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सिद्धू को सुप्रीम कोर्ट से नहीं मिली राहत, आज करना पड़ेगा सरेंडर, नहीं तो पुलिस करेगी गिरफ्तार

दिल्लीः कांग्रेस नेता नवजोत सिद्धू को अब जेल जाना ही होगा। सुप्रीम कोर्ट ने क्यूरेटिव पिटीशन को तत्काल सुनवाई करने से इनकार कर दिया है। पंजाब कांग्रेस के पूर्व प्रधान सिद्धू को अब कोर्ट में सरेंडर करना होगा, नहीं तो पंजाब पुलिस उन्हें गिरफ्तार करेगी। इससे पहले सिद्धू ने अपने वकील अभिषेक मनु सिंघवी के जरिए सुप्रीम कोर्ट में क्यूरेटिव पिटीशन दायर कर दी। इस याचिका में उन्होंने सुप्रीम कोर्ट से सरेंडर के लिए एक हफ्ते की मोहलत मांगी थी। सिद्धू ने कहा है कि वह बीमार है, इस वजह से उन्हें आत्मसमर्पण के लिए मोहलत दी जाए।

उधर, इस मामले में सिद्धू को सजा सुनाने वाली बैंच ने क्यूरेटिव पिटीशन को सुनने से इनकार कर दिया है। सिद्धू के वकील अभिषेक मनु सिंघवी की पिटीशन पर जस्टिस एएम खानविलकर ने कहा कि हम चीफ जस्टिस के पास मामले को भेज रहे हैं, वे ही इस पर सुनवाई का फैसला करेंगे। आपको बता दें कि अगर सुप्रीम कोर्ट से राहत न मिली तो फिर सिद्धू को आज ही सरेंडर करना होगा।

आपको बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को 34 साल पुराने रोडरेज केस में सिद्धू की सजा को बढ़ाकर एक साल सश्रम कारावास में तब्दील कर दी। वहीं सिद्धू के सरेंडर के वक्त समर्थकों को बुला लिया गया है। पटियाला जिला कांग्रेस के प्रधान नरिंदरपाल लाली ने पार्टी वर्करों को इस बाबत मैसेज भी भेजा है। सिद्धू फिलहाल अपने पटियाला वाले घर में मौजूद हैं.  जहां उनके समर्थक कांग्रेस नेता पहुंचने लगे हैं।

आपको बता दें कि सुप्रीम कोर्ट के सिद्धू को एक साल बामुशक्कत कैद की सजा के ऑर्डर पहले पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट पहुंचेंगे, जहां से उसे पटियाला के जिला एवं सेशन कोर्ट भेजा जाएगा। सिद्धू खुद सरेंडर करेंगे,  तो ठीक नहीं, तो संबंधित पुलिस थाने को उन्हें गिरफ्तार करने को कहा जाएगा।

उधर, पीड़ित गुरनाम सिंह के परिवार ने कहा कि वह इस फैसले से संतुष्ट हैं। उनकी बहू परवीन कौर ने कहा कि 34 साल की लड़ाई में कभी उनका मनोबल नहीं टूटा। उन्होंने कभी सिद्धू के क्रिकेटर एवं नेता के रसूख पर ध्यान नहीं दिया। उनका लक्ष्य सिर्फ सिद्धू को सजा दिलाना था,  जिसमें वह कामयाब रहे।

आइए आपको बताते हैं कि सिद्धू से जड़े इस मामले में कब क्या हुआ….

  • 27 दिसंबर 1988 को सिद्धू का पटियाला में पार्किंग को लेकर 65 साल के बुजुर्ग गुरनाम सिंह से झगड़ा हुआ। सिद्धू ने उन्हें मुक्का मारा। बाद में गुरनाम सिंह की मौत हो गई। सिद्धू और उनके दोस्त रूपिंदर सिंह पर गैरइरादतन हत्या का केस दर्ज हुआ।
  • 1999 में सेशन कोर्ट ने सिद्धू को सबूतों के अभाव में बरी कर दिया। पीड़ित पक्ष इसके खिलाफ पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट चला गया।
  • 2006 में हाईकोर्ट ने सिद्धू को 3 साल कैद की सजा और एक लाख रुपए जुर्माने की सजा सुनाई।
  • जनवरी 2007 में सिद्धू ने कोर्ट में सरेंडर किया। जिसमें उन्हें जेल भेज दिया गया। इसके बाद सिद्धू सुप्रीम कोर्ट चले गए।
  • 16 मई 2018 को सुप्रीम कोर्ट ने सिद्धू को गैर इरादतन हत्या के आरोप में लगी धारा 304IPC से बरी कर दिया। हालांकि IPC की धारा 323, यानी चोट पहुंचाने के मामले में एक हजार जुर्माना लगा। इसके खिलाफ पीड़ित परिवार ने SC में पुनर्विचार याचिका दायर कर दी।
  • 19 मई 2022 को सुप्रीम कोर्ट ने सिद्धू पर अपना फैसला बदलते हुए 323IPC यानी चोट पहुंचाने के आरोप में एक साल कैद की सजा सुना दी।
General Desk

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