दिल्ली: 1948 में ब्रिटेन से आजादी मिलने के बाद सबसे खराब आर्थिक संकट से गुजर रहे श्रीलंका (Sri Lanka crisis) ने विदेशी कर्ज को लेकर हाथ खड़े कर दिए हैं। श्रीलंका अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) के बेलआउट की उम्मीद कर रहा है। श्रीलंका ने मंगलवार को स्पष्ट तौर पर कहा कि वह विदेशी कर्ज (External Debt) को चुकाने की स्थिति में नहीं है। आपको बता दें कि श्रीलंका के सबसे ज्यादा नुकसान चीन को होगा क्योंकि श्रीलंका पर सबसे ज्यादा कर्ज उसी का है। इसी कर्ज के कारण श्रीलंका आज इस कगार पर पहुंचा है। देश में आर्थिक संकट हर रोज गहराते जा रहा है। यहां पर जरूरी चीजों की भारी किल्लत हो गई है।
श्रीलंका के वित्त मंत्रालय ने कहा कि देश विदेशी कर्ज के भुगतान की स्थिति में नहीं है। इनमें विदेशों से लिया गया लोन भी शामिल है। आपको बता दें कि एएफपी के मुताबिक श्रीलंका पर करीब 51 अरब डॉलर का विदेशी कर्ज है। इसमें सबसे ज्यादा नुकसान चीन का होगा, क्योंकि उसी ने श्रीलंका को सबसे ज्यादा कर्ज दे रखा है। श्रीलंका के कुल विदेशी कर्ज में चीन की हिस्सेदारी करीब 10 फीसदी है। चीन के बाद जापान और भारत का श्रीलंका पर सबसे अधिक कर्ज है।
मौजूदा समय में स्थिति इतनी खराब है कि लोग भूखे मरने के कगार पर पहुंच गए हैं। 2.2 करोड़ की आबादी वाले श्रीलंका में पिछले कई महीनों से हालात बेहद खराब बने हुए हैं। देश में जरूरी चीजों के दाम आसमान पर पहुंच गए हैं। विदेशी मुद्रा की भारी कमी के कारण पेट्रोल-डीजल (Petrol-diesel) का आयात नहीं हो पा रहा है। कई घंटों तक बिजली गुल रहती है, पेट्रोल पंपों पर लंबी-लंबी लाइनें लगी हैं। इससे लोगों में रोष लगातार बढ़ता जा रहा है। गुस्साए लोग सड़कों पर प्रदर्शन कर रहे हैं और राष्ट्रपति गोटाबाया राजपक्षे पर दबाव बढ़ता जा रहा है। देश की संसद के स्पीकर ने हाल में कहा था कि देश के लोगों की भूखों मरने की नौबत आ गई है।
देश सेंट्रल बैंक के गवर्नर पी. नंदलाल वीरसिंघे ने मंगलवार को ही कहा कि हमें जरूरी चीजों के आयात पर फोकस करने की जरूरत है और विदेशी कर्ज को लेकर ज्यादा चिंता नहीं करनी चाहिए। हालांकि यह फौरी उपाय होना चाहिए। सबसे अच्छा तरीका यही है कि हम कर्ज को रिस्ट्रक्चर करें और एक हार्ड डिफॉल्ट से बचें। श्रीलंका अगले सप्ताह एक डेट प्रोग्राम के लिए आईएमएफ के साथ बातचीत शुरू करने वाला है।
आपको बता दें कि मार्च के अंत में श्रीलंका का विदेशी भंडार 1.93 अरब डॉलर था जबकि इस साल उसे लगभग चार अरब डॉलर के विदेशी कर्ज का भुगतान करना है। इसमें जुलाई में मैच्योर होने वाला एक अरब डॉलर का इंटरनेशनल सॉवरेन बॉन्ड भी शामिल है। जेपी मॉर्गन के विश्लेषकों का अनुमान है कि श्रीलंका की ग्रॉस डेट सर्विसिंग 2022 में 7 अरब डॉलर होगी और चालू खाता घाटा लगभग 3 अरब डॉलर होगा।
श्रीलंका के इस हालत के लिए चीन से लिए गए भारी कर्ज को ही जिम्मेदार माना जा रहा है। कोरोना महामारी के कारण श्रीलंका का टूरिज्म सेक्टर बुरी तरह प्रभावित हुआ था। इसे देखते हुए श्रीलंका ने चीन से अपने कर्ज को रिशेड्यूल करने की अपील की थी लेकिन चीन ने इससे साफ इन्कार कर दिया था। चीन के कर्ज में फंसे कई दूसरे देशों की भी आर्थिक स्थिति डगमगा रही है। इनमें पाकिस्तान, मेडागास्कर, मालदीव और ताजिकिस्तान शामिल हैं।
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