दिल्लीः पाकिस्तान मुस्लिम लीग-नवाज (पीएमएल-नवाज) के नेता शहबाज शरीफ पाकिस्तान के 23वें प्रधानमंत्री होंगे। उनकी छवि छवि एक कट्टर यथार्थवादी नेता की रही है। साथ ही विवादों से भी उनका नाता रहा है।

23 सितंबर 1951 को लाहौर में जन्मे शहबाज शरीफ पूरा नाम मियां मुहम्मद शहबाज शरीफ है। वह  पाकिस्तान के प्रधानमंत्री रह चुके नवाज शरीफ के भाई हैं और तीन भाइयों में सबसे छोटे हैं। उनके पिता मुहम्मद शरीफ व्यापारी थे।  शहबाज शरीफ का परिवार पहले अमृतसर में रहता था, लेकिन 1947 में भारत का बंटवारा हुआ,  तो मुहम्मद शरीफ अपने परिवार के साथ लाहौर में आकर बस गए।  पिता की तरह ही शहबाज ने भी अपने करियर की शुरुआत व्यापारी के तौर पर थी। लाहौर की एक सरकारी विश्वविद्यालय के स्नातक करने के बाद शहबाज ने अपना पारिकवारिक व्यापार ‘इत्तेफाक ग्रुप’ संभालने लगे। बताया जाता है कि शहबाज अपने भाई नवाज से ज्यादा अमीर हैं।

शहबाज ने अपने राजनैतिक सफर की शुरुआत 80 के दशक में की थी। वर्ष 1988 में शहबाज शरीफ ने पहली बार पंजाब प्रांत की लाहौर विधानसभा से चुनाव जीता, लेकिन 1990 में विधानसभा भंग हो गई। इसके बाद 1990 में उन्होंने नेशनल असेंबली की चुनाव में जीत हासिल की, लेकिन 1993 में नेशनल असेंबली भी भंग हो गई और शहबाज की सदस्यता चली गई, लेकिन उसी साल उन्होंने फिर लाहौर विधानसभा और नेशनल असेंबली का चुनाव जीत लिया। बाद में उन्होंने  नेशनल असेंबली की सीट छोड़ दी।

वर्ष 1997 में शहबाज शरीफ ने पीएमएल (एन) की टिकट पर पंजाब प्रांत का चुनाव लड़ा और वहां के मुख्यमंत्री बने।  दो साल बाद 1999 में पाकिस्तान में सेना ने तख्तापलट कर दिया और शहबाज शरीफ की मुख्यमंत्री की कुर्सी भी चली गई। इसके बाद उन्हें परिवार के साथ देश छोड़कर दुबई जाना पड़ा।

शहबाज शरीफ 2007 में पाकिस्तान लौटे और जून 2008 में फिर से पंजाब के मुख्यमंत्री बन गए। श्री शहबाज तीसरी बार पंजाब के मुख्यमंत्री बने थे। वह सबसे ज्यादा लंबे समय तक पाकिस्तान वाले पंजाब के मुख्यमंत्री रहने वाले नेता हैं।

पाकिस्तान मुस्लिम लीग-नवाज ने साल 2018 में हुए आम चुनाव हुए शहबाज शरीफ को प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार घोषित किया था,  लेकिन जीत मिली श्री इमरान खान की पार्टी पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ ने सत्ता पर कब्जा कर लिया। इमरान खान प्रधानमंत्री बन गए और शहबाज शरीफ विपक्ष के नेता। मौजूदा समय तक वह नेशनल असेंबली में ये जिम्मेदारी संभाल रहे हैं। वह अपनी पार्टी के अध्यक्ष भी हैं।

70 वर्षीय शहबाज शरीफ के बारे में बताया जाता है कि वे मशहूर शायर मुहम्मद इकबाल को अपनी प्रेरणा मानते हैं। उन्हें नई भाषाएं सीखना भी पसंद है. बताते हैं कई भाषाएं बोल भी लेते हैं. उर्दू, पंजाबी, सिंधी, पश्तो, अंग्रेजी, जर्मन, फ्रेंच और अरबी।

शहबाज शरीफ का विवादों से भी नाता रहा है। साल 2020 के सितंबर महीने में शहबाज शरीफ की हवाला कारोबार के एक मामले गिरफ्तारी हो चुकी है। उनके ऊपर करोड़ों रुपये की हेराफेरी करने का आरोप लगा था। उस समय उनकी पार्टी ने इमरान सरकार पर विपक्षियों को दबाने के लिए इस तरह की कार्रवाई करने का आरोप लगाया था। अप्रैल 2021 में उन्हें लाहौर उच्च न्यायालय से जमानत मिल गई थी। श्री शहबाज शरीफ पर अभी भी ये केस चल रहा है।

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