लखनऊ: उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने एक बड़ा फैसला लेते हुए प्रदेश के डीजीपी (DGP) यानी पुलिस महानिदेशक मुकुल गोयल को पद (UP DGP Mukul Goyal News) से हटा दिया गया है। अब उन्हें डीजी नागरिक सुरक्षा की जिम्मेदारी सौंपी गई है। उन पर शासन के कामों में लापरवाही का आरोप लगा है।
मुकुल गोयल 1 जुलाई 2021 को यूपी के DGP बनाए गए थे। मूल रूप से मुजफ्फरनगर के शामली के रहने वाले गोयल 1987 बैच के आईपीएस (IPS) यानी भारतीय पुलिस सेवा के अधिकारी हैं।
यूपी सरकार के सूचना विभाग ने बताया है कि पुलिस महानिदेशक मुकुल गोयल (Mukul Goyal) को शासकीय कार्यों की अवहेलना करने तथा विभागीय कार्यों में रुचि न लेने एवं अकर्मण्यता के चलते DGP पद से मुक्त किया गया है। मुकुल गोयल को डीजी नागरिक सुरक्षा की जिम्मेदारी सौंपी गई है।
मुकुल गोयल 1987 बैच के आईपीएस अफसर और मूल रूप से यूपी के मुजफ्फरनगर के शामली निवासी है। मुकुल गोयल आईआईटी दिल्ली से बीटेक हैं और एमबीए भी हैं। यूपी के अपने कार्यकाल में आजमगढ़ के एसपी और वाराणसी,गोरखपुर, सहरानपुर, मेरठ में एसएसपी के पद पर तैनात रह चुके हैं।
गोयल कानपुर, आगरा, बरेली रेंज के डीआईजी और बरेली जोन के आईजी भी रह चुके हैं। इसके अलावा मुकुल गोयल केंद्र में आईटीबीपी, बीएसएफ, एनडीआरएफ में भी काम कर चुके हैं। गोयल का विवादों से भी नाता रहा है। 2000 में बतौर एसएसपी सहारनपुर में तैनाती के दौरान बीजेपी विधायक निर्भय पाल सिंह की हत्या के बाद निलंबित किए गए थे।
इसके साथ ही 2006 में यूपी में बड़े पैमाने पर पुलिस भर्ती चल रही थी उस दौरान मुकुल गोएल डीआईजी के पद पर आगरा में तैनात थे और वहां के भर्ती बोर्ड के प्रमुख थे। 2007 में मायावती सरकार आने के बाद जब इन मामलों में अफसरों का निलंबन और मुकदमा दर्ज करने की कार्रवाई शुरू हुई तब तक मुकुल गोयल और दलजीत चौधरी प्रतिनियुक्ति पर केंद्र में चले गए थे। 2012 में सत्ता में वापसी के बाद समाजवादी पार्टी की सरकार ने सभी मुकदमे वापस ले लिए थे।