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दिल्लीः तेल कंपनियों ने रविवार को पेट्रोल और डीजल के दामों में भारी कटौती की। यह कमी केंद्र सरकार द्वारा पेट्रोल पर आठ रुपये और डीजल पर छह रुपये प्रति लीटर उत्पाद शुल्क हटाए जाने के बाद हुई। इन दोनों जीवाश्म ईंधनों के दामों में अभी और कमी होगी, क्योंकि केंद्र सरकार द्वारा उत्पाद शुल्क में कटौती के बाद राज्यों पर भी वैट कम करने का दबाव बढ़ेगा। विशेषकर उन सात राज्यों पर होगा, जिन्होंने बीते साल नवंबर में केंद्र द्वारा उत्पाद शुल्क घटाए जाने के बाद भी अपने यहां वैट नहीं घटाया था। इसके बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पिछले माह भी इन राज्यों से अपील की थी, लेकिन तब भी उन्होंने कोई फैसला नहीं लिया था।

आपको बता दें कि केंद्र सरकार ने शनिवार को एक अहम फैसले में पेट्रोल और डीजल पर उत्पाद शुल्क कम करने का फैसला किया। इसके तहत पेट्रोल पर आठ रुपये और डीजल पर छह रुपये प्रति लीटर की कटौती की जाएगी। इस कटौती के बाद विभिन्न राज्यों में डीजल और पेट्रोल की कीमतें कम होंगी, हालांकि इनमें सभी राज्यों में दरों को लेकर असमानता अभी भी रह सकती है, क्योंकि कुछ राज्यों ने पिछली बार भी वैट नहीं घटाया था। इन राज्यों में महाराष्ट्र, पश्चिम बंगाल, तेलंगाना, आंध्र प्रदेश तमिलनाडु, केरल और झारखंड शामिल है।

केंद्रीय वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने शनिवार को ट्वीट कर कहा, “केंद्र सरकार सभी राज्यों से भी इसी तरह टैक्स घटाने को कहती हैं, खास तौर पर उन राज्यों से जिन्होंने नवंबर 2021 के दौरान केंद्र की तरफ से एक्साइज कटौती के बाद भी टैक्स नहीं घटाए। ऐसा करके राज्य आम लोगों को राहत दे सकते हैं।”

केरल सरकार ने शनिवार को केंद्र द्वारा ईंधन की कीमत में कमी के बाद पेट्रोल और डीजल की कीमतों में क्रमशः 2.41 रुपये और 1.36 रुपये प्रति लीटर की कटौती की घोषणा की। राज्य कर में कटौती की घोषणा करते हुए केरल के वित्त मंत्री के एन बालगोपाल ने कहा कि केंद्र सरकार ने भारी कर में आंशिक रूप से कमी है। केरल सरकार इस फैसले का स्वागत करती है। उन्होंने कहा, राज्य सरकार पेट्रोल और डीजल की कीमत पर राज्य कर में क्रमश: 2.41 रुपये और 1.36 रुपये प्रति लीटर की कमी करेगी।

इससे पहले केंद्र सरकार ने पिछले साल नवंबर माह में पेट्रोल पर 5 रुपये और डीजल पर 10 रुपये प्रति लीटर उत्पाद शुल्क कम किया था। इसके बाद बीजेपी शासित गुजरात, कर्नाटक, उत्तर प्रदेश, असम, मणिपुर, हरियाणा और एनडीए शासित बिहार ने भी अपने यहां वैट कम किए थे,  लेकिन उस समय तब दिल्ली, महाराष्ट्र, पंजाब, पश्चिम बंगाल, तमिलनाडु, केरल, झारखंड और छत्तीसगढ़ में वैट कम नहीं किए थे। हालांकि बाद में दिल्ली ने वैट की दर घटाई थी।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पिछले माह 27 अप्रैल को कोरोना पर राज्यों के मुख्यमंत्रियों के साथ समीक्षा बैठक में सात राज्यों महाराष्ट्र, पश्चिम बंगाल, तेलंगाना, आंध्र प्रदेश, तमिलनाडु, केरल और झारखंड का नाम लेते हुए कहा था कि इन राज्यों ने केंद्रीय उत्पाद शुल्क की दर घटाने के बाद भी वैट की दर नहीं घटाई थी। उन्होंने इन राज्यों से वैट कम करने की अपील भी की थी।

अब जबकि केंद्र सरकार ने एक बार फिर से उत्पाद शुल्क में कमी की है तब इन राज्यों पर सबसे ज्यादा दबाव होगा कि वह भी अपने यहां वैट की दरें घटाएं। इस बात की भी संभावना है कि भाजपा शासित राज्य एक बार फिर अपने यहां वैट की दर कम कर सकते हैं, जिससे की जनता को और राहत मिल सके।

 

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