इस्लामाबाद : पाकिस्तान में मचे सियासी घमासान के बीच रविवार को इमरान खान सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव खारिज हो गया। नेशनल असेंबली के डिप्टी स्पीकर कासिम खान सूरी (Deputy Speaker Qasim khan suri) ने संविधान के अनुच्छेद पांच का हवाला देते हुए अविश्वास प्रस्ताव को खारिज कर दिया। आइए आपको बताते हैं कि नेशनल असेंबली में इमरान खान की लाज बचाने वाले कासिम खान सूरी कौन हैं।

15 अगस्त 2018 को इस्लामिक गणराज्य पाकिस्तान की 15वीं नेशनल असेंबली के डिप्टी स्पीकर चुने कासिम खान सूरी पाकिस्तान तहरीक इंसाफ (PTI) पार्टी के सदस्य हैं। वह ब्लूचिस्तान के क्वेटा से नेशनल असेंबली के सदस्य हैं। बलूचिस्तान प्रांत में पीटीआई की नींव रखने में कासिम खान सूरी ने महत्वपूर्ण भूमिका निभा चुके हैं। वह 1996 से पीटीआई से सक्रिय सदस्य के रूप में जुड़े हुए हैं। 2007 में पार्टी में उन्हें पहली बार पद दिया गया। सूरी लगातार दो बार पीटीआई बलूचिस्तान के राष्ट्रपति के रूप में चुने जाने वाले एकमात्र सदस्य रहे हैं। वह, पहली बार 2009 में और दूसरी बार 2013 में पीटीआई की तरफ आंतरिक चुनाव में निर्वाचित हुए। वह प्रांतीय स्तर पर सबसे लंबे समय तक राष्ट्रपति पद पर रहने वाले व्यक्ति हैं।

सूरी पिछले साल जून में एक ही दिन में 21 बिल पारित करने को लेकर चर्चा में आए थे। इससे नाराज होकर विपक्षी पार्टियों ने एकजुट होते हुए कासिम सूरी के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पेश किया था। विपक्षी पार्टियों की मांग थी कि कासिम सूरी को तुरंत प्रभाव से उनके पद से हटाया जाए। विपक्ष का आरोप था कि सभी कानूनों को गलत तरीके से पास करवाया गया।

सूरी पीटीआई बलूचिस्तान के वरिष्ठ उपाध्यक्ष और महासचिव और उप आयोजक का पद भी संभाल चुके हैं। वह पीटीआई की कोर कमेटी, केंद्रीय कार्यकारी परिषद और संविधान समिति के सदस्य भी रहे हैं। उन्हें 20 अप्रैल 2012 को पीटीआई के मंच से बलूचिस्तान के राजनीतिक इतिहास में सबसे बड़ी राजनीतिक सभा आयोजित की थी।

जनवरी 1969 में क्वेटा के एक प्रसिद्ध पख्तून जनजाति सूरी (खिलजी की उप-जनजाति) के जन्मे कासिम खान सूरी ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा क्वेटा इस्लामिया स्कूल से प्राप्त की। इसके बाद तामीर-ए-नौ स्कूल क्वेटा से मैट्रिक पास किया। फिर  उन्होंने फेडरल गवर्नमेंट कॉलेज में प्रवेश लिया। 1988 में अपना FSC पूरा किया। 1990 में उन्होंने बलूचिस्तान विश्वविद्यालय से राजनीति विज्ञान में स्नातक की डिग्री हासिल की और उसी विश्वविद्यालय से उन्होंने 1992 में अंतरराष्ट्रीय संबंधों में मास्टर डिग्री पूरी की। वह बेहतरीन एथलीटों में से एक रहे हैं। उनकी रुचियों में तैराकी, लंबी पैदल यात्रा, क्रिकेट, फुटबॉल और शिकार आदि शामिल हैं।

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