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आज का इतिहासः आज ही के दिन125 साल पहले मार्कोनी को मिला था रेडियो के लिए पेटेंट, इस आविष्कार ने दिया था दुनिया में संचार क्रांति को जन्म - Prakhar Prahari
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आज का इतिहासः आज ही के दिन125 साल पहले मार्कोनी को मिला था रेडियो के लिए पेटेंट, इस आविष्कार ने दिया था दुनिया में संचार क्रांति को जन्म

दिल्लीः इटली के एक बेहद मशहूर भौतिक वैज्ञानिक गुल्येलमो मार्कोनी थे, जिन्होंने इलेक्ट्रोमैग्नेटिक तरंगों के जरिए एक जगह से दूसरी जगह मैसेज पहुंचाने के बारे में सोचा। इसके लिए उन्होंने एक यंत्र बनाया, जिसके जरिए कुछ दूरी तक एक जगह से दूसरी जगह संदेश भेजा जा सकता था। इस यंत्र में एक सेंडर और एक रिसीवर था। सेंडर से इलेक्ट्रोमैग्नेटिक तरंगे छोड़ी जाती और रिसीवर उन्हें पकड़ लेता।

कहा जाता है कि मार्कोनी को अपने देश में ज्यादा तवज्जो नहीं मिली। लिहाजा 1896 में मार्कोनी इस यंत्र को लेकर इंग्लैंड चले गए। वहां उनकी मुलाकात सर विलियम प्राइस से हुई, जो मार्कोनी की तरह ही वायरलेस टेलीग्राफी पर काम कर रहे थे। मार्कोनी ने अपने इस यंत्र के अलग-अलग एक्सपेरिमेंट किए और हर बार पहले से ज्यादा दूरी तक सिग्नल भेजने में कामयाब रहे। 1896 में ही मार्कोनी ने रेडियो के पेटेंट के लिए आवेदन किया और आज ही के दिन उन्हें 1897 में रेडियो के लिए पेटेंट मिल गया।

मार्कोनी ने साल 1899 में तो कारनामा ही कर दिया। इस साल उन्होंने फ्रांस और इंग्लैंड के बीच वायरलेस सिग्नल भेजने में सफलता पाई। दुनियाभर में अब तक ये बात पूरी तरह सिद्ध हो चुकी थी कि इन रेडियो वेव्स का इस्तेमाल संचार के लिए किया जा सकता है, लेकिन वैज्ञानिकों का अभी भी मानना था कि पृथ्वी की गोलाई की वजह से रेडियो वेव्स ज्यादा दूर तक नहीं जा सकतीं। मार्कोनी ने ठाना कि वह इस बात को गलत साबित करेंगे। उन्होंने फैसला लिया कि वह इन तरंगों को अटलांटिक महासागर के पार भेजेंगे।

इसके लिए कनाडा के सेंट जॉन्स में समुद्र किनारे स्थित एक टीले को चुना गया और यहां पर मार्कोनी ने अपना यंत्र लगाया। दूसरी तरफ इंग्लैंड के पोल्ढू से कनाडा में संदेश भेजे जाते। दिसंबर 1901 में इंग्लैंड से भेजे गए एक संदेश को मार्कोनी के एंटीने ने सफलतापूर्वक कैच कर लिया और इस प्रयोग ने दुनिया में संचार क्रांति ला दी। आज दुनियाभर के सारे संचार माध्यम मार्कोनी के प्रिंसिपल पर ही काम करते हैं। 1909 में मार्कोनी को इस आविष्कार के लिए नोबेल पुरस्कार से सम्मानित किया गया।

भारत में ईस्ट इंडिया कंपनी व्यापार के लिए आई थी, लेकिन मुगलों की कमजोर होती ताकत को देखकर धीरे-धीरे कंपनी ने भारत के इलाकों को अपने कब्जे में लेना शुरू कर दिया। व्यापार के नजरिए से बंगाल अंग्रेजों और फ्रांसीसियों दोनों के लिए पसंदीदा जगह थी। दोनों यहां पर कब्जा करने के लिए अलग-अलग हथकंडे अपना रहे थे।

अलीवर्दी खां ने 1740 में बंगाल को मुगल साम्राज्य से अलग कर लिया और यहां के नवाब बन गए। उनके निधन के बाद बंगाल के नवाब की कुर्सी पर सिराजुद्दौला बैठे। इधर, बंगाल में जगह-जगह अंग्रेज किलेबंदी कर रहे थे। 20 जून 1756 को सिराजुद्दौला ने हुगली नदी के पास फोर्ट विलियम पर हमला किया और अंग्रेजों को यहां से भगा दिया। इस दौरान 146 लोगों को एक कमरे में बंद कर दिया गया, जिसमें से 100 से ज्यादा की अगले दिन मौत हो गई।
इसके बाद अंग्रेजों ने सिराजुद्दौला को अपने रास्ते से हटाने की तैयारी की। इसके लिए उन्होंने सिराजुद्दौला के सेनापति मीरजाफर को कोलकाता का नवाब बनाने का लालच दिया और उसे अपनी तरफ कर लिया। 27 जून 1757 को प्लासी में अंग्रेजों की सेना और सिराजुद्दौला की सेना के बीच युद्ध हुआ, लेकिन सेनापति मीरजाफर ने सिराजुद्दौला को धोखा दिया और वह युद्ध हार गया। सिराजुद्दौला को बंदी बना लिया गया और अंग्रेजों ने मीरजाफर को बंगाल का नवाब बना दिया। आज ही के दिन सिराजुद्दौला की मीरजाफर के लोगों ने नृशंस हत्या कर दी। उसके शव को हाथी पर बांधकर पूरे शहर में घुमाया गया।

इस्लाम को मानने वालों को 5 फर्ज अदा करने होते है, जिसमें से एक फर्ज हज भी है। हर साल दुनियाभर से लाखों मुस्लिम इस फर्ज को अदा करने सऊदी अरब के शहर मक्का और मदीना जाते हैं। 1990 में आज ही के दिन हज यात्रा के दौरान भगदड़ मचने से 1426 लोगों की मौत हो गई थी। इस हादसे को हज के दौरान हुए सबसे भीषण हादसों में गिना जाता है।

ये हादसा तब हुआ था, जब हज यात्री एक सुरंग से गुजर रहे थे। इस दौरान कुछ लोग सुरंग में ही थोड़ी देर के लिए रुक गए जिससे सुरंग के मुहाने पर भीड़ इकट्ठी होने लगी, क्योंकि सुरंग के बाहर गर्मी बहुत थी इसलिए लोग सुरंग में जाने के लिए जल्दी करने लगे। इसी जल्दबाजी में सुरंग के भीतर भगदड़ मच गई जिसमें 1426 लोगों की दबकर मौत हो गई। कहा जाता है कि सुरंग में वेंटिलेशन के लिए लगाए गए पंखे भी बंद हो गए थे। इस वजह से भी भगदड़ मची। मरने वालों में ज्यादातर लोग एशिया महाद्वीप के थे। आइए एक नजर डालते हैं देश और दुनिया में 02 जुलाई को घटित हुईं महत्वपूर्ण घटनाओं पर-

1306: अलाउद्दीन खिलजी ने 2 जुलाई को ही सिवाणा के किले पर हमला किया था। तब उस दुर्ग पर कान्हड़देव के भतीजे चौहान सरदार शीतलदेव का कब्जा था।
1757 : प्लासी की लड़ाई में हार के बाद बंगाल के अंतिम नवाब सिराजुद्दौला की हत्या।
1777: अमेरिका के वोरमोंट शहर में दास प्रथा की समाप्ति।
1781: मैसूर के सुल्तान हैदर अली और अंग्रेज सेना में पोर्टो नोवो (अब परांगीपेट्टई) का युद्ध हुआ।
1897: इतालवी वैज्ञानिक गुगलेल्मो मारकोनी को लंदन में रेडियो का पेटेंट मिला।
1911: अमेरिका ने कोलंबिया के साथ राजनयिक संबंधों को समाप्त कर वहां के वाणिज्य दूतावास को भी बंद किया।
1916: भारतीय भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण विभाग की स्थापना हुई।
1934: भारत के महान क्रांतिकारियों में से एक असित भट्टाचार्य का निधन हुआ था।
1940: ब्रिटिश सरकार ने 2 जुलाई, 1940 ई. को विद्रोह भड़काने के आरोप में सुभाषचंद्र बोस को गिरफ्तार कर लिया था।
1948: प्रसिद्ध जनकवि आलोक धन्वा का जन्म हुआ था।
1950: स्वतंत्रता सेनानी और समाज सुधारक यूसुफ़ मेहरअली का निधन।
1962: सैम वॉल्टन ने वालमार्ट की शुरुआत की। आज वालमार्ट अमेरिका का सबसे बड़ा रिटेल स्टोर है।
1962: प्रसिद्ध लेखक अर्नेस्ट हेमिंग्वे ने खुद को गोली मारकर आत्महत्या कर ली। हालांकि उनकी पत्नी का कहना था कि गन को साफ करते हुए उन्हें गोली लग गई।
1972: 1971 के युद्ध में पाकिस्तान की करारी हार के बाद आज ही के दिन भारत-पाकिस्तान ने शिमला समझौते पर हस्ताक्षर किए थे। भारत की ओर से प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी और पाकिस्तान की ओर से राष्ट्रपति जुल्फिकार अली भुट्टो ने समझौते पर हस्ताक्षर किए थे।
1983: स्वदेश निर्मित परमाणु बिजली केंद्र की पहली इकाई ने मद्रास के निकट कलपक्कम में काम करना शुरू किया।
1985: आंद्रेई ग्रोमिको को सोवियत संघ का राष्ट्रपति निर्वाचित किया गया था।
1990: सऊदी अरब में मक्का-मीना में भगदड़ से 1,426 हज यात्रियों की मौत।
2002: स्टीव फोसेट गुब्बारे के जरिए दुनिया का भ्रमण करने वाले पहले व्यक्ति बने।
2004: भारत और पाकिस्तान के विदेश मंत्री ने जकार्ता में आपसी बातचीत की।
2004: छत्रपति शिवाजी टर्मिनल स्टेशन को यूनेस्को की विश्व धरोहर समिति द्वारा विश्व धरोहर स्थल घोषित किया गया।
2010: कांगो में टैंकर ट्रक विस्फोट में 230 लोगों की मौत हो गई।
2015: फिलीपींस में 220 यात्रियों से भरी नौका डूबने से 62 लोगों की मौत।

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