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पाकिस्तान को नागवार गुजरा मलिक को सजाः अफरीदी बोले यासीन पर लगाए गए मनमाने आरोप, इमरान ने कहा, ये है फासीवादी की सियासत

इस्लामाबादः जम्मू-कश्मीर लिबरेशन फ्रंट (JKLF) के सरगना यासीन मलिक को NIA कोर्ट की ओर से सुनाई गई सजा पाकिस्तान को नागवार गुजरा है। पाकिस्तानी नेता इसकी मुखालफत कर रहे हैं। पाकिस्तान क्रिकेट टीम के पूर्व कप्तान शाहिद अफरीदी भी यासीन मलिक के समर्थन में उतर आए हैं।

आपको बता दें कि एनआईए कोर्ट ने टेरर फंडिंग मामले में मलिक को उम्रकैद की सजा सुनाई है। हालांकि एनआईए की ओर से फांसी की मांग की गई थी, जिसे अदालत ने स्वीकार नहीं किया।

अफरीदी ने आतंकी का मलिक समर्थन करते हुए सोशल मीडिया पर लिखा, “भारत अपने खिलाफ उठने वाली आवाजों को दबाने के लिए कोशिश कर रहा है। उसे नाकामी ही हाथ लगेगी। यासीन मलिक पर मनमाने आरोप लगाए जाने से कश्मीर की आजादी के संघर्ष पर कोई फर्क नहीं पड़ेगा। मैं संयुक्त राष्ट्र (UN) से आग्रह करता हूं कि कश्मीरी नेताओं के खिलाफ चल रहे गैरकानूनी ट्रायल्स में दखल दें।“

उधर, पाकिस्तान के पूर्व राजनयिक एवं भारत में पाकिस्तान के राजदूत रह चुके अब्दुल बासित ने सारी हदे पार कर दी। उन्होंने मलिक के पक्ष में लिखा, “यह ज्युडिशियल टेरेरिज्म शर्मनाक है। दुनिया को भारत के इस गैर जिम्मेदाराना रवैये के खिलाफ खड़े हो जाना चाहिए।“

वहीं पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान ने मलिक को सजा दिए जाने का विरोध किया है। उन्होंने कहा, “मैं कश्मीरी नेता यासीन मलिक के खिलाफ मोदी सरकार की उस फासीवादी रणनीति की कड़ी निंदा करता हूं, जिसके तहत उन्हें अवैध कारावास से लेकर फर्जी आरोपों में सजा दी जा रही है। अंतर्राष्ट्रीय समुदाय को मोदी शासन के राजकीय आतंकवाद के खिलाफ कार्रवाई करनी चाहिए।“

इसी तरह से पाकिस्तान की सांसद नाज बलोच ने मलिक की सजा ट्वीट कर मोदी सरकार को फासीवादी करार दिया। उन्होंने ट्विटर पर लिखा, “संयुक्त राष्ट्र को मानवाधिकारों के उल्लंघन पर तत्काल संज्ञान लेना चाहिए।“ उन्होंने मलिक को कश्मीर का वीर सपूत करार दिया और लिखा कि झूठे आरोप में सजा देना मानवता के खिलाफ है। इतना ही नहीं बलोच ने यासीन मलिक की रिहाई की मांग तक कर दी।

वहीं पाकिस्तान के मौजूदा प्रधानमंत्री शाहबाज शरीफ ने सोशल मीडिया पर लिखा कि  दुनिया को जम्मू और कश्मीर में सियासी कैदियों के साथ भारत सरकार के रवैये पर ध्यान देना चाहिए। प्रमुख कश्मीरी नेता यासीन मलिक को फर्जी आतंकवाद के आरोपों में दोषी ठहराना भारत के मानवाधिकारों के उल्लंघन की आलोचना करने वाली आवाजों को चुप कराने की कोशिश है। मोदी सरकार को इसके लिए दोषी ठहराया जाना चाहिए।

आपको बता दें कि 19 मई की सुनवाई के दौरान यासीन अपने गुनाह कबूल कर चुका है। मलिक पर 25 जनवरी 1990 को श्रीनगर में वायुसेना के जवानों पर हमला करने का आरोप है। इस घटना में 40 लोग घायल हुए थे, जबकि चार जवान शहीद हो गए थे। स्क्वाड्रन लीडर रवि खन्ना उनमें से एक थे। यह सभी एयरपोर्ट जाने के लिए गाड़ी का इंतजार कर रहे थे, तभी आतंकियों ने उन पर हमला कर दिया था। मलिक ने मीडिया को दिए इंटरव्यू में भी इस बात का जिक्र किया था।

इसके साथ ही पाकिस्‍तानी आतंकियों के साथ संबंध रखने के आरोप भी हैं। साथ ही जम्मू-कश्मीर के पूर्व CM मुफ्ती मोहम्मद सईद की बेटी रूबिया सईद के अपहरण के भी आरोप लगे हैं। 1990 में कश्मीरी पंडितों की हत्या कर उन्हें घाटी छोड़ने पर मजबूर करने में भी यासीन की महत्वपूर्ण भूमिका रही।

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