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अग्निपथ योजना पर सवालः सेवानिवृत्त अफसर बोले, जवान तो पांच साल में तैयार होते हैं, छह महीने की ट्रेनिंग में दुश्मनों को कैसे चटाओंगे धूल

दिल्लीः केंद्रीय सरकार की अग्निपथ योजना पर सवाल उठने लगे हैं। लेफ्टिनेंट जनरल (रिटायर्ड) विनोद भाटिया  ने इस योजना पर सवाल खड़ा किया है और कहा है कि मेरे हिसाब से 1.52 लाख करोड़ रुपए का पेंशन बिल बचाने के लिए अग्निपथ स्कीम को लाया गया है। इससे हमारी डिफेंस की ताकत कम होगी।

आपको बता दें कि रक्षा मंत्रालय ने 2017 में बताया था कि हमारी आर्मी में 12.64 लाख, एयरफोर्स में 1.55 लाख और नेवी में 84 हजार जवान हैं। सेना में अभी जो जवान रिक्रूट होते हैं, उन्हें 42 हफ्तों की सख्त ट्रेनिंग दी जाती है।

लेफ्टिनेंट जनरल (रिटायर्ड) भाटिया  ने केंद्र सरकार की अग्निपथ स्कीम पर टिप्पणि करते हुए कहा कि मेरे हिसाब से 1.52 लाख करोड़ रुपए का पेंशन बिल बचाने के लिए अग्निपथ स्कीम को लाया गया है। इससे हमारी डिफेंस की ताकत कम होगी।

हकीकत पांच से छह साल की ड्यूटी के बाद जवान यूनिट का हिस्सा बन पाते हैं। उन्हें मालूम होता है कि अब सेना ही उनका घर है, इसलिए उनका जज्बा और डेडिकेशन बहुत हाई लेवल का होता है।

हमारे जवान जिन जंगल, पहाड़ों और हाई एल्टीट्यूट में अभी दुश्मनों को धूल चटाते हैं, वहां 4 साल के लिए रिक्रूट होने वाले ये जवान कैसे काम कर पाएंगे।

नए लड़कों के टेक्नोफ्रेंडली होने की बात कही जा रही है, लेकिन इन जगहों पर टेक्नोलॉजी नहीं, बल्कि जज्बात और स्पेशलाइजेशन की जरूरत होती है, जो पूरे डेडिकेशन और प्रॉपर ट्रेनिंग से ही आती है।

सरकार रिक्रूटमेंट का बेस नहीं बदल रही। क्राइटेरिया भी चेंज नहीं किया गया है। सिर्फ सर्विस की टर्म्स बदली गई हैं। मतलब लोग तो वही आएंगे, जो अभी तक आ रहे थे। फर्क सिर्फ ये आएगा कि अभी 17 साल नौकरी कर रहे थे और अब 4 साल करेंगे। 25% को अगले 15 सालों तक और नौकरी का मौका मिलेगा, लेकिन जिन 75% को निकाला जाएगा, वे क्या करेंगे।

इजरायल और अमेरिका में इस प्रक्रिया के लागू होने की बात कही जा रही है, लेकिन इजरायल की पॉपुलेशन दिल्ली से भी कम है। वहां सर्वाइवल का सवाल है। हर किसी को सेना में जाना अनिवार्य है और अमेरिका में तो हाल ऐसे हैं कि रिक्रूटमेंट अफसर घर-घर जाकर कहते हैं कि सेना में आइए, क्योंकि वहां के लोगों को लग्जरी जिंदगी की आदत है।

हमारे देश में ऐसे हालात नहीं है। हमारे यहां 4 साल पहले से लड़के सेना में जाने की तैयारी करते हैं, क्योंकि वे जानते हैं कि एक बार सेना में चले गए तो पूरा परिवार सिक्योर हो जाएगा। अब 4 साल की नौकरी के लिए कोई 4 साल पहले से तैयारी क्यों करेगा।

वहीं लेफ्टिनेंट जनरल (रिटायर्ड) सतीश दुआ के मुताबिक सरकार की यह कवायद सेना को यंग करने के लिए है। जवान अधिकतम 25 साल की सेना में रहेगा। इससे सेना हमेशा यंग बनी रहेगी। नए लड़के टेक्नोलॉजी फ्रेंडली होते हैं। इसका फायदा होगा और सरकार का पेंशन, सैलरी का खर्चा भी बचेगा।

उनका कहना है कि सेना के लिए कुछ चैलेंजेज तो रहेंगे, लेकिन ट्रेनिंग कम समय में भी करवाई जा सकती है। दूसरे देशों में अनिवार्य तौर पर भर्ती की जाती है, ऐसे में जवान मोटिवेटेड नहीं होते। हमारे देश में ये फायदा है कि हमें मोटिवेटेड जवान मिलेंगे।

वहीं अग्निपथ योजना को लेकर पूछे गए सवाल पर पूर्व आर्मी चीफ और केंद्रीय मंत्री जनरल वीके सिंह ने कहा कि कोई भी नई चीज आती है, तो उसके बारे में तब तक पता नहीं चलता, जब तक वह जमीन पर नहीं आती। मैं इस योजना को बनाने वाली टीम में शामिल नहीं हूं, मुझे इसके बारे में ज्यादा मालूम नहीं है। योजना अभी अनाउंस हुई है, देखते हैं समय पर क्या होता है और क्या नहीं।

आपको बता दें कि अग्निपथ योजना के तहत 17.5 से लेकर 21 साल की उम्र के बीच वाले लड़के इसमें आवेगन कर सकते हैं। इन्हें फिस्क्ड सैलरी मिलेगी। पहले साल 30 हजार, दूसरे साल 33 हजार, तीसरे साल 36500 और चौथे साल 40 हजार होगी।

सेवा निधि के तौर पर कुल कॉन्ट्रीब्यूशन 10.04 लाख का होगा। इंटरेस्ट मिलाकर 11.71 लाख रुपए चार साल बाद जवान को मिलेंगे। सेवा के दौरान डेथ होने पर 1 करोड़ रुपए परिवार को दिए जाएंगे। अगले 90 दिनों के अंदर इस स्कीम में रिक्रूटमेंट शुरू हो जाएंगे।

General Desk

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