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10 से 15 साल में साकार होगा स्वामी विवेकानंद और महर्षि अरबिंदो के सपनों का भारतः डॉ. भागवत - Prakhar Prahari
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10 से 15 साल में साकार होगा स्वामी विवेकानंद और महर्षि अरबिंदो के सपनों का भारतः डॉ. भागवत

हरिद्वारः आरएसएस यानी राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ प्रमुख मोहन भागवत ने कहा है कि स्वामी विवेकानंद और महर्षि अरबिंदो के सपनों का भारत केवल 10 या 15 वर्षों में साकार होगा। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि भारत अहिंसा की बात करेगा, लेकिन आत्मरक्षा में डंडा भी उठाएगा, क्योंकि दुनिया केवल शक्ति को समझती है। डॉ. भागवत ने हरिद्वार में बुधवार को संतों की एक सभा को संबोधित करते हुए यह बातें कहीं।

उन्होंने कहा, “आपने 20-25 साल की बात की। लेकिन अगर हम अपनी गति बढ़ाते हैं तो मैं कहता हूं 10-15 साल में हम उस भारत को देखेंगे, जिसकी कल्पना स्वामी विवेकानंद और महर्षि अरबिंदो ने की थी।”

डॉ. भागवत ने कहा यह भी तर्क दिया कि यदि समाज दृढ़ संकल्प के साथ चलता है तो अपने लक्ष्यों को प्राप्त कर सकता है। उन्होंने कहा, “सब कुछ एक बार में हासिल नहीं किया जाएगा। मेरे पास बिल्कुल भी शक्ति नहीं है। यह लोगों के पास है। उनके पास नियंत्रण है। जब वे तैयार होते हैं तो सभी का व्यवहार बदल जाता है। हम उन्हें तैयार कर रहे हैं। आप भी करें। हम बिना किसी डर के एक उदाहरण के तौर पर साथ चलेंगे। हम अहिंसा की बात करेंगे, लेकिन डंडा लेकर चलेंगे। और वह डंडा भारी होगा।”

संघ प्रमुख ने कहा, “हमारी कोई दुर्भावना नहीं है, न ही किसी से दुश्मनी है। दुनिया सिर्फ ताकत समझती है। हमारे पास ताकत होनी चाहिए और यह दिखाई देनी चाहिए।”

उन्होंने कहा कि हिंदू राष्ट्र और कुछ नहीं बल्कि सनातन धर्म है। उन्होंने कहा, “धर्म के उद्देश्य भारत के उद्देश्य हैं। स्वामी विवेकानंद ने कहा था कि धर्म भारत का जीवन है। धर्म की प्रगति के बिना भारत की प्रगति संभव नहीं है। सनातन धर्म ही हिन्दू राष्ट्र है। भारत की प्रगति सुनिश्चित है।” आरएसएस प्रमुख ने कहा कि भारत ने अपनी प्रगति की यात्रा शुरू कर दी है और यह अब नहीं रुक सकता।

डॉ. भागवत ने कहा, “जो इसे रोकना चाहते हैं या तो हटा दिए जाएंगे या खत्म कर दिए जाएंगे, लेकिन भारत नहीं रुकेगा।” उन्होंने कहा, “अब एक वाहन चल रहा है जिसमें एक एक्सीलरेटर है लेकिन ब्रेक नहीं है। बीच में कोई नहीं आना चाहिए। आप चाहें तो हमारे साथ आकर बैठें या स्टेशन पर रुकें। हमारा लक्ष्य निर्धारित है। ऐसा इसलिए है क्योंकि हमने अपनी विविधता को आत्मसात कर लिया है। हमने अपनी विविधता और परंपराओं को सुरक्षित रखा है। लेकिन हमें यह समझना चाहिए कि हम विविधता के कारण एक दूसरे से अलग नहीं हैं। अगर हम अपने मतभेदों को भूलकर साथ चलते हैं तो हम अपने लक्ष्य 20-25 साल में तक पहुंच जाएंगे।”

Delhi Desk

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