Deprecated: The PSR-0 `Requests_...` class names in the Requests library are deprecated. Switch to the PSR-4 `WpOrg\Requests\...` class names at your earliest convenience. in /home1/prakhndx/public_html/wp-includes/class-requests.php on line 24
आज का इतिहासः 30 साल पहले पहली बार हुआ था ये अनोखा लिवर ट्रांसप्लांट, लंगूर के लीवर से एक इंसान 70 दिन तक जिंदा रहा था - Prakhar Prahari
Subscribe for notification
Categories: शिक्षा

आज का इतिहासः 30 साल पहले पहली बार हुआ था ये अनोखा लिवर ट्रांसप्लांट, लंगूर के लीवर से एक इंसान 70 दिन तक जिंदा रहा था

दिल्लीः वैसे तो 28 जून को कई महत्वपूर्ण घटनाएं घटित हुई हैं, लेकिन उन सभी में सबसे पहले जिन घटनाओं का जिक्र करना अनिवार्य है, उनमें दो घटिनाएं विज्ञान से जुड़ी हुई हैं, जबकि तीसरी घटना ब्रिटिश राजघराने से जुड़ी हुई है। 34 वर्षीय अमेरिकी निवासी रॉबिन (बदला हुआ नाम) का लिवर ठीक से काम नहीं कर रहा था। रॉबिन के लिवर के अंदरूनी हिस्सों में ब्लीडिंग हो रही थी। रॉबिन ने जब लिवर की जांच करवाई तब पता चला कि उन्हें हेपेटाइटिस बी और एड्स दोनों हैं। इसी दौरान थॉमस का एक एक्सीडेंट हुआ, जिसमें स्पलीन (तिल्ली) में काफी घाव हुए और बाद में उनकी स्पलीन को भी निकालना पड़ा। बात 1989 की बात है।

रॉबिन को डॉक्टरों ने लिवर ट्रांसप्लांट की सलाह दी, लेकिन रॉबिन को इतनी सारी बीमारियां थीं कि कोई भी डॉक्टर ट्रांसप्लांट करने को तैयार नहीं था। थक-हारकर रॉबिन जनवरी 1992 में पिट्सबर्ग आए। इस समय पीलिया, लिवर में परेशानी, हेपेटाइटिस और एड्स की वजह से उनकी हालत दिन-ब-दिन गिरती जा रही थी।

आखिरकार पिट्सबर्ग के डॉक्टर थॉमस स्टार्जल और डॉक्टर जॉन फंग लिवर ट्रांसप्लांट करने को राजी हुए। ये दोनों डॉक्टर उस समय अमेरिका में ऑर्गन ट्रांसप्लांट के लिए मशहूर थे। दोनों डॉक्टरों ने तय किया कि रॉबिन को लंगूर का लिवर ट्रांसप्लांट किया जाएगा।

उस समय माना जाता था कि लंगूर के लिवर पर HIV (AIDS) वायरस का कोई असर नहीं होता है। साथ ही अलग-अलग मेडिकल इंस्टीट्यूट्स में लंगूर के लिवर ट्रांसप्लांट को लेकर कई रिसर्च भी की जा रही थी। टेक्सास के साउथवेस्ट फाउंडेशन फॉर रिसर्च एंड एजुकेशन से 15 साल के एक लंगूर को लाया गया। इस लंगूर और थॉमस का ब्लड ग्रुप एक ही था।

डॉक्टरों की टीम ने एक जटिल ऑपरेशन के बाद आज ही के दिन यानी 28 जून को लंगूर के लिवर को रॉबिन के शरीर में ट्रांसप्लांट कर दिया। 5 दिन बाद रॉबिन को खाना खिलाना और चलाना शुरू किया गया। तीन हफ्तों बाद लिवर का वजन भी बढ़ गया और लिवर नॉर्मल फंक्शनिंग करने लगा।

इसके करीब एक महीने बाद रॉबिन को हॉस्पिटल से छुट्टी दे दी गई। इस समय तक ये लिवर ट्रांसप्लांट सफल था। पूरा चिकित्सा जगत इसे एक बड़ी उपलब्धि मान रहा था। हालांकि जानवरों से इंसानों में ये पहला ट्रांसप्लांट नहीं था। इससे पहले भी सूअर और लंगूर के अंगों को इंसानों में ट्रांसप्लांट किया गया था, लेकिन उनमें से ज्यादातर लोगों की मौत ट्रांसप्लांट के एक महीने के भीतर ही हो गई थी।

रॉबिन हॉस्पिटल से घर पहुंचे, लेकिन 21 दिनों बाद ही रॉबिन के पूरे शरीर में संक्रमण फैल गया और गुर्दे ने काम करना बंद कर दिया। उन्हें वापस हॉस्पिटल में भर्ती कराया गया और डायलिसिस शुरू किया गया। रॉबिन के शरीर में धीरे-धीरे संक्रमण बढ़ता गया और ट्रांसप्लांट के 70 दिनों बाद रॉबिन की ब्रेन हैमरेज से मौत हो गई।

इसके बाद जनवरी 1993 में भी एक 62 साल के शख्स को लंगूर का लिवर ट्रांसप्लांट किया गया, लेकिन 26 दिन बाद ही उसकी भी मौत हो गई।
अब बात करते हैं क्वीन विक्टोरिया की ताजपोशी की। ब्रिटेन के किंग विलियम IV का 20 जून 1837 को निधन हो गया। किंग विलियम की कोई संतान नहीं थी, इस वजह से विक्टोरिया को ब्रिटेन की रानी बनाया गया। आज ही के दिन साल 1838 में उनका राज्याभिषेक हुआ था। मात्र 19 साल की उम्र में विक्टोरिया के हाथों में ब्रिटेन की कमान आ गई थी।

विक्टोरिया प्रिंस एडवर्ड की इकलौती संतान थीं। 24 मई 1819 को केंसिंग्टन पैलेस में उनका जन्म हुआ था। 10 फरवरी 1840 को उनकी शादी प्रिंस अल्बर्ट से हुई। दोनों के 9 बच्चे हैं और पूरे यूरोप में अलग-अलग जगहों पर इन बच्चों की शादी हुई है, इस वजह से विक्टोरिया को ‘यूरोप की दादी’ भी कहा जाता है।

63 सालों तक वे ब्रिटेन की महारानी रहीं। उनके कार्यकाल में ब्रिटेन ने हर क्षेत्र में तरक्की की और एक विश्व शक्ति के रूप में उभरा। कहा जाता है कि रानी ने अपने कार्यकाल में एक चौथाई दुनिया पर राज किया था। उनके पूरे कार्यकाल को विक्टोरियन युग कहा जाता है। साल 1876 में बिर्टिश पार्लियामेंट ने उन्हें भारत की महारानी भी बनाया। 1901 तक वे भारत की महारानी रहीं।

1861 में जब उनके पति की मौत हुई, तब उनको इस बात का इतना गहरा धक्का लगा कि उसके बाद से वे पूरी उम्र एक विधवा की तरह काले कपड़े पहनने लगीं। इसी वजह से उन्हें ‘द विडो ऑफ विंडसर’ भी कहा जाता है।
1901 में रानी का निधन हो गया और इसी के साथ विक्टोरियन युग भी समाप्त हुआ।

नासा ने 6 अप्रैल 1965 को अंतरिक्ष में ‘अर्ली बर्ड’ नामक कम्यूनिकेशन सैटेलाइट लॉन्च किया। अर्ली बर्ड दुनिया का पहला कमर्शियल कम्यूनिकेशन सैटेलाइट था। ये सैटेलाइट नॉर्थ अमेरिका और यूरोप के बीच कम्यूनिकेशन सर्विस मुहैया कराता था।

इसे ह्यूज एयरक्राफ्ट कंपनी ने बनाया था और एक बार में ये सैटेलाइट 240 टेलीफोन को कनेक्ट कर सकता था। इसके जरिए ही पहला टेलीफोन कॉल किया गया था। इसकी उम्र 18 महीने थी लेकिन ये 2 साल से ज्यादा समय तक काम करता रहा।

1990 में इस सैटेलाइट के लॉन्च होने की 25वीं सालगिरह पर इसे फिर से एक्टिव किया गया। बाद में इसका नाम बदलकर इनटेलसेट-1 कर दिया गया और फिलहाल ये सैटेलाइट इनेक्टिव है। नासा ने इस सीरीज के कई सैटेलाइट अंतरिक्ष में भेजे जिनका इस्तेमाल कम्यूनिकेशन टेक्नोलॉजी को बढ़ाने में किया गया। आइए एक नजर डालते हैं 28 जून को देश और दुनिया में घटित हुईं महत्वपूर्ण घटनाओं पर

1776- अमेरिकी की जीत के साथ सुलीवन द्वीप युद्ध समाप्त।
1838- विक्टोरिया इंग्लैंड की महारानी बनीं।
1846- एडोल्फ सैक्स ने वाद्य यंत्र सेक्सोफोन को पेटेंट कराया।
1857- नाना साहेब ने बिठूर में स्वयं को पेशवा घोषित किया।
1894- अमेरिकन कांग्रेस ने सितंबर के पहले सोमवार को लेबर डे घोषित किया। तबसे हर साल इस दिन को अमेरिका में लेबर डे के तौर पर मनाया जाता है।
1914- प्रथम विश्व युद्ध का तात्कालिक कारण: आस्ट्रिया के आर्कड्यूक फ्रांज र्फिडनेंड और उनकी पत्नी सोफी की साराजेवो में हत्या।
1919- वारसा की संधि पर हस्ताक्षर।
1921- भारत के पूर्व प्रधानमंत्री पी.वी. नरसिम्हा राव का जन्म।
1926- गोटलिब डैमलर और कार्ल बेन्ज ने दो कंपनियों का विलय कर मर्सिडीज-बेंज की शुरुआत की।
1940- बांग्लादेशी अर्थशास्त्री और नोबेल पुरस्कार से सम्मानित मोहम्मद युनुस का जन्म।
1975- भारत में आपातकाल के दौरान प्रेस प्रतिबंध लागू किया गया।
1981- चीन ने कैलाश और मानसरोवर का रास्ता खोला।
1981- तेहरान में भीषण बम विस्फोट, इस्लामिक रिपब्लिकन पार्टी के 73 पदाधिकारी मारे गये।
1986- लाल डेंगा मिजोरम के मुख्यमंत्री बने।
1986- केन्द्र सरकार ने अविवाहित लड़कियों को भी मातृत्व अवकाश देने का कानून बनाया।
1995- बाघों को शिकारियों से बचाने और उन्हें आश्रय देने के लिए मध्यप्रदेश को ‘टाइगर स्टेट’ घोषित किया गया।
1996- भारत ने फिलस्तीनी नियंत्रण वाले गाजा सिटी में अपना मिशन खोला।
2004- अमेरीका ने इराक के लोगों को शासन की बागडोर सौंपी।
2004- तुर्की के इस्तांबुल में उत्तर अटलांटिक संधि संगठन (नाटो) का 17वां शिखर सम्मेलन शुरु हुआ।
2005- रूस ने ईरान के लिए छह परमाणु रिएक्टर बनाने की घोषणा की।
2007- आईफोन के नाम से जाना जाने वाला ऐपल का पहला स्मार्टफोन बाजार में आया।
2009- भारत के अलग-अलग शहरों में समलैंगिकता को लीगल करने के लिए गे प्राइड परेड का आयोजन किया गया।
2012- भारत के प्रसिद्ध साहित्यकार व उपन्यासकार अमर गोस्वामी का निधन।
2012- तीन दशक से पाकिस्तान की जेल में बंद सुरजीत सिंह को पाकिस्तान ने भारत को सौंपा। सुरजीत पर पाकिस्तान ने जासूसी का आरोप लगाया था।

admin

Recent Posts

गाजा पहुंचे नेतन्याहू, इजरायल-हमास जंग के बीच सैन्य ठिकानों का दौरा किया

दिल्लीः इजरायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने इजरायल और हमास के बीच जारी जंग के दौरान पहली बार गाजा का…

3 days ago

इमोशनल टेंशन से टूटा रहमान का रिश्ता, 29 साल बाद पत्नी सायरा से अलग हुए, लिखा- उम्मीद थी 30 साल पूरे कर लेंगे

मुंबईः बॉलीवुड के महान संगीतकार एवं ऑस्कर पुरस्कार विजेता एआर रहमान (57) करीब तीन दशक बाद अपनी पत्नी सायरा बानू…

3 days ago

भारत-चीन के बीस सीधी उड़ान शुरू करने पर चर्चा, मानसरोवर यात्रा फिर शुरू करने पर भी G20 में बातचीत

दिल्लीः पांच साल बाद भारत और चीन के बीच सीमा विवाद के मुद्दे पर विशेष प्रतिनिधियों की बैठक बुलाने पर…

4 days ago

21 से 24 नवंबर तक भाग्यनगर में लोकमंथन का आयोजन, राष्ट्रपति मुर्मू 22 को करेंगी उद्घाटन

संवाददाताः संतोष कुमार दुबे दिल्लीः भाग्यनगर के नाम से प्रसिद्ध तेलंगाना के हैदराबाद में 21 नवंबर से वैश्विक सांस्कृतिक महोत्सव…

4 days ago