दिल्लीः राष्ट्रपति चुनाव के लिए झारखंड की पूर्व राज्यपाल द्रौपदी मुर्मू ने शुक्रवार को एनडीए (NDA) यानी राष्ट्रीय जनतांत्रित गठबंधन के उम्मीदवार के तौर पर अपना नामांकन दाखिल कर दिया। द्रौपदी मुर्मू ने 4 सेटों में नामांकन दाखिल किया। इस मौके पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, गृह मंत्री अमित शाह के अलावा बीजू जनता दल और वाईएसआर कांग्रेस के नेता भी मौजूद रहे।
द्रौपदी मुर्मू की राष्ट्रपति उम्मीदवारी के लिए पीएम मोदी, अमित शाह, राजनाथ सिंह, जेपी नड्डा, ललन सिंह, पशुपति पारस, रेणु देवी और तारकिशोर प्रसाद प्रस्तावक रहे। मुर्मू ने नामांकन दाखिल करने से पहले संसद में महात्मा गांधी, डॉ अंबेडकर और बिरसा मुंडा की मूर्तियों पर श्रद्धांजलि अर्पित की। आपको बता दें कि राष्ट्रपति पद के लिए नामांकन दायर करने की अंतिम तिथि 29 जून है।
इससे पहले मुर्मू ने शुक्रवार को कांग्रेस प्रमुख सोनिया गांधी, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के शरद पवार और पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी सहित प्रमुख विपक्षी नेताओं को फोन किया। प्राप्त रिपोर्ट के अनुसार मुर्मू ने नामांकन से पहले व्यक्तिगत रूप से सभी से बात की और समर्थन मांगा। इन तीनों बड़े नेताओं ने मुर्मू को अपनी शुभकामनाएं दीं।
इससे पहले गुरुवार को मुर्मू पीएम मोदी, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, गृह मंत्री शाह और बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा से मुलाकात की। इसके बाद केंद्रीय मंत्री प्रह्लाद जोशी के घर पर राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार के नामांकन के लिए प्रस्तावक और समर्थक के तौर पर नामांकन पत्र पर हस्ताक्षर किए गए।
उधर, आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री जगनमोहन रेड्डी ने गुरूवार राष्ट्रपति चुनाव में एनडीए की उम्मीदवार मुर्मू का समर्थन देने का ऐलान किया। सीएम जगन का कहना है कि मुर्मू का समर्थन करना SC, ST, BC और अल्पसंख्यक समुदायों के प्रतिनिधित्व पर हमेशा जोर देने की उनकी विचारधारा के अनुरूप है।
मुर्मू का समर्थन कर रही हैं ये पार्टियां…
अब आइए जानते हैं कि कौन है मुर्मू—
द्रौपदी मुर्मू ओडिशा से आनेवाली आदिवासी नेता हैं। झारखंड की नौंवी राज्यपाल रह चुकीं है। इसके साथ ही वह मुर्मू ओडिशा के रायरंगपुर से विधायक रह चुकी हैं। वह पहली ओडिया नेता हैं, जिन्हें राज्यपाल बनाया गया। इससे पहले BJP-BJD गठबंधन सरकार में साल 2002 से 2004 तक वह मंत्री भी रह चुकी हैं।
आपको बता दें कि देश में अब तक आदिवासी समुदाय का कोई व्यक्ति राष्ट्रपति नहीं बन पाया है। महिला, दलित, मुस्लिम और दक्षिण भारत से आने वाले लोग राष्ट्रपति बन चुके हैं, लेकिन आदिवासी समुदाय इससे वंचित रहा है। ऐसे में यह मांग उठती रही है कि दलित समाज से भी किसी व्यक्ति को देश के सर्वोच्च पद पर बैठाया जाए।
मौजूदा राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद का कार्यकाल 24 जुलाई को समाप्त हो रहा है। अगले महीने की 25 तारीख को देश को नया राष्ट्रपति मिलेगा। 15 जून को नए राष्ट्रपति के चुनाव की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है। नामांकन दाखिल करने की आखिरी तारीख 29 जून है। अगर चुनाव कराने की जरूरत पड़ती है, तो यह 18 जुलाई को कराए जाएंगे और 21 जुलाई को ही नतीजे आ जाएंगे।
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