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शिंदे गुट को सुप्रीम कोर्ट से मिला रक्षा कवच, कोर्ट ने बागी विधायकों को अयोग्य ठहराने वाले नोटिस पर 12 जुलाई तक लगाई रोक

दिल्लीः एकनाथ शिंदे गुट के विधायकों को सुप्रीम कोर्ट से रक्षा कवच मिल गया है। कोर्ट ने सोमवार को शिवसेना के बागी गुट के 15 विधायकों को अयोग्य ठहराने के नोटिस पर 12 जुलाई तक के लिए रोक लगा दी। इस दौरान कोर्ट ने अविश्वास प्रस्ताव को लेकर आदेश पारित करने से इनकार कर दिया। इससे स्पष्ट है कि आने वाले दिनों में महाराष्ट्र विधानसभा में अविश्वास प्रस्ताव लाया जा सकता है। शिंदे गुट के विधायकों की सदस्यता 11 जुलाई तक अक्षुण्ण रहेगी और उनका मत विश्वास मत की स्थिति में मायने रखेगा।

न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति जेबी पारदीवाला की अवकाशकालीन पीठ ने एकनाथ शिंद तथा अन्य बागी विधायकों की ओर से भरत गोगावाले की याचिकाओं पर सुनवाई की और महाराष्ट्र विधानसभा के उपाध्यक्ष, केंद्र सरकार तथा अन्य को नोटिस जारी कर अपना पक्ष रखने को कहा।

पीठ ने याचिकाकर्ताओं- शिवसेना के बागी विधायकों को विधानसभा उपाध्यक्ष के समक्ष जवाब दाखिल करने के लिए अंतरिम राहत दी है। उन्हें 12 जुलाई शाम 5:00 बजे तक अपना जवाब दाखिल करने की अनुमति दी। आपको बता दें कि विधानसभा उपाध्यक्ष ने सोमवार यानी 27 जुलाई की शाम 5:30 बजे तक अपना जवाब दाखिल करने का समय दिया था। इस तरह से स्पष्ट है कि एकनाथ शिंदे गुट सुप्रीम कोर्ट से बड़ी राहत मिली है। इसका असर आने वाले दिनों में महाराष्ट्र की सियासत में भी देखने को मिल सकता है। यदि महाराष्ट्र विधानसभा में फ्लोर टेस्ट होता है तो ये विधायक महा विकास अघाड़ी गठबंधन का खेल बिगाड़ सकते हैं।

एकनाथ शिंदे गुट गुवाहाटील में बैठकर जमीन पर भी पकड़ बनाने की कोशिश कर रहा है, जबकि शिवसेना सांसद संजय राउत लगातार उन्हें गुवाहाटी छोड़ चौपाटी आने की चुनौती दे रहे हैं।

उधर, एकनाथ शिंदे के बेटे श्रीकांत ने आज ही ठाणे में एक रैली भी की है। इस दौरान शिंदे के समर्थक पहुंचे और संजय राउत का पुतला तक फूंका गया। आपको बता दें कि ठाणे को एकनाथ शिंदे का गढ़ माना जाता है। शिंदे के बेटे ने यह रैली अपने घर के पास नहीं की, बल्कि ठाणे में शिवसेना के दफ्तर के पास ही की। हालांकि यह रैली बहुत बड़ी नहीं रही, जितना कि दावा किया गया था। रिपोर्ट्स के मुताबिक करीब 200 लोग ही यहां पहुंचे, लेकिन एक संदेश जरूर देने का प्रयास किया गया। श्रीकांत शिंदे ने कहा, “संजय राउत की बातें हमारे लिए मायने नहीं रखती हैं। वह हमेशा फिल्मी कहानियां बनाते रहते हैं। हम यहां आनंद दीघे को श्रद्धांजलि देने के लिए पहुंचे हैं और हमें पूरे ठाणे जिले का समर्थन हासिल है।“

डिप्टी स्पीकर की मंशा पर सुप्रीम कोर्ट ने क्यों उठाया सवाल

बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने शिंदे की अर्जी पर सुनवाई करते हुए डिप्टी स्पीकर की मंशा पर ही सवाल खड़ा किया। जस्टिस सूर्यकांत ने सवाल किया कि अपने खिलाफ दायर अर्जी पर कैसे डिप्टी स्पीकर खुद ही जज बन गए। इस पर डिप्टी स्पीकर की ओर से पेश वकील राजीव धवन ने कहा कि उनके खिलाफ जो नोटिस आया था, वह अनवेरिफाइड ईमेल से भेजा गया था।

 

General Desk

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