मुंबईः महाराष्ट्र में पिछले दोनों दिनों से सियासी घमासान पचा हुआ। राज्य की महाविकास अघाड़ी सरकार संकट में और मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे अब अपनी पार्टी बचाने की जुगत में हैं। उद्धव बागी एकनाथ शिंदे के आगे बैकफुट पर नजर आ रहे हैं। सीएम उद्धव ने शिंदे को प्रपोजल दिया है कि वे सामने आकर बात करें और शिवसेना विधायक बोलें तो मुख्यमंत्री क्या, पार्टी प्रमुख का पद भी छोड़ने को तैयार हैं। इसके बाद पवार ने उद्धव को सियासी संकट टालने के लिए शिंदे को ही मुख्यमंत्री बनाने की सलाह दी है।
उधर, शिंदे के तेवर आक्रामक ही हैं। वे गठबंधन से बाहर होने की शर्त पर ही अड़े हैं। जब उद्धव ने फेसबुक लाइव पर शिंदे को सामने आकर बात रखने का ऑफर दिया तो शिंदे ने ट्वीट कर जवाब दिया। शिंदे ने कहा, “गठबंधन बेमेल है और इसमें शिवसेना कमजोर हो रही है। कांग्रेस-राकांपा मजबूत हो रहे हैं। इस गठबंधन से बाहर आना जरूरी है और महाराष्ट्र के हित में फैसला लेना होगा।“
इससे पहले शिंदे चीफ व्हिप पर अपने नेता भरत गोगावले को अपॉइंट कर पार्टी पर दावा ठोक चुके हैं। विधायक दल के नेता के तौर पर 34 विधायकों के समर्थन की चिट्ठी राज्यपाल को भेजी है। यानी सरकार और पार्टी दोनों पर हक जता रहे हैं।
शिंदे दावा कर रहे हैं कि उनके पास 46 विधायक हैं। हालांकि, गुवाहाटी में अभी शिवसेना के 35 और 2 निर्दलीय विधायक हैं। 3 और विधायक महाराष्ट्र बीजेपी अध्यक्ष चंद्रकांत पाटिल के साथ गुवाहाटी के लिए निकल चुके हैं। यानी कुल 40 विधायक।
शिंदे बागी विधायकों के साथ सूरत से गुवाहाटी पहुंचे हैं। सारे विधायक होटल रेडिसन ब्लू में ठहरे हैं। होटल के बाहर और अंदर असम पुलिस का पहरा है। सीआरपीएफ (CRPF) यानी केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल के जवान भी होटल के बाहर मौजूद हैं। मीडिया को भी एक इंच यहां से वहां नहीं होने दिया जा रहा। हर आने-जाने वाले पर कड़ी निगाह रखी जा रही है
उधर, बीजेपी फिलहाल भाजपा वेट एंड वाच की स्थिति में है। मुंबई के अलग-अलग इलाकों में बीजेपी नेता बैठकें कर रहे हैं। वहीं एनसीपी की मीटिंग वाईबी चव्हाण हॉल में हुई है। इसमें पार्टी के सभी विधायकों को शरद पवार से संबोधित किया है।
बालासाहब थोराट के बंगले पर कांग्रेस के विधायकों की बैठक हुई है। इसमें कमलनाथ ने सभी विधायकों को संबोधित किया है। शिवसेना ने सभी विधायकों के नाम एक पत्र जारी कर शाम पांच बजे तक सभी को मुंबई आने के लिए कहा है। अगर वे शाम की मीटिंग में शामिल नहीं होते हैं तो उनकी पार्टी की सदस्यता रद्द मानी जाएगी।