इस्लामाबादः करीब एक महीने तक चले सियासी नाटक के बीच इमरान खान की पाकिस्तान के कप्तान पद से रविवार को विदाई हो गई। सरकार की ओर से रविवार देर शाम जारी किए नए सर्कुलर में दावा किया गया है कि इमरान खान आधिकारिक तौर पर अब पाकिस्तान के प्रधानमंत्री नहीं हैं। इससे पहले पाकिस्तान के निवर्तमान मंत्री फवाद चौधरी ने कहा था कि अनुच्छेद 224 के तहत इमरान खान फिलहाल कार्यवाहक प्रधानमंत्री बने रहेंगे।

सरकार की ओर से जारी सर्कुलर में कहा गया,  “पाकिस्तान के राष्ट्रपति द्वारा पाकिस्तान विधानसभा को भंग करने के बाद संसदीय मामलों के मंत्रालय, दिनांक 3 अप्रैल, 2022, पाकिस्तान के इस्लामी गणराज्य के संविधान के अनुच्छेद 48(1) के साथ पढ़े गए अनुच्छेद 58(1) के अनुसार, इमरान अहमद खान नियाज़ी के पाकिस्तान प्रधानमंत्री के पद को तत्काल प्रभाव से समाप्त कर दिया गया है।”

आपको बता दें कि पाकिस्तान के राष्ट्रपति आरिफ अल्वी ने खान की सलाह पर नेशनल असेंबली को भंग करने के कुछ घंटों बाद इमरान खान ने कैबिनेट को भंग कर दिया था। इससे पहले पाकिस्तान की नेशनल एसेंबली के डिप्टी स्पीकर कासिम खान सूरी ने इमरान खान सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव को खारिज किया था।

पाकिस्तान सरकार के कैबिनेट सचिव के नोट से यह स्पष्ट होता है कि इमरान खान अब प्रधानमंत्री नहीं हैं और सरकार देश की नौकरशाही से चल रही है।

उधर, इस बीच विपक्ष ने पीएमएल-एन के नेता शहबाज शरीफ को 195 सदस्यों के समर्थन से प्रधानमंत्री घोषित किया है। विपक्ष ने शाम को अविश्वास प्रस्ताव खारिज होने के बाद नेशनल एसेंबली पर कब्जा किया और अयाज सादिक को अध्यक्ष नियुक्त किया, जिन्होंने इमरान खान सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव को फिर से मान्य किया।

इसके साथ ही विपक्ष ने सदन भंग करने के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की है, जिस पर सोमवार को सुनवाई होगी। मुख्य न्यायाधीश उमर अता बंदियाल ने सुनवाई सोमवार तक के लिए स्थगित करते हुए कहा कि नेशनल असेंबली को भंग करने के संबंध में प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति द्वारा शुरू किए गए सभी आदेश और कार्रवाई अदालत के आदेश के अधीन होगी।

उधर, पाकिस्तान की सर्वशक्तिमान सेना ने राज्य की राजधानी में चल रही राजनीतिक घटनाओं में किसी भी भूमिका से इनकार कर दिया है। सेना के जनसंपर्क विंग के प्रमुख मेजर जनरल बाबर इफ्तिखार ने कहा, “सेना का राजनीतिक प्रक्रिया से कोई लेना-देना नहीं है।” सदन के विघटन का मतलब है कि अगली सरकार का चुनाव करने के लिए तीन महीने के भीतर चुनाव होंगे।

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