दिल्लीः आज ही के दिन यानी 29 मई 1953 में एडमंड हिलेरी और शेरपा तेनजिंग नोर्गे ने दुनिया की सबसे ऊंची पर्वत चोटी माउंट एवरेस्ट पर पहुंचकर इतिहास रच दिया था। न्यूजीलैंड के हिलेरी और नेपाल के तेनजिंग 29 मई 1953 को दिन में 11 बजकर 30 मिनट पर माउंट एवरेस्ट के शिखर पर पहुंचे थे।
पूरी दुनिया इस पल को ऐतिहासिक उपलब्धि के तौर पर याद करती है। विशेष बात यह है कि इस बारे में पूरी दुनिया को जानकारी चार दिन बाद यानी 2 जून 1953 को को मिली थी। आपको बता दें कि माउंट एवरेस्ट हिमालय पर्वत श्रृंखला का एक पर्वत है, जो नेपाल और तिब्बत के बीच स्थित है।
माउंट एवरेस्ट की ऊंचाई 8,848 मीटर यानी 29.32 हजार फीट है और यह हिमालय की सबसे ऊंची चोटी है। बेहद सर्द मौसम, सीधी चढ़ाई और बर्फीले तूफानों की वजह से काफी प्रयासों के बाद भी हिलेरी और नोर्गे से पहले इस चोटी पर कोई भी इंसान नहीं पहुंच पाया था। 1921 में ब्रिटेन ने एक अभियान के तहत पर्वतारोहियों का एक दल माउंट एवरेस्ट पर भेजा था। दल अपने मिशन पर था, लेकिन एक भयानक बर्फीले तूफान ने दल का रास्ता रोक दिया। पूरा दल मिशन अधूरा छोड़कर लौट आया। इस कोशिश को सफलता नहीं मिली, लेकिन दल में शामिल जॉर्ज ले मेलरी ने चोटी तक पहुंचने का थोड़ा आसान रास्ता देख लिया था।
अगले साल यानी 1922 में मेलरी फिर माउंट एवरेस्ट फतह करने निकल पड़े। इस बार 27 हजार फीट की ऊंचाई पर पहुंच गए, लेकिन फिर मौसम ने साथ नहीं दिया। इस तरह एवरेस्ट को फतह करने की कोशिशें चलती रहीं। 1952 में तेनजिंग नोर्गे 28 हजार 210 फीट की ऊंचाई तक पहुंचने में सफल रहे, लेकिन माउंट एवरेस्ट की चोटी फिर भी पहुंच से दूर ही रही।
ब्रिटेन ने कर्नल जॉन हंट की अगुआई में 1953 में एक दल को माउंट एवरेस्ट पर भेजने की तैयारी की। तेनजिंग नोर्गे और एडमंड हिलेरी भी इसी दल का हिस्सा थे। इस दल को पूरी तैयारी के साथ माउंट एवरेस्ट फतह करने भेजा गया।
अप्रैल 1953 में दल ने चढ़ाई शुरू की। दल 26 हजार फीट की ऊंचाई तक पहुंच चुका था। आगे का रास्ता और भी कठिन था। 26 मई को दल के ही 2 लोग चार्ल्स इवांस और टोम बोर्डिलन ने आखिरी चढ़ाई शुरू की। चोटी से करीब 300 फीट की दूरी पर ऑक्सीजन मास्क में खराबी आने की वजह से दोनों को वापस लौटना पड़ा।
28 मई को एडमंड हिलेरी और तेनजिंग नोर्गे ने चढ़ाई शुरू की। दिनभर की चढ़ाई के बाद 27 हजार 900 फीट की ऊंचाई पर भीषण बर्फीले तूफान और सर्दी के बीच रात गुजारी। सुबह फिर चढ़ाई शुरू की और 9 बजे तक दोनों उत्तरी शिखर पर पहुंच गए थे। अब इन दोनों और माउंट एवरेस्ट के बीच अब 40 फीट ऊंची एक बर्फीली चट्टान खड़ी थी। हिलेरी रस्सी की मदद से चट्टान के बीच की एक दरार से होते हुए ऊपर पहुंच गए। उन्होंने वहां से रस्सी फेंकी। नोर्गे रस्सी पकड़कर ऊपर आए। साढ़े 11 बजे दोनों दुनिया के शिखर पर थे।
29 मई को एक और महत्वपूर्ण घटना घटित हुई थी। आज ही के दिन यानी 29 मई 1972 में महान बॉलीवुड अभिनेता पृथ्वीराज कपूर का निधन हुआ था। 1960 में आई फिल्म मुगल-ए-आजम में निभाए अकबर के किरदार ने पृथ्वीराज कपूर को अमर बना दिया। इस फिल्म को हिन्दी सिनेमा की कालजयी फिल्मों में गिना जाता है। इस फिल्म का एक डायलॉग था, “सलीम तुझे मरने नहीं देगा और हम अनारकली, तुझे जीने नहीं देंगे”, ये डॉयलाग पृथ्वीराज कपूर ने बोला था, जो बहुत प्रसिद्ध हुआ।
3 नवंबर 1906 को लयालपुर (अब पाकिस्तान ) में पैदा हुए पृथ्वीराज कपूर वैसे तो पेशावर के एडवर्ड कॉलेज में वकालत की पढ़ाई कर रहे थे, लेकिन उन्हें थिएटर पसंद था। इसलिए कुछ पैसे उधार लेकर पाकिस्तान से मुंबई आ गए। उन्हें पहला लीड रोल 1929 में आई फिल्म ‘सिनेमा गर्ल’ में मिला। इसके 2 साल बाद आई भारत की पहली बोलती फिल्म ‘आलम आरा’ और इसी के साथ सिनेमा बोलने लगा। पृथ्वीराज भी इस फिल्म का हिस्सा थे।
पृथ्वीराज को फिल्मों से ज्यादा दिलचस्पी थिएटर में थी। लिहाजा फिल्मों के साथ-साथ कई थिएटर से भी जुड़े रहे। 1944 में उन्होंने पृथ्वी थिएटर के नाम से खुद का थिएटर शुरू किया। देश के स्वतंत्रता आंदोलन में नौजवानों की भागीदारी बढ़ाने के लिए भी पृथ्वी थिएटर ने कई नाटकों का मंचन किया।
हर नाटक के मंचन के बाद पृथ्वीराज कपूर थिएटर के बाहर एक थैला लेकर खड़े हो जाते थे। इसमें नाटक देखने के बाद निकलने वाले लोग कुछ पैसे डाल दिया करते थे। इसी से थिएटर का खर्चा चलता था। अगले 16 सालों तक थिएटर ने भारत के 112 शहरों में 5982 दिनों में कुल 2662 शो किए। थिएटर के हर शो में पृथ्वीराज कपूर ने लीड रोल प्ले किया। 1960 में पृथ्वीराज कपूर के खराब स्वास्थ्य की वजह से थिएटर को बंद करना पड़ा।
1972 में 65 साल की उम्र में कैंसर से पृथ्वीराज कपूर का निधन हो गया। हिंदी सिनेमा और थिएटर में महत्वपूर्ण योगदान देने के लिए 1972 में उन्हें मरणोपरांत दादा साहेब फाल्के पुरस्कार से सम्मानित किया गया। इसके अलावा उन्हें पद्मभूषण से भी सम्मानित किया गया था। आइए एक नजर डालते हैं 29 मई को देश और दुनिया में घटित हुईं महत्वपूर्ण घटनाओं पर-
1658 – औरंगजेब ने सामुगढ़ की लड़ाई में दारा शिकोह को पराजित किया।
1724 – पोप बेनेडिक्ट त्रयोदश, पिएत्रो फ्रांसिस्को ऑरसिनी का जन्म।
1727 – पीटर-द्वितीय 11 साल की उम्र में रूस का जार बना।
1790 – रोड आइलैंड ने संयुक्त राज्य के संविधान की पुष्टि की और ऐसा करने वाला 13 मूल राज्यों में से अंतिम राज्य बन गया।
1861 – हांगकांग जनरल चैंबर ऑफ कॉमर्स की स्थापना की गयी।
1874 – स्विट्ज़रलैंड में वर्तमान संविधान प्रभावी किया गया।
1896-भारत के छठे प्रधानमंत्री मोरारजी देसाई का जन्म हुआ।
1906 – जाने-माने निबंधकार कन्हैयालाल मिश्र प्रभाकर का जन्म।
1915 – तोफिलोब्रागा पुर्तगाल के राष्ट्रपति बने।
1947 – फ्लुगेलैग द्वीपसमूह पर एक विमान पहाड़ी इलाके में दुर्घटनाग्रस्त हो गया, जिसमें 25 लोग मारे गए।
1917- अमेरिकी राष्ट्रपति जॉन. एफ कैनेडी का जन्म हुआ।
1953 – एडमंड हिलेरी और तेनजिंग नॉर्गे माउंट एवरेस्ट पर पहुंचने वाले पहले व्यक्ति बने।
1959 – चार्ल्स दि गाल फ्रांस के राष्ट्रपति बने।
1970 – यूनाइटेड रुस ने अंडरग्राउंड न्यूक्लियर टेस्ट किया।
1972 – अभिनेता और पृथ्वी थियेटर के संस्थापक पृथ्वीराज कपूर का निधन।
1983 – नील बोनेट ने चार्लोट मोटर स्पीडवे पर दुनिया की 24वीं दौड़ में अपनी जीत दर्ज कराई।
1985- यूरोपीय फुटबॉल कप के दौरान दो टीमों के प्रशंसकों के बीच हुई झड़प में 39 लोगों की मौत हो गई।
1987 – भारत के पूर्व प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह का निधन।
1988- पाकिस्तान के राष्ट्रपति जिया उल हक ने सरकार को बर्खास्त कर संसद को भंग किया।
1990 – दक्षिण अमेरिकी देश पेरू में आए भीषण भूकंप से 56 मरे।
1996- बेंजामिन नेतन्याहू इजराइल के प्रधानमंत्री बने।
1999 – नाइजीरिया में नागरिक सत्ता की स्थापना हुई।
2002- गुजरात के अहमदाबाद में 4 बम धमाके हुए। करीब 39 लोगों की मौत हुई।
2007 – जापान की रियो मोरी मिस यूनिवर्स बनीं।
2008 – भारतीय जनता पार्टी के नेता बीएस येदियुरप्पा ने कर्नाटक के मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ली।
2010 – प्रसिद्ध अमेरिकी बाल कलाकार गैरी कोलमैन का निधन।
2015- भारत में हीट वेव ने ली 2300 से ज्यादा जानें। सबसे ज्यादा मौतें आंध्र प्रदेश और तेलंगाना में हुईं।
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