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शाह का बड़ा बयान, भोपाल में बोले केंद्रीय गृहमंत्री, राममंदिर, सीएए , ट्रिपल तलाक और अनुच्छेद 370 हो गया, अब कॉमन सिविल कोड की बारी

दिल्लीः केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कॉमन सिविल कोड यानी समान नागरिक संहिता को लागू करने के संकेत दिए हैं। शाह ने शुक्रवार को भोपाल स्थिति पार्टी कार्यालय में कोर कमेटी के साथ मीटिंग की। इस दौरान उन्होंने कहा कि सीएए (CAA) यानी नागरिकता संशोधन कानून, राममंदिर, अनुच्छेद 370 और ट्रिपल तलाक जैसे मुद्दों के फैसले हो गए हैं। अब बारी कॉमन सिविल कोड की है।

केंद्रीय गृहमंत्री ने बताया कि उत्तराखंड में कॉमन सिविल कोड पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर लागू किया जा रहा है। ड्राफ्ट तैयार किया जा रहा है, जो भी बचा है, सब ठीक कर देंगे। आप लोग कोई भी ऐसा काम मत करना, जिससे पार्टी को नुकसान पहुंचे।

इससे पहले उन्होंने प्रदेश के वरिष्ठ नेताओं से पूछा कि क्या देश में सब ठीक हो गया? इसके बाद उन्होंने कॉमन सिविल कोड के मुद्दे की चर्चा की। उन्होंने यह भी बताया कि किया कि अगले चुनाव से पहले राहुल गांधी कांग्रेस के अध्यक्ष हो जाएंगे, लेकिन इससे चिंता करने की जरूरत नहीं। अभी कांग्रेस और नीचे जाएगी। कोई चुनौती नहीं है।

इस बैठक में बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा, मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के साथ तमाम बड़े नेता मौजूद रहे। शाह सीमा सुरक्षा बल (BSF) के विमान से दिल्ली लौटे। उनके साथ ज्योतिरादित्य सिंधिया और सांसद राकेश सिंह भी गए। उन्होंने पहले पार्टी में सभी बड़े नेताओं, मंत्रियों, विधायकों के साथ बैठक से पहले प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा के कक्ष में मुख्यमंत्री, प्रदेश प्रभारी मुरलीधर राव, पंकजा मुंडे, हितानंद शर्मा, कैलाश विजयवर्गीय, ज्योतिरादित्य सिंधिया, प्रहलाद पटेल आदि के साथ अहम मुद्दों पर बात की।

क्या है कॉमन सिविल कोड?
इसके लागू होने से देश में शादी, तलाक, उत्तराधिकार, गोद लेने जैसे सामाजिक मुद्दे एक समान कानून के अंतर्गत आ जाएंगे। इसमें धर्म के आधार पर कोई कोर्ट या अलग व्यवस्था नहीं होगी। संविधान का अनुच्छेद 44 इसे बनाने की शक्ति देता है। इसे केवल केंद्र सरकार संसद के जरिये ही लागू कर सकती है।

कब शुरू हुई कॉमन सिविल कोड की मांग?
आजादी से पहले हिंदुओं और मुस्लिमों के लिए अलग-अलग कानून लागू किए गए थे। सबसे पहले महिलाएं इसके खिलाफ खड़ी हुईं। फिर बीजेपी ने इसे अपने तीन मुख्य मुद्दे में शामिल किया। 2014 के लोकसभा चुनाव के घोषणा पत्र में भी यह मुद्दा शामिल था।

Shobha Ojha

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