दिल्लीः आज 31 मई यानी वर्ल्ड नो टोबैको डे है। यदि आप सिगरेट और बीड़ी के कस लगाने लगाने के शौकीन है, तो आप अपनी इस आदत को तुरंत बदल दीजिए। तम्बाकू के सेवन और धूम्रपान का असर शरीर के हर अंग पर पड़ता है। इसके कारण कई बीमारियां और जटिलताएं हो सकती हैं। यह दिल की बीमारियों का भी मुख्य कारण है। भारतीय व्यस्कों पर 2017 में किए गए विश्वस्तरीय सर्वेक्षण के मुताबिक भारत में तकरीबन 26.7 करोड़ व्यस्क (15 साल से अधिक उम्र के) (कुल 29 फीसदी व्यस्क) तम्बाकू का सेवन करते हैं। देश की 28.6 फीसदी आबादी यानी हर 5 में 1 व्यक्ति धुएं रहित तम्बाकू का सेवन करता है। वहीं हर 10 में से 1 व्यक्ति धूम्रपान करता है, तम्बाकू का सेवन करने वाले 50 फीसदी लोगों की मौत इसी की वजह से होती है।
आज विश्व तम्बाकू निषेध दिवस (World No-Tobacco Day) है। इसलिए आज के दिन हम आपको इस बारे में विशेषज्ञों की राय बताने जा रहे हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि तम्बाकू का सेवन हर रूप में जानलेवा है। हुक्का, सिगार, बीड़ी, धुआंरहित तम्बाकू के उत्पाद जैसे खैनी, गुटका, बेटेल क्विड और ज़र्दा आदि रूपों में तम्बाकू का सेवन किया जाता है।
विशेषज्ञों का कहना है कि धूम्रपान का असर पूरे कार्डियोवैस्कुलर सिस्टम पर पड़ता है, जिसमें दिल, खून, रक्त वाहिकाएं शामिल हैं। धूम्रपान कैंसर तथा फेफड़ों की बीमारियों जैसे क्रोनिक आब्स्ट्रक्टिव पल्मोनरी रोगों, दिल की बीमारियों, स्ट्रोक, डायबिटीज, महिलाओं में बांझपन, जन्म के समय कम वज़न, समयपूर्व प्रसव, जन्मजात दोषों और इरेक्टाइल डिस्फंक्शन का भी कारण है।
बढ़ता है कैंसर का खतरा-
सिगरेट में निकोटीन होने के कारण इसके सेवन से हाई ब्लड प्रेशर (उच्च रक्तचाप) की संभावना बढ़ जाती है। निकोटीन हानिकारक रसायन है, इसकी वजह से ब्लड प्रेशर बढ़ने के साथ-साथ कई अन्य बीमारियां हो सकती हैं। धूम्रपान की वजह से रक्त, ब्लैडर, सर्विक्स, फेफड़ों, लिवर, गुर्दे, ग्रसनी, पैनक्रियाज़, मुंह, गले, लेरिंक्स, किडनी, कोलन, रेक्टम, पेट का कैंसर भी हो सकता है। फेफड़ों में होने वाले 10 प्रकार के कैंसर में से 9 प्रकार के कैंसर धूम्रपान की वजह से ही होते हैं। धुआंरहित तम्बाकू जैसे तम्बाकू चबाने से ग्रसनी, मुंह और गले का कैंसर हो सकता है। भारत में मुंह के कैंसर के 90 फीसदी मामले धुंएरहित तम्बाकू की वजह से होते हैं। कैंसर की जांच की बात करें तो लो डोज़ कम्प्यूटेड टोमोग्राफी के द्वारा छाती, सरवाईकल एवं कोलोरेक्टल कैंसर का निदान शुरूआती अवस्थाओं में हो सकता है।
दिल की बीमारियों का खतरा-
विशेषज्ञों का कहना है कि धूम्रपान दिल की बीमारियों का भी मुख्य कारण है और सीवीडी के कारण होने वाली हर चार मौतों में से एक मौत इसी की वजह से होती है। धूम्रपान से खून में ट्राइग्लीसराईड बढ़ते हैं, इससे गुड कोलेस्ट्रॉल यानि एचडीएल कम हो जाता है। जिससे खून जमने की संभावना बढ़ जाती है, इस तरह दिल और दिमाग को खून का प्रवाह ठीक से नहीं हो पाता, खून की वाहिकाओं में फैट, कोलेस्ट्रॉल, कैल्शियम आदि के रूप में प्लैक जमने लगता है। जिससे खून की वाहिकाएं मोटी और संकरी हो जाती हैं। जो हार्ट अटैक और स्ट्रोक का कारण बन सकता है।
उच्च रक्तचाप का जोखिम-
विशेषज्ञों का कहना है कि सिगरेट पीने से हाइपरटेंशन, एरिथमिया और एथेरोस्क्लेरोसिस की संभावना बढ़ती है। समय के साथ ये समस्याएं गंभीर रोगों का रूप ले लेती हैं जैसे कोरोनरी आर्टरी रोग, हार्ट अटैक, स्ट्रोक, हार्ट फेलियर, पेरिफरल आर्टरी रोग। इन रोगों से बचने के लिए अच्छा होगा कि आप धूम्रपान न करें। अगर आप धूम्रपान छोड़ना चाहते हैं तो अपने डॉक्टर की मदद लें। धूम्रपान छोड़ने से आपके दिल और पूरे शरीर की सेहत में सुधार होगा। धूम्रपान नहीं करने वाले लोग, जो घर या कार्यस्थल पर सैकण्ड-हैण्ड स्मोक में सांस लेते हैं उनमें दिल की बीमारियों की संभावना 25-30 फीसदी तथा स्ट्रोक की संभावना 20-30 फीसदी बढ़ जाती है।
सांस की बीमारियों का जोखिम-
विशेषज्ञों का कहना है कि सीओपीडी फेफड़ों का रोग है, जिसमें फेफड़ों में हवा का प्रवाह कम होने के कारण सांस की समस्याएं हो जाती हैं। सीओपीडी में एम्फाइसेमा और क्रोनिक ब्रोंकाइटिस शामिल हैं। सीओपीडी में फेफड़ों के वायु कोषों की दीवारों को नुकसान पहुंचता है, जिससे एयर ट्यूब्स स्थायी रूप से संकरी हो जाती हैं। इन ट्यूब्स के भीतर म्युकस जमने से इनकी मोटाई बढ़ जाती है। सीओपीडी आमतौर पर धूम्रपान की वजह से होता है। सीओपीडी के कारण होने वाली 10 में से 8 मौतें धूम्रपान की वजह से ही होती हैं। बचपन एवं किशोरावस्था में धूम्रपान की वजह से व्यस्क होने पर सीओपीडी संभावना बहुत अधिक बढ़ जाती है।
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