दिल्लीः सरकार संसद के मानसून सत्र में विद्युत अधिनियम में संशोधन का विधेयक ला सकती है। इसमें अक्षय ऊर्जा की खरीद के दायित्व का पालन न होने पर अधिक दंड का प्रावधान करने का प्रस्ताव है। केंद्रीय ऊर्जा एवं नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्री आरके सिंह ने गुरुवार को यह बातें कहीं।
सिंह ने उद्योग मंडल फिक्की द्वारा बिजली क्षेत्र पर यहां आयोजित उद्योग सम्मेलन ‘इंडिया एनर्जी ट्रांजिशन समिट 2022’ में कहा कि संशोधन में 2-3 अतिरिक्त प्रावधान होंगे। उनमें से एक संशोधन अक्षय ऊर्जा की खरीद के दायित्वों में विफलता पर दंड बढ़ने का प्रावधान है। उन्होंने कहा कि इस समय मांग ऊंची है और बाजार की कमी का कोई मुद्दा नहीं है।
उन्होंने कहा कि अब भारत में बिजली की मांग का सामान्य स्तर 2.05 लाख मेगावॉट होने को है। मांग 160 गीगावॉट से कम कभी नहीं होगी। उन्होंने कहा,“ विकास के लिए ऊर्जा एक ऐसी चीज है, जिस पर समझौता नहीं किया जा सकता है। हम इससे कोई समझौता नहीं करेंगे। हम एकमात्र देश हैं जिसने जलवायु परिवर्तन की रोकथाम के लिए राष्ट्रीय स्तर पर तय प्रतिबद्धताओं (एनडीसी) में से दो को 8-9 साल पहले ही हासिल कर लिया है।”
अक्षय ऊर्जा के भविष्य के बारे में केंद्रीय मंत्री सिंह ने कहा, “हम दुनिया में सबसे बड़ी और सबसे तेजी से बढ़ रही आरई क्षमता वाला देश है और हमारे यहां परंपरागत स्रोत से अक्षय की ओर संक्रमण की दर भी सबसे तेज है। मुझे विश्वास है कि हम अक्षय ऊर्जा को इसकी भंडारण क्षमता बढ़ा कर 6.5-7 रुपये प्रति यूनिट की दर से बेच सकेंगे और इस दर पर भी चौबीसों घंटे अक्षय ऊर्जा की मांग रहेगी। सरकार भंडारण की कीमत में कमी लाएगी और भंडारण को और बढ़ाएगी। कुल मिलाकर, हमारी भविष्य की बोलियां चौबीसों घंटे अक्षय ऊर्जा के रूप में बदल जाएंगी।”
उन्होंने हरित हाइड्रोजन और हरित अमोनिया की संभावनाओं पर कहा , “ हमारे पास हरित हाइड्रोजन के लिए नियम हैं और हम हरित हाइड्रोजन बनाने के लिए प्रोत्साहनों का नये सेट के साथ आएंगे। हम वर्ष 2030 तक हरित ऊर्जा क्षमता 5 लाख मेगावाट और हरित हाइड्रोजन और हरित अमोनिया को अपनाकर उस समय तक 7 लाख मेगावॉट तक पहुंच सकते हैं।”
वहीं कार्यक्रम में कोयला मंत्रालय में सचिव डॉ एके जैन ने कहा कि भारत में कुल ऊर्जा खपत का 85 प्रतिशत जीवाश्म ईंधन से आता है। उन्होंने कहा कि हरित ऊर्जा की ओर संक्रमण के लिए और सार्वजनिक वित्त, सब्सिडी कार्यक्रमों, नियामक व्यवस्था के पूर्णपुनर्गठन के साथ बुनियादी ढांचे में बदलाव की जरूरत है।
उन्होंने कहा, “भारत को अपनी अल्पकालिक और मध्यम अवधि की ऊर्जा जरूरतों के प्रति सचेत रहना होगा।”जैन ने अक्षय ऊर्जा में पिछले 2 वर्षों में 50 प्रतिशत से अधिक की वृद्धि को उत्साहजनक बताया।
विद्युत मंत्रालय में सचिव आलोक कुमार ने कहा कि आयात निर्भरता को कम करना भारत के ऊर्जा संक्रमण लक्ष्य का प्रमुख उद्देश्य है तथा गले 20 वर्ष तक अभी कोयला हमारी बिजली उत्पादन व्यवस्था की रीढ़ की हड्डी बना रहेगा
फिक्की के अध्यक्ष, प्रबंध निदेशक एवं सीईओ संजीव मेहता ने कहा कि वर्ष 2070 तक शुद्ध कार्बन उत्सर्जन शून्य करने और गैर-जीवाश्म ईंधन-आधारित बिजली उत्पादन क्षमता को पांच लाख मेगावाट करने के लक्ष्य के साथ, ऊर्जा क्षेत्र में अत्यधिक सकारात्मकता देखी जा रही है।