दिल्लीः 25 जुलाई को देश को नया राष्ट्रपति मिल जाएगा। आपको बता दें कि मौजूदा राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद का कार्यकाल अगले महीने समाप्त हो रहा है। नए राष्ट्रपति के चुनाव के लिए नामांकन प्रक्रिया चल रही है। 29 जून को पर्चा भरने की आखिरी तारीख है। इस बीच सरकार और विपक्ष की ओर से राष्ट्रपति प्रत्याशियों के नामों पर मंथन शुरू हो चुका है।
विपक्ष की ओर से राष्ट्रपति चुनाव के लिए उम्मीदवार को लेकर कई नामों की चर्चा हो रही है, लेकिन किसी नाम पर सहमति नहीं बन पा रही है। कई नेता राष्ट्रपति पद का प्रत्याशी बनने से साफ तौर पर इनकार कर चुके हैं, जबकि सत्ता पक्ष ने अब तक अपने पत्ते नहीं खोले हैं।
हालांकि बीजेपी में महामहिम बनाने की रेस में महिला, मुस्लिम, दलित या दक्षिण भारत की किसी हस्ती के नाम पर विचार किया जा रहा है, ताकि 2022-23 में होने वाले विधानसभा चुनावों और 2024 के लोकसभा चुनावों को साधने में आसानी हो सके। यह देखना दिलचस्प होगा कि जिन नामों पर चर्चा हो रही है, उनमें से कोई एक नाम सामने आता है या हर बार की तरह इस बार भी पार्टी कोई नया नाम लेकर सामने आती है। तो चलिए आपको बताते हैं कि सत्तारूढ़ दल बीजेपी में किन-किन नामों पर और समीकरणों पर चर्चा हो रही हैः
आदिवासी : देश में महिला, दलित, मुस्लिम और दक्षिण भारत से आने वाले लोग राष्ट्रपति बन चुके हैं, लेकिन आदिवासी समुदाय इससे अब तक वंचित रहा है। अब तक आदिवासी समुदाय का कोई व्यक्ति भारत में राष्ट्रपति नहीं बन पाया है। ऐसे में यह मांग उठती रही है कि दलित समाज से भी किसी व्यक्ति को देश के सर्वोच्च पद पर बैठाया जाए।
आपको बता दें कि लोकसभा की 543 सीटों में से 47 सीट एसटी (ST) श्रेणी के लिए आरक्षित है। 60 से अधिक सीटों पर आदिवासी समुदाय का प्रभाव है। मध्य प्रदेश, गुजरात, झारखंड, राजस्थान, छत्तीसगढ़ में बड़ी संख्या में आदिवासी वोटर निर्णायक स्थिति में हैं। ऐसे में आदिवासी नाम पर भी चर्चा चल रही है।
महिला : महिलाएं बीजेपी के लिए कोर वोट बैंक बन चुकी हैं। इस वोट बैंक को साधने की पार्टी की कोशिश जारी है। बताया जा रहा है कि महिलाओं के नाम पर सबसे तेजी से विचार किया जा रहा है। इसमें उत्तर प्रदेश की राज्यपाल आनंदी बेन पटेल का नाम भी शामिल हैं। पटेल नरेंद्र मोदी की बेहद करीबी हैं।
आनंदी बेन पटेल के अलावा पूर्व राज्यपाल द्रौपदी मुर्मू, छत्तीसगढ़ की राज्यपाल अनुसुइया उइके भी इस रेस में शामिल बताई जा रही हैं। इन दोनों में से किसी एक को राष्ट्रपति बनाने की स्थिति में बीजेपी एक तीर से दो निशाना लगा सकती है। पहला यह कि इससे आदिवासी समाज को साधने में आसानी होगी और दूसरा महिलाओं में भी मैसेज जाएगा।
दक्षिण भारत : दक्षिण भारत में बीजेपी अपना विस्तार करना चाह रही है। इसके लिए पार्टी दक्षिण भारत से किसी शख्स को राष्ट्रपति बनाकर संदेश देने की कोशिश कर सकती है। ऐसे में आंध्र प्रदेश से आने वाले उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू सबसे मजबूत विकल्प हैं। हालांकि दक्षिण भारत से आने वाले और भी कुछ नेता हैं, जिनके नाम पर चर्चा चल रही है।
मुस्लिम : पिछले कुछ दिनों से हिंदू- मुस्लिम विवाद जारी है। इस विवाद को खत्म करने के लिए भाजपा पूर्व राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम जैसे प्रत्याशी की तलाश कर रही है, लेकिन पार्टी को फिलहाल ऐसा चेहरा नजर नहीं आ रहा है।
हालांकि केरल के राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान के नाम की भी चर्चा है, जो उत्तर प्रदेश के बुलंदशहर के रहने वाले हैं। तीन तलाक, सीएए (CAA) यानी नागरिकता संशोधन अधिनियम जैसे मामलों पर आरिफ हमेशा बीजेपी के लिए ढाल बने रहे, लेकिन सूत्रों के मुताबिक उन्हें राष्ट्रपति के बजाय भाजपा उपराष्ट्रपति का प्रत्याशी बना सकती है। इसके जरिए दुनिया में यह मैसेज देने की कोशिश रहेगी कि पार्टी मुस्लिम विरोधी नहीं बल्कि तुष्टिकरण विरोधी है।
आपको बता दें कि देश के 9वें राष्ट्रपति नीलम संजीव रेड्डी ने 25 जुलाई 1977 को शपथ ली थी। तब से हर बार 25 जुलाई को ही नए राष्ट्रपति कार्यभाल संभालते आए हैं।
रेड्डी के बाद ज्ञानी जैल सिंह, आर वेंकटरमन, शंकरदयाल शर्मा, केआर नारायणन, एपीजे अब्दुल कलाम, प्रतिभा पाटिल, प्रणव मुखर्जी और रामनाथ कोविंद 25 जुलाई को शपथ ले चुके हैं।
वहीं, अब तक दो राष्ट्रपति ऐसे भी रहे, जिनका देहांत राष्ट्रपति पद पर रहते हुए निधन हो चुका है। इसमें तीसरे राष्ट्रपति जाकिर हुसैन और सातवें राष्ट्रपति फखरुद्दीन अली अहमद शामिल हैं। जाकिर हुसैन 13 मई 1967 से तीन मई 1969 के बीच ही राष्ट्रपति रहे थे। उनके देहांत के बाद उपराष्ट्रपति वीवी गिरि को कार्यवाहक राष्ट्रपति बनाया गया था।
इसी तरह से सातवें राष्ट्रपति फखरुद्दीन अली अहमद 24 अगस्त 1974 से 11 फरवरी 1977 तक ही अपने पद पर रहे। बीच में देहांत होने के कारण बीडी जत्ती को कार्यवाहक राष्ट्रपति बनाना पड़ा था।
तत्कालीन राष्ट्रपति राष्ट्रपति जाकिर हुसैन के देहांत के बाद तत्कालीन उपराष्ट्रपति वीवी गिरि को कार्यवाहक राष्ट्रपति बनाया गया था। उसके बाद सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस मुहम्मद हिदायतुल्ला को राष्ट्रपति चुना गया, जबकि, फखरुद्दीन अली अहमद के निधन के बाद तत्कालीन उपराष्ट्रपति बीडी जत्ती को कार्यवाहक राष्ट्रपति बनाया गया था।
राष्ट्रपति पद के चुनाव के लिए विपक्ष को प्रत्याशी नहीं मिल रहा है। एनसीपी (NCP) यानी राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी प्रमुख शरद पवार, नेशनल कांफ्रेंस के मुखिया फारूक अब्दुल्ला और पूर्व प्रधानमंत्री एच डी देवेगौड़ा के बाद अब महात्मा गांधी के पौत्र और पश्चिम बंगाल के पूर्व राज्यपाल गोपाल कृष्ण गांधी ने भी राष्ट्रपति पद का प्रत्याशी बनने के विपक्ष का ऑफर को ठुकरा दिया है। गांधी ने स्पष्ट किया है कि वह विपक्ष की तरफ से राष्ट्रपति पद का उम्मीदवार नहीं बनेंगे। ऐसे में सवाल यह है कि विपक्ष की ओर से अगला नाम कौन? पश्चिम बंगला की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी राष्ट्रपति पद के प्रत्याशी को लेकर लगातार प्रयास कर रही हैं, लेकिन उनहें सफलता नहीं मिल पा रही। कांग्रेस ने भी अभी तक अपने पत्ते नहीं खोले हैं।