दिल्लीः बीजेपी की विरोधी राजनीतिक पार्टियां, कुछ आइडियोलॉजिकली राजनीति में आए हुए पत्रकार और कुछ एनजीओ की त्रिकूट ने गुजरात दंगे के आरोपों को इतना प्रचारित किया कि झूठ सच लगने लगा। उन्होंने कहा कि इनका ईकोसिस्‍टम भी इतना मजबूत था कि धीरे-धीरे लोग झूठ को ही सत्‍य मानने लगे। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि 18- 19 साल की लड़ाई में देश का इतना बड़ा नेता ( प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी) एक शब्द बोले बगैर सभी दुखों को भगवान शंकर के विषपान की तरह गले में उतारकर, सहनकर लड़ता रहा। मैंने मोदी जी को नजदीक से इस दर्द को झेलते हुए देखा है। मजबूत मन का आदमी ही ऐसा स्टैंड ले सकता है।

यह बातें केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने न्यूज एजेंसी एएनाई को दिए साक्षात्कार में कही है। गुजरात दंगों में नरेंद्र मोदी को मिली क्‍लीन चिट बरकरार रखने के सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद शाह ने एएनआई को दिए गए साक्षात्कार में कोर्ट के फैसले का हवाला देते हुए कहा कि अदालत ने भी कहा कि जकिया जाफरी किसी और के इशारों पर काम कर रही थीं। यह साक्षात्कार शनिवार को प्रसारित हुआ।

केंद्रीय गृहमंत्री ने साक्षात्कार में सामाजिक कार्यकर्ता तीस्‍ता सीतलवाड़ का भी नाम लिया, जिनका एनजीओ पूरे केस में खासा सक्रिय था। साथ ही उन्होंने तहलका मैगजीन के स्टिंग ऑपरेशन का भी जिक्र किया और कहा कि अदालत ने उसको खारिज कर दिया है।

शाह ने कहा कि कोर्ट के फैसले ने सिद्ध कर दिया कि तब के गुजरात सरकार पर लगाए सभी आरोप पॉलिटिकली मोटिवेटेड थे। जिन लोगों ने भी मोदी जी पर आरोप लगाए थे, उन्हें बीजेपी और मोदी जी से माफी मांगनी चाहिए। उन्होंने कहा कि पीएम मोदी ने हमेशा न्यायपालिका में विश्वास रखा है।

उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने सभी आरोपों को खारिज किया है। सुप्रीम कोर्ट के जजमेंट ने सिद्ध किया है कि ये आरोप पॉलिटिकली मोटिवेटिड थे। 18- 19 साल की लड़ाई में देश का इतना बड़ा नेता एक शब्द बोले बगैर सभी दुखों को भगवान शंकर के विषपान की तरह गले में उतारकर, सहनकर लड़ता रहा। मैंने मोदी जी को नजदीक से इस दर्द को झेलते हुए देखा है। मजबूत मन का आदमी ही ऐसा स्टैंड ले सकता है।

केंद्रीय गृहमंत्री ने कहा कि बीजेपी की विरोधी राजनीतिक पार्टियां, कुछ आइडियोलॉजी लिए राजनीति में आए हुए पत्रकार और कुछ NGOs ने मिलकर इन आरोपों को इतना प्रचारित किया कि झूठ सच लगने लगा। इनका इकोसिस्टम इतना मजबूत था कि धीरे धीरे झूठ को ही सब सत्य मानने लगे।

उन्होंने कहा कि SIT का ऑर्डर कोर्ट का नहीं था। एक NGO ने SIT की मांग की थी। हमारी सरकार ने कहा कि हमें SIT से कोई परेशानी नहीं हैं। आज जब जजमेंट आया है, तो यह तय हो गया है कि एक पुलिस ऑफिसर, एक NGO और एक पॉलिटिकल पार्टी ने सनसनी के लिए झूठी बातों को फैलाया था। झूठे सबूत गढ़े गए, SIT के सामने झूठे जवाब दिए गए। कोर्ट के फैसले ने यह सिद्ध कर दिया कि दंगा रोकने के लिए सरकार ने भरसक प्रयास किए। CM ने भी दंगा रोकने की अपील की थी।

शाह ने कहा कि आरोप यह था कि दंगे मोटिवेटेड थे, दंगों में राज्य सरकार का हाथ था। दंगों में मुख्यमंत्री का हाथ होने के भी आरोप लगाए गए। दंगे से कौन इनकार कर रहा है। देश में दंगे कई जगह पर हुए। जहां तक दंगों का सवाल है, कांग्रेस के शासन के किन्हीं 5 सालों और बीजेपी के शासन के किन्हीं 5 सालों की तुलना करके देख लीजिए। कितने घंटे कर्फ्यू रहा, कितने लोग मारे गए, कितने दिन बंद रहा और दंगा कितने दिन तक चला इन बातों की तुलना करने पर पता चल जाएगा कि दंगे किसके शासनकाल में अधिक हुए।

दंगा होने का मूल कारण गुजरात में एक ट्रेन को जला देना था। 60 लोगों को और 16 दिन की बच्ची को उसकी मां की गोद में बैठे हुए जिंदा जलते हुए मैंने देखा है, मेरे हाथ से मैंने अंतिम संस्कार किया है। इसके कारण दंगे हुए और आगे जो दंगे हुए वो राजनीति से प्रेरित होकर हुए थे। सरकार के खिलाफ किया गया स्टिंग ऑपरेशन भी पॉलिटिकली मोटिवेटेड था, जिसे कोर्ट ने खारिज कर दिया।

उन्होंने कहा कि जिस दिन गुजरात बंद का ऐलान हुआ, उसी दोपहर को हमने सेना को बुला लिया था। सेना को पहुंचने में थोड़ा समय लगता है। जहां तक गुजरात सरकार का सवाल है, एक दिन की भी देरी नहीं हुई थी। इस बात को कोर्ट ने भी माना और एप्रिशिएट किया है।

लेकिन दिल्ली में सेना का मुख्यालय है। जब इतने सारे सिख भाइयों को मार दिया गया, 3 दिन तक कुछ नहीं हुआ। कितनी SIT बनी? हमारी सरकार आने के बाद SIT बनी।

शाह ने कहा कि यह बात केवल मैं और मोदी जी नहीं कहते, अब सुप्रीम कोर्ट भी यही कहता है कि गुजरात पर एक दंगाई राज्य का टैग लगाने का झूठा प्रयास किया गया। आप लोकतंत्र में संविधान और सुप्रीम कोर्ट को भी नहीं मानेंगे, पॉलिटिकल स्टेटमेंट सच्चे हैं या सुप्रीम कोर्ट का फैसला यह देश की जनता को तय करना होगा। अब आरोप लगाने वालों से पत्रकारों को पूछना चाहिए कि ये आरोप किस आधार पर लगाए गए थे। अगर आधार था तो वे लोग सुप्रीम कोर्ट क्यों नहीं गए।

उन्होंने कहा कि मैंने बहुत जल्दबाजी में जजमेंट को पढ़ा है, लेकिन इसमें तीस्ता सीतलवाड़ का नाम बहुत स्पष्ट दिया है। तीस्ता सीतलवाड़ के NGO ने हर थाने में भाजपा के कार्यकर्ता को शामिल करने वाली ऐप्लिकेशन दी थी। मीडिया का दबाव इतना था कि ऐसी ऐप्लिकेशन को सच मान लिया गया। जनता ने कभी इन आरोपों को स्वीकारा नहीं। लेकिन मीडिया, NGO और हमारी विरोधी पॉलिटिकल पार्टियों के त्रिकूट ने भाजपा के खिलाफ गलत आरोपों को चलाया।

उन्होंने कहा कि SIT और जांच अफसर की नियुक्ति देश की सर्वोच्च अदालत ने NGO को सुनने के बाद की थी। इन अफसरों को केंद्र सरकार की ओर से भेजा गया था। उस समय तक केंद्र में UPA सरकार आ चुकी थी। हमने SIT को जरा भी प्रभावित नहीं किया। इतनी सारी गलत बातें फैलाई गईं कि फायरिंग में केवल मुसलमान मारे गए। ऐसा नहीं हुआ है।

शाह ने कहा कि जिस तरह से 60 लोगों को जिंदा जला दिया था, उसका समाज में आक्रोश था। उन्होंने कहा कि जब तक दंगे नहीं हुए बीजेपी को छोड़कर किसी भी पार्टी ने ट्रेन जलाने वाली घटना की निंदा नहीं की। उस समय संसद चल रही थी। किसी ने भी 60 लोगों को जिंदा जलाने की घटना का दुख भी व्यक्त नहीं किया, निंदा तक नहीं की गई।

सुप्रीम कोर्ट ने भी कहा कि जकिया जाफरी किसी और के निर्देश पर काम करती थीं। NGO ने कई पीड़ितों के हलफनामे पर साइन किए और पीड़ितों को पता भी नहीं है। सब जानते हैं कि तीस्ता सीतलवाड़ की NGO ये सब कर रही थी और उस समय की आई UPA की सरकार ने तीस्ता सीतलवाड़ और उनके NGO की बहुत मदद की है। केवल मोदी जी की छवि को खराब करने के लिए यह सब किया गया।

उन्होंने कहा कि दंगों का पॉलिटिकल उपयोग कभी करना ही नहीं चाहिए। गुजरात में जब भी इन्वेस्टमेंट समिट होता था, हर अखबार में दंगों पर आर्टिकल छापे जाते थे। यह काम 10-12 साल तक किया गया। मोदी जी जब भी विदेश जाते थे, उन्हें अपमानित करने के लिए विदेशी अखबारों में आर्टिकल छपवाए गए।

केंद्रीय गृहमंत्री ने कहा कि  ये 18-19 साल लंबी लड़ाई मोदी जी और सत्य खोजने वाले लोगों ने लड़ी है। किसी भी झूठ को एक्सपोज करना बहुत जरूरी होता है, इतिहास तो अपने आप बनते रहते हैं। मैं मानता हूं यह फैसला भाजपा के हर कार्यकर्ता के लिए गौरव का विषय है।

शाह ने पिछले आठ सालों के दौरान केंद्र सरकार की ओर से किए गए कार्यों का उल्लेख करते हुए कहा कि देश में हमने सबसे पहले 24 घंटे बिजली पहुंचाई। देश के अंदर 12 साल में जीरो ड्रॉपआउट रेश्यो और प्राथमिक शिक्षा में 99 फीसदी से अधिक बच्चों का नामांकन सुनिश्चित किया। लगातार 12 साल तक हमने 10 प्रतिशत एग्रीकल्चर ग्रोथ रेट अचीव किया है। यह भी एक मॉडल है।

उन्होंने विपक्षी दलों को आड़े हाथों लेते हुए कहा कि  जहां- जहां आज हमारी सरकार है, वहां कांग्रेस, समाजवादी पार्टी, बहुजन समाजवादी पार्टी और वाम दलों की सरकारें रह चुकी हैं। बीजेपी के शासन के दौरान दंगों का औसत और इनमें हताहत होने वाले लोगों का औसत बाकियों के शासन वाले औसत से कम है। भाजपा के शासन में दंगे कम होते हैं। अगर भाजपा को दंगों से फायदा होता तो हम इसे ज्यादा कराते।

आपको बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को पीएम मोदी के खिलाफ दाखिल याचिका को खारिज कर दिया था। यह याचिका 2002 गुजरात दंगों में गुजरात के तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी को क्लीन चिट देने वाली SIT रिपोर्ट के खिलाफ दाखिल की गई थी। ​​​​​सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुनाते हुए कहा कि जकिया की याचिका में मेरिट नहीं है। यह याचिका जकिया जाफरी ने दाखिल की थी।

दरअसल, गोधरा कांड के बाद 2002 में गुजरात में सांप्रदायिक हिंसा भड़क गई थी। उपद्रवियों ने पूर्वी अहमदाबाद स्थित अल्पसंख्यक समुदाय की बस्ती ‘गुलबर्ग सोसाइटी’ को निशाना बनाया था। इसमें जकिया जाफरी के पति पूर्व कांग्रेस सांसद एहसान जाफरी सहित 69 लोग मारे गए थे। इनमें से 38 लोगों के शव बरामद हुए थे, जबकि जाफरी सहित 31 लोगों को लापता बताया गया।

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