दिल्लीः इस समय चैत्र नवरात्रि चल रहा है। इस दौरान मां दुर्गा के विभिन्न स्वरूपों की उपासना की जाती है। आपको बता दें कि नवरात्रि में अष्टमी-नवमी तिथि का विशेष महत्व होता है। अष्टमी के दिन मां महागौरी तथा नवमी के दिन मां सिद्धिदात्री की उपासना की जाती है। इन दोनों दिन कन्या पूजन करना विशेष फलदायी माना गया है। कन्या पूजन के बाद ही भक्तों के नवरात्रि व्रत संपन्न माने जाते हैं।

इस साल अष्टमी तिथि 09 अप्रैल, शनिवार के दिन पड़ रही है। इसे दुर्गा अष्टमी भी कहते हैं। अष्टमी तिथि की शुरुआत 08 अप्रैल को रात 11 बजकर 05 मिनट से हो रही है, इसका समापन 09 अप्रैल की देर रात 01 बजकर 23 मिनटपर होगा। अष्टमी का शुभ मुहूर्त 11 बजकर 58 मिनट से 12 बजकर 48 मिनट तक है। इस शुभ मुहूर्त में कन्या पूजन करना शुभ रहेगा।

कुछ लोग नवमी के दिन भी कन्या पूजन करते हैं। नवमी तिति 10 अप्रैल को रात 1 बजकर 23 मिनट से शुरू होगी, जो कि 11 अप्रैल को सुबह 03 बजकर 15 मिनट पर समाप्त होगी। नवमी के  दिन रवि पुष्य योग, रवि योग और सर्वार्थ सिद्धि योग पूरे दिन रहेगा। नवमी के दिन सुबह के समय कन्या पूजन कर सकते हैं।

कन्या पूजन कैसे करें- कन्या भोजन से पहले कन्याओं को आमंत्रित कर उनका स्वागत करें, उनके पैर धोएं, उनका श्रृंगार करें और उसके बाद उन्हें भोजन करवाएं। भोजन में मिष्ठान और फल शामिल करना न भूलें। इसके बाद उन्हें यथायोग्य उपहार देकर उनके घर तक पहुंचाएं। किसी भी वर्ण, जाति और धर्म की कन्या को आप कन्या पूजन के लिए आमंत्रित कर सकती हैं।

कितनी कन्याओं को करें आमंत्रित
अगर आप सामर्थ्यवान हैं, तो नौ से ज्यादा या नौ के गुणात्मक क्रम में भी जैसे 18, 27 या 36 कन्याओं को भी आमंत्रित कर सकती हैं। यदि कन्या के भाई की उम्र 10 साल से कम है तो उसे भी आप कन्या के साथ आमंत्रित कर सकती हैं। यदि गरीब परिवार की कन्याओं को आमंत्रित कर उनका सम्मान करेंगे, तो इस शक्ति पूजा का महत्व और भी बढ़ जाएगा। यदि सामर्थ्यवान हैं, तो किसी भी निर्धनकन्या की शिक्षा और स्वास्थ्य की यथायोग्य जिम्मेदारी वहन करने का संकल्प लें।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here