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आज का इतिहासः 93 साल पहले आज के दिन शहीद-ए-आजम भगत सिंह और बटुकेश्वर दत्त ने दिल्ली की सेंट्रल असेंबली में बम फेंका था - Prakhar Prahari
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आज का इतिहासः 93 साल पहले आज के दिन शहीद-ए-आजम भगत सिंह और बटुकेश्वर दत्त ने दिल्ली की सेंट्रल असेंबली में बम फेंका था

दिल्लीः आज के ही दिन 1929 में दिल्ली की सेंट्रल असेंबली में वायसराय ‘पब्लिक सेफ्टी बिल’ पेश कर रहे थे। दर्शक दीर्घा खचाखच भरी थी। जैसे ही असेंबली में बिल पेश किया गया, सदन में एक जोरदार धमाका हुआ और  दो लोगों ने इंकलाब जिंदाबाद का नारा लगते हुए सदन के बीच में बम फेंका था।
ये बम शहीद-ए-आजम भगत सिंह और बटुकेश्वर दत्त ने फेंके थे। बम फेंकते समय इस बात का भी ध्यान रखा गया कि इससे किसी की जान का नुकसान न हो। जैसे ही बम फटा, जोर की आवाज हुई और असेंबली हॉल में अंधेरा छा गया। पूरे भवन में अफरातफरी मच गई। घबराए लोगों ने बाहर भागना शुरू कर दिया।

हालांकि, बम फेंकने वाले दोनों क्रांतिकारी वहीं खड़े रहे। इंकलाब जिंदाबाद के नारे लगाते हुए उन्होंने कुछ पर्चे भी सदन में फेंके। इनमें लिखा था- “बहरे कानों को सुनाने के लिए धमाकों की जरूरत पड़ती है।” दोनों ने खुद को पुलिस के हवाले कर दिया। इस कारनामे के बाद भगत सिंह और बटुकेश्वर दत्त भारतीय युवाओं के हीरो बन गए।

क्रांतिकारी ‘पब्लिक सेफ्टी बिल’ और ‘ट्रेड डिस्प्यूट्स बिल’ का विरोध कर रहे थे। ‘ट्रेड डिस्प्यूट बिल’ पहले ही पास किया जा चुका था, जिसमें मजदूरों द्वारा की जाने वाली हर तरह की हड़ताल पर पाबंदी लगा दी गई थी। ‘पब्लिक सेफ्टी बिल’ में सरकार को संदिग्धों पर बिना मुकदमा चलाए हिरासत में रखने का अधिकार दिया जाना था। दोनों बिल का मकसद अंग्रेजी सरकार के खिलाफ उठ रही आवाजों को दबाना था।

भगत सिंह और बटुकेश्वर दत्त असेंबली बम कांड में दोषी पाए गए। इसमें दोनों को उम्रकैद की सजा सुनाई गई और बटुकेश्वर दत्त को काला पानी जेल भेज दिया गया। भगत सिंह, सुखदेव और राजगुरु को सांडर्स की हत्या का भी दोषी माना गया। 7 अक्टूबर 1930 को फैसला आया कि भगत सिंह, सुखदेव और राजगुरु को 24 मार्च 1931 के दिन फांसी पर लटकाया जाए, लेकिन जनता के गुस्से से डरी अंग्रेज सरकार ने 23-24 मार्च की आधी रात में ही इन वीरों को फांसी दे दी। आइए एक नजर डालते हैं देश और दुनिया में 08 अप्रैल को घटित हुईं महत्वपूर्ण घटनाओं परः

1801..रोमानिया की राजधानी बुखारेस्ट में हुई हिंसा में 128 यहूदियों की मौत।
1820: दुनिया की सबसे मशहूर मूर्तियों में से एक वीनस डि मेलो की खोज हुई थी। इसे ग्रीस में एजिम सागर के पास खोजा गया था।
1831..प्रसिद्व समाज सुधारक राजा राम मोहन राय इंग्लैंड पहुंचे।
1857..1857 विद्रोह के सिपाही मंगल पांडे को फांसी दी गई।
1859: जर्मन फिलॉस्फर एडमंड हुसेरेल का जन्म हुआ। उन्हें फिनॉमलॉजी का जनक माना जाता है।
1894..प्रसिद्व बंगला कवि और वंदे मातरम के रचयिता बंकिम चन्द्र चटर्जी का कलकत्ता ‘अब कोलकाता’ में निधन।
1912..नील नदी में जहाजों के आपसी भिड़त के बाद इसमें सवार 200 से अधिक लोगों की डूबकर मौत।
1929..भगत सिंह और बटुकेश्वर दत्त ने दिल्ली के सेंट्रल असेंबली हॉल में बम फेंके।
1938: संयुक्त राष्ट्र के पूर्व महासचिव कोफी अन्नान का जन्म हुआ। अन्नान संयुक्त राष्ट्र के 7वें महासचिव थे।
1947..अमेरिकी उद्योगपति हेनरी फोर्ड का 83 वर्ष की उम्र में निधन।
1950.. भारत और पाकिस्तान के बीच लियाकत-नेहरू समझौता। यह समझौता दोनों देशों में रह रहे अल्पसंख्यकों के अधिकारों को सुरक्षित रखने और भविष्य में दोनों देशों के बीच युद्ध की संभावनाओं को ख़त्म करने के मकसद से किया गया था।
1961..ब्रिटिश जहाज दारा का फारस की खाड़ी में गिरने से 236 लोगों की मौत।
1965.. भारत और पाकिस्तान के बीच सीमा युद्ध शुरू। इसे कश्मीर के दूसरे युद्ध के नाम से भी जाना जाता है।
1973..स्पेन के चित्रकार पाब्लो पिकासो का निधन। इन्हें 20वीं शताब्दी का संभवत: सबसे प्रभावी चित्रकार माना जाता है।
2005: पोप जॉन पॉल द्वितीय के निधन के छह दिन बाद 8 अप्रैल 2005 को वेटिकन में उनका अंतिम संस्कार हुआ। इसमें दुनियाभर के 200 से ज्यादा नेता और लाखों लोग शामिल हुए थे।
2013..सूडान के दारफुर में जनजातीय हिंसा में 163 लोगों की मौत और 50 हजार लोग विस्थापित।
2013..ब्रिटेन की प्रधानमंत्री मारग्रेट थेचर का निधन।
2015.. भारतीय पत्रकार तथा मशहूर लेखक जयकांतन का निधन।

 

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