर्व चीफ जस्टिस आरएस राठौर और प्रशांत अग्रवाल, दिल्ली हाईकोर्ट के पूर्व चीफ जस्टिस एसएन ढींगरा भी शामिल हैं।

वहीं, पूर्व आईएएस (IAS) अधिकारियों में आरएस गोपालन और एस कृष्ण कुमार, राजदूत (रिटायर) निरंजन देसाई, पूर्व DGP एसपी वैद, बी एल वोहरा, लेफ्टिनेंट जनरल वी के चतुर्वेदी (रिटायर) शामिल हैं। इन लोगों ने कहा है कि नूपुर के केस में सुप्रीम कोर्ट के जजों के कमेंट न्यायिक मूल्यों से मेल नहीं खाते हैं।

इन लोगों ने चिट्ठी में लिखा,  “न्यायपालिका के इतिहास में ऐसी दुर्भाग्यपूर्ण टिप्पणियां कभी नहीं हुईं। ये सबसे बड़े लोकतंत्र की न्याय प्रणाली पर धब्बे की तरह हैं। जिनको तत्काल सुधारने की जरूरत है, क्योंकि इसके कारण लोकतांत्रिक मूल्यों और देश की सुरक्षा पर गंभीर असर पड़ सकता है। इन कमेंट्स का केस से लेना-देना नहीं था।”

आपको बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने नुपूर शर्मा की याचिका पर सुनवाई के दौरान उदयपुर और अमरावती में हुई हत्याओं के लिए उन्हें जिम्मेदार बताया था। इसके बाद जजों की टिप्पणी को लेकर उन पर लगातार पर्सनल अटैक हो रहे हैं। नूपुर शर्मा की याचिका पर सुनवाई करने वाली बेंच का हिस्सा रहे एक जज ने इन हमलों पर आपत्ति जताई थी। न्यायमूर्ति जेबी पारदीवाला ने एक कार्यक्रम में कहा था कि न्यायाधीशों पर उनके फैसलों के लिए व्यक्तिगत हमले करना खतरनाक है।

आपको बता दें कि नुपूर शर्मा ने पैगंबर मोहम्मद पर टिप्पणी करने को लेकर अपने खिलाफ देशभर में दर्ज मुकदमों को दिल्ली स्थानांतरित करने का अनुरोध किया था। उन्होंने न्यायालय में खुद की सुरक्षा का हवाला था। इस पर कोर्ट ने कहा था कि आपको खतरा है या आपके बयान ने देश के लिए खतरा उत्पन्न कर दिया है।

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