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पीएम मोदी ने डेनमार्क में दिया चलो इंडिया का नारा, कहा- हर भारतीय 5 विदेशी दोस्तों को भारत दर्शन के लिए भेजे र बनें राष्ट्रदूत - Prakhar Prahari
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पीएम मोदी ने डेनमार्क में दिया चलो इंडिया का नारा, कहा- हर भारतीय 5 विदेशी दोस्तों को भारत दर्शन के लिए भेजे र बनें राष्ट्रदूत

कोपेनहेगन : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मंगलवार को डेनमार्क में चलो इंडिया का नारा दिया और भारतीय समुदाय के लोगों से अपील की कि हर भारतीय 5 विदेशी दोस्तों को भारत दर्शन के लिए भेजे तथा आप राष्ट्रदूत बनें। पीएम मोदी तीन दिनों की यूरोप दौरे के दूसरे दिन मंगलवार को डेनमार्क पहुंचे, जहां डेनमार्क की पीएम मेटे फ्रेडरिक्सन ने उनका स्वागत किया। इसके बाद पीएम मोदी और डेनमार्क की प्रधानमंत्री फ्रेडरिक्सन ने भारत-डेनमार्क के टॉप बिजनेस लीडर्स से मुलाकात की।

इसके बाद पीएम मोदी भारतीय समुदाय के सदस्यों को संबोधित करने बेल्ला सेंटर पहुंचे। यहां उन्होंने सभी भारतीयों का आभार व्यक्त किया और लोगों को ‘चलो भारत’ का नारा भी दिया। उन्होंने कहा कि दुनिया में रह रहा हर भारतवासी अगर पांच गैर-भारतीयों को घूमने के लिए भारत भेजने का काम करेगा तो भारत दुनिया का सबसे लोकप्रिय डेस्टिनेशन बन जाएगा।

डेनमार्क में पीएम मोदी ने भारतीय समुदाय के बीच ‘चलो इंडिया’ इनिशिएटिव का नारा दिया और कहा, “हमारा देश आजादी का अमृत महोत्सव मना रहा है। अगर आप मानने वाले हैं तो मैं बताऊं।“  उन्होंने कहा, “आप लोगों को देखकर ऐसा लग रहा है कि पक्का कोई मुसीबत आ रहा है। मैं दुनिया में जितने भी देश वासी रह रहे हैं उनसे एक आग्रह करता हूं, आप हर वर्ष 5 गैर भारतीय फ्रेंड्स को भारत देखने के लिए भेजने का काम कर सकते है।“

उन्होंने कहा कि अभी से टारगेट कीजिए। आप उन्हें बताएं कि हमारे यहां ये है। इससे हम ताकत बन सकते हैं। पीएम ने चुटिले अंदाज में कहा कि ऐसा मत कहना कि वहां डायरेक्ट फ्लाइट नहीं है। एक जमाने में लोग पैदल भारत देखने आते हैं। हमें फिर से वातावरण बनाना है। दुनिया के लिए एक ही डेस्टीनेशन बन जाएगा इंडिया। ये काम राजदूतों का नहीं आप जैस राष्ट्रदूतों का है। आप ये करेंगे।

प्रधानमंत्री ने कहा कि कल्पना कीजिए कि अगर भारत में हम वैक्सीनेशन को हर परिवार तक नहीं पहुंचा पाते, तो उसका दुनिया पर क्या असर होता? अगर भारत मेड इन इंडिया, सस्ती और प्रभावी वैक्सीन्स पर काम ना करता, बड़े स्केल पर प्रोडक्शन ना करता, तो दुनिया के अनेक देशों की क्या स्थिति होती? आज भारत जो कुछ भी हासिल कर रहा है, वो उपलब्धि सिर्फ भारत की नहीं है, बल्कि वो करीब वन-फिफ्थ ह्यूमेनिटी की उपलब्धि है।

पीएम मोदी ने कहा कि दुनिया को बेहतर बनाने के लिए भारत औक डेनमार्क की साझेदारी अहम है। भारत-डेनमार्क के संकल्प एक है। दुनिया को तबाह करने में भारत की कोई भूमिका नहीं है। हम तो वो लोग हैं तो पौधे में भी परमात्मा देखते हैं। हम वो लोग हैं जो नदी को मां मानते हैं।

उन्होंने कहा कि दुनिया की भलाई को देखते हुए 2070 तक जलवायु बचाने का लक्ष्य बनाया है। 2030 का लक्ष्य हमने 9 साल पहले ही पूरा कर लिया है। भारत में हम सस्ती सोलर ऊर्जा पैदा कर रहे हैं। उसकी कीमत ढाई रुपए प्रति यूनिट से भी कम है। हम उसे दो रुपए तक लाने की कोशिश कर रहे हैं। हमें यह भी मानना होगा कि दुनिया जहां थी वहीं ठहरी है। हम कर पा रहे हैं इसका कारण है कि हम क्लाइमेट एक्शन को सरकारों की जिम्मेदारी की तरह देखते रहे हैं। जब तक सोसायटी इससे नहीं जुड़ेगी तब तक कुछ नहीं होता। जब हर व्यक्ति इसे खुद का दायित्व मानता है तभी हम यह कर पाते हैं।

प्रधानमंत्री मोदी ने अपने संबोधन में कहा कि डेनमार्क ग्रीन फ्यूचर में हमारा मजबूत साझेदार बन रहा है। हमारे बीच ग्रीन शिपिंग,साइंस टेक्नोलॉजी और इनोवेशन में साझेदारी है। हाइड्रोकार्बन पर किसानों की निर्भरता कम कर रहा है। डेनमार्क की कंपनियों के पास इसकी क्षमता है। आप अपने डेनमार्क के साथियों को इसके बारे में जरूर बताएं।

कोपनहेगन यूनिवर्सिटी में नीलबोर का नाम है। वे खुद की जरूरत के समय भारत के उपनिषद के पास जाते थे। आज नम्रतापूर्वक अपने डेनिस मित्रों से कहना चाहता हूं कि आप अपनी समस्याओं के लिए भारत आएं।

उन्होंने कहा कि आप लोगों ने डेनमार्क की प्रधानमंत्री जी का और मेरा यहां जो भव्य स्वागत किया, उस के लिए मैं आप सभी का बहुत आभारी हूं। जो भी बधाइयां मुझे मिलती हैं, उन्हें आपको समर्पित करता हूं। आज प्रधानमंत्री फ्रेडरिक्सन का यहां होना इस बात का प्रमाण है कि भारतीयों के प्रति उनके दिल में कितना प्यार और सम्मान है।

पीएम मोदी ने हॉल में मौजूद लोगों से कहा कि यहां कोई पंजाबी, कोई बंगाली, कोई गुजराती, कोई उड़िया और कोई किसी दूसरी भाषा का है। लेकिन भाषा कोई भी हो, लेकिन हम सभी के संस्कार भारतीय ही हैं। इस मौके पर हॉल मोदी-मोदी के नारे से गूंज उठा।

उन्होंने आगे कहा- हमारी खाने की थाली बदल जाता है टेस्ट बदल जाता है लेकिन बार बार आग्रह करने का तरीका नहीं बदलता। कुछ लोग तो नमक के लिए भी आग्रह कर देते हैं। हम राष्ट्र निर्माण में एक साथ होते हैं। सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास और सबका प्रयास। वसुदेव कुटुंबकम यानी पूरा विश्व एक। हमारा यह कॉन्सेप्ट हिमालय से भी ऊंचा है।

प्रधानंमत्री ने कहा कि एक भारतीय दुनिया में कहीं भी जाए, वो अपनी कर्म-भूमि और उस देश के लिए पूरी ईमानदारी से कंट्रीब्यूट करता है। अनेक बार जब मेरी विश्व नेताओं से मुलाकात होती है तो वे अपने देशों में बसे भारतीय समुदाय की उपलब्धियों के बारे में मुझे गर्व से बताते हैं।

उन्होंने कहा, “कोरोना के कारण बहुत समय तक सभी की जिंदगी एक तरह से वर्चुअल मोड में ही चल रही थी। पिछले साल जैसे ही आवाजाही मुमकिन हुई तो प्रधानमंत्री फ्रेडरिक्सन पहली राष्ट्राध्यक्ष थीं जिनका हमें भारत में स्वागत करने का अवसर मिला। ये भारत और डेनमार्क के मजबूत होते संबंधों को दिखाता है।“

उन्होंने कहा कि हमारी ग्रीन स्ट्रैटजिक पार्टनरशिप प्रधानमंत्री फ्रेडरिक्सन की व्यक्तिगत प्राथमिकताओं, उनके जीवन मूल्यों से काम करने में भरोसा रखती हैं। आज उनके साथ मेरी जो चर्चा हुई है, उससे दोनों देशों के संबंधों को नई ताकत मिलेगी, नई ऊर्जा मिलेगी।

पीएम मोदी ने कहा कि लगभग 75 महीने पहले हमने स्टार्ट अप इंडिया कार्यक्रम शुरु किया था। तब स्टार्ट अप इकोसिस्टम के रूप में हमारी गिनती कहीं नहीं होती थी। आज हम यूनिकॉर्न्स के मामले में दुनिया में नंबर-3 पर हैं। आज स्टार्ट अप्स के मामले में दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा इकोसिस्टम हिंदुस्तान है। भारत की ताकत जब बढ़ती है तो दुनिया की ताकत बढ़ती है। फार्मेसी ऑफ द वर्ल्ड की भूमिका में भारत ने मुश्किल समय में पूरी दुनिया का साथ दिया है, अनेकों देशों को हमने दवाइयां भेजी हैं।

उन्होंने कहा कि 5-6 साल पहले हम per capita data consumption के मामले में दुनिया के सबसे पिछड़े देशों में से एक थे। लेकिन आज स्थिति बदल गई है। अनेक बड़े देश मिलकर जितना Per Capita मोबाइल डेटा कंज्यूम करते हैं, उससे ज्यादा हम भारत में करते हैं। सबसे बड़ी बात ये है कि आज जो भी नया यूजर जुड़ रहा है, वो भारत के गांव से है। इसने भारत के गांव और गरीब को तो empower किया ही है, बहुत बड़े डिजिटल मार्केट का गेट खोल दिया है। ये नए भारत की रियल स्टोरी है।

पीएम मोदी ने इंडिया-डेनमार्क बिजनेस फोरम में कहा कि इन दिनों सोशल मीडिया पर एक शब्द बड़ा लोकप्रिय हो रहा है। ये है- FOMO यानी फियर ऑफ मिसिंग आउट। आज अगर हम भारत के व्यापार सुधारों और निवेश के मौकों को देखें, तो ये कहा जा सकता है कि जो आज भारत में निवेश नहीं करेगा, वह निश्चित तौर पर एक अच्छा मौका मिस कर देगा।

पीएम मोदी की बात का जवाब देते हुए डेनिश पीएम ने कहा- मुझे अब तक लगता था कि FOMO को सिर्फ फ्राइडे नाइट या पार्टियों के लिए इस्तेमाल किया जाता है, लेकिन अब मुझे समझ आ रहा है कि यह भारत के बारे में है।

डेलिगेशन लेवल की बैठक में दोनों देशों के ग्रीन स्ट्रैटजिक पार्टनरशिप में हुए विकास का रिव्यू किया। दोनों नेताओं ने स्किल डेवलपमेंट, क्लाइमेट, रिनुएबल एनर्जी, आर्कटिक, P2P संबंध जैसे मुद्दों पर बातचीत की। जॉइंट प्रेस कॉन्फ्रेंस में पीएम मोदी ने रूस-यूक्रेन जंग को रोके जाने की अपील की। उन्होंने कहा कि डेनिश पीएम के साथ बैठक में उन्होंने इस युद्ध के मसले पर भी चर्चा की और दोनों देशों का यही मानना है कि रूस और यूक्रेन को बातचीत और कूटनीति के जरिए समस्या का समाधान करना चाहिए।

पीएम मोदी ने कहा, “हमारे दोनों देश लोकतंत्र, अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता, और कानून के शासन जैसे मूल्यों को तो साझा करते ही हैं, साथ में हम दोनों की कई दूसरी ताकतें भी हैं। अक्टूबर 2020 में भारत-डेनमार्क वर्चुअल समिट के दौरान हमने अपने संबंधों को ग्रीन स्ट्रैटेजिक पार्टनरशिप का दर्जा दिया था। हमारी आज की चर्चा के दौरान हमने अपने ग्रीन स्ट्रैटेजिक पार्टनरशिप के ज्वाइंट प्लांन पर बात की।“

उन्होंने कहा कि 200 से अधिक डेनिश कंपनियां भारत में कई क्षेत्रों में काम कर रही हैं। जैसे- पवन ऊर्जा, शिपिंग, कंसल्टेंसी, फूड प्रोसेसिंग, इंजीनियरिंग आदि। इन्हें भारत में बढ़ते ‘ईज ऑफ डूइंग बिजनेस’ और हमारे व्यापक आर्थिक सुधारों का लाभ मिल रहा है।

पीएम मोदी ने कहा कि भारत के इंफ्रास्ट्रक्चर सेक्टर और ग्रीन इंडस्ट्रीज में डेनिश कम्पनीज और डेनिश पेंशन फंड्स के लिए निवेश के बहुत अवसर हैं। हमने एक फ्री, ओपन, इंक्लूसिव और नियमों से चलने वाले इंडो-पसिफिक क्षेत्र को सुनिश्चित करने पर जोर दिया।

उन्होंने कहा कि हमने यूक्रेन में तत्काल युद्धविराम और समस्या के समाधान के लिए बातचीत और कूटनीति का रास्ता अपनाने की अपील की। आज हमने भारत-यूरोप के रिश्तों, इंडो-पैसिफिक और यूक्रेन सहित कई क्षेत्रीय तथा वैश्विक मुद्दों पर भी बातचीत की। हम आशा करते हैं कि भारत-यूरोप फ्री ट्रेड एग्रीमेंट पर बातचीत जल्द पूरी हो जाएगी।

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