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मुझे मक्खन पर लकीर खींचने में मजा नहीं आता, मैं पत्थर पर लकीर खींचता हूंः मोदी - Prakhar Prahari
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मुझे मक्खन पर लकीर खींचने में मजा नहीं आता, मैं पत्थर पर लकीर खींचता हूंः मोदी

टोक्योः मुझे मक्खन पर लकीर खींचने में मजा नहीं आता। मैं पत्थर पर लकीर खींचता हूं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सोमवार को ये बातें जापान की राजधानी टोक्यो में भारतीय समुदायर के लोगों को संबोधित करते हुए कही।

पीएम मोदी ने कहा, “साथियों, मेरा जो लालन-पालन हुआ है, जो संस्कार मुझे मिले हैं और जिन-जिन लोगों ने मुझे गढ़ा है, उसके कारण मेरी भी एक आदत बन गई है। मुझे मक्खन पर लकीर खींचने में मजा नहीं आता। मैं पत्थर पर लकीर खींचता हूं। सवाल मोदी का नहीं है। 130 करोड़ देशवासियों का संकल्प और सपने यह सामर्थ्य हम देखकर रहेंगे। यह सपनों का भारत होगा। भारत अपने खोए विश्वास को फिर हासिल कर रहा है। दुनिया में हमारे नागरिक आंख से आंख मिलाकर बात करते हैं।“

उन्होंने कहा कि अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडेन ने हिंद-प्रशांत में अमेरिका को फिर बड़ी आर्थिक ताकत के तौर पर पेश करने के लिए नया इकोनॉमिक अलायंस बनाया है। इसका नाम आईपीईएफ (IPEF) यानी इंडो पैसिफिक इकोनॉमिक फ्रेमवर्क है।

उन्होंने कहा, “जापान कमल के फूल की तरह अपनी जड़ों से जुड़ा है। इसकी वजह से वह खूबसूरत नजर आता है। यही हमारे संबंधों की कहानी भी है। हमारे संबंधों को 70 साल हो गए हैं। भारत और जापान नैचुरल पार्टनर हैं। हमारे संबंध आत्मीयता और अपनेपन का है। यह रिश्ता सम्मान का है। यह दुनिया के लिए सांझे संकल्प का है। जापान से रिश्ता बुद्ध और बौध का है। हमारे महाकाल हैं, जापान में गायकोतिन है। हमारी मां सरस्वती हैं तो जापान में बेंजायतिन है।“

प्रधानमंत्री ने कहा कि 21वीं सदी में भी भारत और जापान के सांस्कृतिक संबंधों को हम बढ़ा रहे हैं। मैं काशी का सांसद हूं। जब शिंजो आबे काशी आए तो उन्होंने रूद्राक्ष दिया। ये बातें हमें निकट लाती हैं। आप इस ऐतिहासिक बंधन को मजबूत बना रहे हैं। आज की दुनिया को भगवान बुद्ध के बताए रास्ते पर चलने की पहले से ज्यादा जरूरत है। हिंसा, आतंकवाद या क्लाइमेट चेंज से निपटने का यही रास्ता है। भारत सौभाग्यशाली है कि उसे भगवान बुद्ध का साक्षात आशीष मिला है। चुनौतियां चाहे जैसी भी हों, भारत उनका समाधान खोजता ही है।

उन्होंने कहा कि मौजूदा समय में भारत किस तरह वैश्विक चुनौतियों का मुकाबला कर रहा है। क्लाइमेट चेंज बहुत बड़ा संकट बन गया है। हमने इस चुनौति को देखा भी और रास्ते भी खोजे। 2070 तक हमने नेट जीरो के लिए वादा किया है। इंटरनेशनल सोलर एलायंस के लिए हम साथ हैं। जापान ने तो इसको सबसे ज्यादा महसूस किया है। वो हर समस्या से कुछ न कुछ सीखते हैं और व्यवस्थाओं को विकसित किया है।

उन्होंने कहा कि हम आज ग्रीन फ्यूचर और ग्रीन रोड मैप के लिए तेजी से आगे बढ़ रहे हैं। ग्रीन हाइड्रोजन पर फोकस किया जा रहा है। इस दशक के आखिर तक हम 50 फीसदी नॉन फॉसिल फ्यूल का टारगेट पूरा कर लेंगे। ग्लोबल सप्लाई चेन को दो साल में नुकसान पहुंचा है। इस पर सवालिया निशान है। भविष्य में इससे बचने के लिए हम आत्मनिर्भरता के संकल्प के साथ आगे बढ़ रहे हैं। यह दुनिया के लिए भी बहुत बड़ा इन्वेस्टमेंट है। पूरी दुनिया को इसका अहसास है। दुनिया को यह भी दिख रहा है कि भारत इन्फ्रास्ट्र्कचर पर काम कर रहा है। जापान इसमें अहम सहयोगी है।

मोदी ने कहा कि भारत में हो रहे बदलावों में एक और खास बात है। हमने एक स्ट्रॉन्ग और रिस्पॉन्सिबल डेमोक्रेसी की पहचान बनाई है। इसमें समाज के वो लोग भी जुड़ रहे हैं जो पहले इसमें गौरव महसूस नहीं करते थे। पुरुषों से ज्यादा महिलाएं वोट कर रही हैं। यह इस बात का प्रमाण है कि भारत में डेमोक्रेसी हर नागरिक को कितना ताकतवर बनाती है। लीकेज प्रूव गर्वनेंस के लिए टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल कर रहे हैं। जो जिस चीज का हकदार है, वो बिना किसी परेशानी और सिफारिश के अपने हक को प्राप्त कर सकता है।

उन्होंने कहा कि भारत के गांवों रहने वालों की डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर ने बहुत मदद की है। इसका एक कारण डिजिटल रिवोल्यूशन है। पूरी दुनिया में जो डिजिटल ट्रांजेक्शन होता है, उसमें से 40 फीसदी अकेले भारत में होता है। आपको इस पर गर्व होता है।

प्रधानमंत्री ने कहा कि कोरोना के दौर में जब सब बंद था। तब भी हमने एक क्लिक पर करोड़ों भारतीयों को मदद पहुंचाई। जिसके लिए मदद तय थी वो उसे ही मिली। भारत में आज सही मायनों में पीपल लेड गवर्नमेंट काम कर रही है। आज हम आजादी का अमृत महोत्सव मना रहे हैं। इसके 100वें वर्ष तक हमें भारत को कहां तक पहुंचाना है। हम इसका रोड मैप तैयार कर रहे हैं।

पीएम मोदी ने कहा कि लोग हमारे मसाले हमारी हल्दी मंगा रहे हैं। हमारी खादी की डिमांड बढ़ रही है। पहले तो यह नेताओं की ‌वेशभूषा बन गई थी। इसकी ग्लोबल डिमांड बढ़ रही है। विवेकानंद ने एक बार कहा था- हम भारतीय नौजवानों को जीवन में एक बार कम से कम जापान की यात्रा जरूर करनी चाहिए। जापान का हर युवा कम से कम एक बार भारत की यात्रा भी जरूर करे। आपने अपनी स्किल्स से अपने टैलेंट से जापान की इस महान धरती को अभिभूत किया है। अब आप जापान को भारत से परिचित कराएं। इससे दोनों देशों के संबंधों को नई बुलंदियां मिलेंगी। आपका स्वागत और उत्साह दिल को छू लेने वाला है। यह प्यार स्नेह हमेशा बना रहे।

इसके पहले प्रधानमंत्री मोदी आईपीईएफ (IPEF) यानी इंडो-पैसिफिक इकोनॉमिक फ्रेमवर्क इवेंट में शामिल हुए। यहां उन्होंने कहा कि भारत एक समावेशी इंडो-पैसिफिक इकोनॉमिक फ्रेमवर्क के लिए आप सभी के साथ काम करेगा। हमारे बीच भरोसा, पारदर्शिता, समयबद्धता होनी चाहिए। यह इंडो पैसिफिक क्षेत्र में विकास, शांति और समृद्धि लाएगा।

प्रधानमंत्री ने कहा कि इंडो-पैसिफिक क्षेत्र मैन्युफैक्चरिंग, आर्थिक गतिविधि और निवेश का केंद्र है। भारत इसका सदियों से प्रमुख केंद्र रहा है। भारत के लोथल (गुजरात) में सबसे प्राचीन कॉमर्शियल पोर्ट था। इसलिए ये आवश्यक है कि हम आर्थिक क्षेत्र की चुनौतियों के लिए साझा समाधान खोजें।

वहीं, जापान के प्रधानमंत्री फूमियो किशिदा ने कहा कि जापान, अमेरिका और अन्य भागीदारों के सहयोग से भारत-प्रशांत क्षेत्र की स्थिर में योगदान देता रहा है।

आपको बता दें कि पीएम मोदी जापान में क्वारड (QUAD) समिट में हिस्सा लेने आए हैं। उनके जापान पहुंचने पर भारतीय समुदाय ने उनका जोरदार स्वागत किया और जय श्री राम के नारे लगाए। भारतीयों ने कहा कि जो काशी को सजाए हैं, वह टोक्यो आए हैं।

अब आपको बताते हैं कि क्वाड क्या है- दरअसल 2004 में हिंद महासागर में सुनामी आई। इसके तटीय देश काफी प्रभावित हुए थे। तब भारत, अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया और जापान ने मिलकर सुनामी प्रभावित देशों की मदद की। इसके बाद 2007 में जापान के तत्कालीन प्रधानमंत्री शिंजो आबे ने क्वाड (QUAD) यानी द क्वाड्रिलैटरल सिक्योरिटी डायलॉग (चतुर्भुज सुरक्षा वार्ता)का गठन किया।

क्वाड चार देश अमेरिका, जापान, ऑस्ट्रेलिया और भारत का एक समूह है। 2007 से 2010 के बीच हर साल क्वाड की बैठकें होती रहीं, लेकिन इसके बाद बंद हो गई। बताया जाता है कि तब चीन ने ऑस्ट्रेलिया पर काफी दबाव डाला, जिसके बाद वह क्वाड से दूरियां बनाने लगा। हालांकि, 2017 में फिर से चारों देशों के राष्ट्राध्यक्षों ने मिलकर क्वाड को मजबूत करने का फैसला लिया।

General Desk

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