प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी परीक्षा को लेकर छात्राओं से बात करते हुए

दिल्लीः देश में अगले कुछ दिनों में 10वीं और 12वीं बोर्ड की परीक्षाएं होने वाली हैं। इससे पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी शुक्रवार को ‘परीक्षा पे चर्चा’ की। इस दौरान उन्होंने 9वीं से 12वीं कक्षा के छात्रों से बात की। इस कार्यक्रम का आयोजन नई दिल्ली के तालकटोरा स्टेडियम में हुआ। करीब 2:30 घंटे तक चले कार्यक्रम में मोदी ने करीब 1 हजार छात्रों से सीधी बात की और उनके सवालों के जवाब भी दिए। इसमें कई तरह के सवाल शामिल रहे, जैसे एग्जाम के कारण तनाव को कैसे कम करें, मोटिवेशन के लिए क्या करें, मां-बाप को सपनों के बारे में कैसे समझाएं। इस कार्यक्रम में छात्र-छात्राओं के अभिभावक और टीचर्स भी कार्यक्रम में शामिल रहे।

प्रधानमंत्री मोदी ने तालकटोरा स्टेडियम में पहुंचकर सबसे पहले देशभर के छात्रों द्वारा बनाई गई कई प्रदर्शनी परियोजनाओं को देखा। इस दौरान उन्होंने बच्चों के ऑटोग्राफ भी लिए।

इसके बाद कार्यक्रम की शुरुआत में उन्होंने कहा कि परीक्षा की टेंशन नहीं होनी चाहिए। परीक्षा को त्योहार बना दें तो उसमें रंग भर जाएंगे। उन्होंने परीक्षा से डर के सवाल के जवाब में कहा कि परीक्षा जीवन का सहज हिस्सा है। इससे डरना नहीं चाहिए। आप पहले भी परीक्षा दे चुके हैं। अपने अनुभवों को ताकत बनाएं। जो करते आए हैं उसमें विश्वास करें। अब हम एग्जाम देते-देते एग्जाम प्रूफ हो गए हैं।

प्रधानमंत्री मोदी से दूसरा सवाल सोशल मीडिया की एडिक्शन के बारे में पूछा गया। इसके जवाब में उन्होंने कहा कि जब आप ऑनलाइन पढ़ाई करते हैं तो क्या आप सच में पढ़ाई करते हैं? दोष ऑनलाइन या ऑफलाइन का नहीं है। क्लास में भी कई बार आपका शरीर क्लास में होता है और मन कहीं और होता है। उन्होंने कहा कि जो चीजें ऑफलाइन होती हैं, वही ऑनलाइन भी होती हैं। इसका मतलब है कि माध्यम समस्या नहीं है, मन समस्या है। माध्यम ऑनलाइन हो या ऑफलाइन, अगर मन पूरा उसमें डूबा हुआ है, तो आपके लिए ऑनलाइन या ऑफलाइन का कोई फर्क नहीं पड़ेगा।

मोदी ने कहा कि आज हम डिजिटल गैजेट के माध्यम से बड़ी आसानी से चीजों को पा सकते हैं। हमें इसे एक अवसर मानना चाहिए, न कि समस्या। हमें कोशिश करनी चाहिए कि ऑनलाइन पढ़ाई को एक रिवॉर्ड के रूप में अपने टाइमटेबल में रखें। ऑनलाइन पाने के लिए है और ऑफलाइन बनने के लिए है। मुझे कितना ज्ञान अर्जित करना है मैं अपने मोबाइल फोन पर ले आऊंगा, जो मैंने वहां पाया है, ऑफलाइन में मैं उसे पनपने का अवसर दूंगा। ऑनलाइन को अपना आधार मजबूत करने के लिए उपयोग करें और ऑफलाइन में जाकर उसे साकार करें।

वहीं न्यू एजुकेशन पॉलिसी को लेकर एक सवाल पर उन्होंने कहा कि यह न्यू नहीं नेशनल एजुकेशन पॉलिसी है, जो व्यक्तित्व के विकास पर जोर दे रही है। ज्ञान के भंडार से ज्यादा जरूरी स्किल डेवलपमेंट है। हमने इस तरह का खाका बनाया है, जिसमें अगर पढ़ाई के बीच में आपको मन ना लगे, तो आप छोड़ कर दूसरा कोर्स भी कर सकते हैं। हमें 21वीं सदी के अनुकूल अपनी सारी व्यवस्थाओं और सारी नीतियों को ढालना चाहिए। अगर हम अपने आपको इन्वॉल्व नहीं करेंगे, तो हम ठहर जाएंगे और पिछड़ जाएंगे। पीएम ने कहा कि खेले बिना कोई खिल नहीं सकता। किताबों में जो हम पढ़ते हैं, उसे आसानी से खेल के मैदान से सीखा जा सकता है।

वहीं, प्रधानमंत्री मोदी ने मां-बाप को बच्चों की सिचुएशन समझने के सवाल के जवाब में कहा कि मां-बाप जो अपने जीवन में करना चाहते थे, उसे बच्चों पर लागू करना चाहते हैं। माता-पिता आज के दौर में अपनी महत्वाकांक्षा और सपने को बच्चों पर थोपने की कोशिश करते हैं। दूसरी बात टीचर भी अपने स्कूल का उदाहरण देकर उस पर दबाव बनाते हैं। हम बच्चों के स्किल को समझने की कोशिश नहीं करते हैं, जिससे कई बार बच्चे लड़खड़ा जाते हैं।

उन्होंने ने कहा कि पुराने जमाने में शिक्षक का परिवार से संपर्क रहता था। परिवार अपने बच्चों के लिए क्या सोचते हैं उससे शिक्षक परिचित होते थे। शिक्षक क्या करते हैं, उससे परिजन परिचित होते थे। यानी शिक्षा चाहे स्कूल में चलती हो या घर में, हर कोई एक ही प्लेटफार्म पर होता था।

पीएम ने कहा कि हर बच्चे की अपनी एक विशेषता होती है। परिजनों के, शिक्षकों के तराजू में वो फिट हो या न हो, लेकिन ईश्वर ने उसे किसी न किसी विशेष ताकत के साथ भेजा है। ये मां-बाप की कमी है कि आप उसकी सामर्थ को, उसके सपनों को समझ नहीं पा रहे हैं। इससे आपकी बच्चों से दूरी भी बढ़ने लगती है।

कार्यक्रम के दौरान मोटिवेशन के सवाल के जवाब में मोदी ने कहा कि मोटिवेशन का कोई इंजेक्शन नहीं होता है। कोई फॉर्मूला नहीं होता है। आप खुद देखें कि कौन सी ऐसी चीज है, जिससे आप डिमोटिवेट हो जाते हैं। अपनी हताशा की असली वजह जानें। किसी पर निर्भर न रहें। अपनी पॉजिटिव और नेगेटिव दोनों चीजों को समझें। इससे आप अपने आप को बेहतर तरीके से समझ पाएंगे और किसी दूसरे के मोटिवेशन की जरूरत नहीं पड़ेगी।

मोदी ने छात्रों से कहा कि खुद की परीक्षा लें, मेरी किताब एग्जाम वॉरियर्स में लिखा है कि कभी एग्जाम को ही एक चिट्ठी लिख दो- हे डियर एग्जाम मैं इतना सीख कर आया हूं। इतनी तैयारी की है तुम कौन होते हो मेरा मुकाबला करने वाले। मैं तुम्हें नीचे गिराकर दिखा दूंगा। रीप्ले करने की आदत बनाइए। एक दूसरे को सिखाइए।

वहीं पढ़ी हुई चीजें एग्जाम हॉल में भूलने के सवाल के जवाब में प्रधानमंत्री ने कहा कि आप यहां बैठे हैं और सोच रहे हैं कि मम्मी घर पर टीवी देख रही होंगी। मतलब आप यहां नहीं हैं, आपका ध्यान कहीं ओर है। ध्यान को सरलता से स्वीकार कीजिए। यह कोई साइंस नहीं है। आप जहां वर्तमान में हैं उस पल को जी भरकर जीने की कोशिश कीजिए। ध्यान बहुत सरल है। आप जिस पल में हैं, उस पल को जीने की कोशिश कीजिए। अगर आप उस पल को जी भरकर जीते हैं तो वो आपकी ताकत बन जाता है। ईश्वर की सबसे बड़ी सौगात वर्तमान है। जो वर्तमान को जान पाता है, जो उसे जी पाता है, उसके लिए भविष्य के लिए कोई प्रश्न नहीं होता है

कार्यक्रम के दौरान प्रधानमंत्री ने छात्रों के दो एग्जाम होने पर क्या करें सवाल के जवाब में कहा कि मैं नहीं मानता कि हमें परीक्षा के लिए पढ़ना चाहिए, गलती वहीं हो जाती है। मैं इस परीक्षा के लिए पढूंगा, फिर मैं उस परीक्षा के लिए पढूंगा। इसका मतलब हुआ कि आप पढ़ नहीं रहे हैं, आप उन जड़ी-बूटियों को खोज रहे हैं जो आपका काम आसान कर दें। अगर आपने योग्य बनने के लिए पढ़ा है, तो परिणाम की चिंता न करें। इसलिए अपने आप को परीक्षा के लिए तैयार करने में दिमाग खपाने की बजाए, खुद को योग्य, शिक्षित व्यक्ति बनाने के लिए, विषय का मास्टर बनने के लिए हमें मेहनत करनी चाहिए। एक खिलाड़ी जब अभ्यास करता है, तो वो यह नहीं देखता कि तहसील स्तर पर खेलना हैं या जिला स्तर पर खेलना है। वो सिर्फ खेलता है।

मोदि ने कहा कि कॉम्पिटिशन को हमें जीवन की सबसे बड़ी सौगात मानना चाहिए। अगर कॉम्पिटिशन ही नहीं है तो जिंदगी कैसी। सच में तो हमें कॉम्पिटिशन को इनवाइट करना चाहिए, तभी तो हमारी कसौटी होती है। कॉम्पिटिशन जिंदगी को आगे बढ़ाने का एक अहम माध्यम होता है, जिससे हम अपना आकलन भी कर सकते हैं।

उन्होंने कहा कि बेटे और बेटियों में अंतर न करें। बेटियों को नया अवसर मिलना चाहिए। आज बेटी हर परिवार की शक्ति बन गई है। इसलिए बेटियों के सामर्थ का सम्मान बहुत जरूरी है। समाज बेटियों के सामर्थ को जानने में अगर पीछे रह गया, तो वो समाज कभी आगे नहीं बढ़ सकता। मैंने ऐसी कई बेटियां देखी हैं, जिन्होंने मां-बाप के सुख और उनकी सेवा के लिए शादी तक नहीं की और अपनी पूरी जिंदगी खपा दी। आज खेलकूद में भारत की बेटियां हर जगह पर अपना नाम रोशन कर रही हैं। विज्ञान के क्षेत्र में हमारी बेटियों का आज पराक्रम दिखता है। 10वीं, 12वीं में भी पास होने वालों में बेटियों की संख्या ज्यादा होती हैं।

कार्यक्रम के दौरान पढ़ाई कैसे करें के सवाल के जवाब में मोदी ने कहा कि एक फिल्‍म याद आई है, जिसमें रेलवे स्‍टेशन के पास रहने वाले एक व्‍यक्ति को बंगले में रहने का अवसर मिलता है. वहां उसे नींद नहीं आती तो वह रेलवे स्‍टेशन जाकर रेलगाड़‍ियों की आवाज रिकार्ड करता है और वापस आकर टेप रिकॉर्डर में सुनकर फिर सोता है। उन्होंने कहा कि हमें कंफर्टेबल होना जरूरी है। इसके लिए सेल्‍फ असेसमेंट करें और देखें कि आप कब और कैसे पढ़ाई के लिए कंफर्टेबल होते हैं।

पीएम ने कहा कि आज पूरा विश्व ग्लोबल वॉर्मिंग के कारण परेशान है। इसलिए हमें यूज एंड थ्रो कल्चर को रोकना होगा और री-साइकल पर शिफ्ट होना होगा। हमारा दायित्व है कि हम अपनी आने वाली पीढ़ी के लिए कुछ देकर जाएं। हमे प्रकृति और पर्यावरण को बचाने के लिए लोगों चाहिए। इसके लिए हमें दुनिया में P3 यानीप्रो प्लेनेट पीपल मूवमेंट चलानी होगी। प्रधानमंत्री ने कार्यक्रम के अंत में सभी अनाउंसर स्‍टूडेंट्स को स्‍टेज पर बुलाकर बधाई दी। पीएम ने छात्रों, अभिभावकों और शिक्षा विभाग को बधाई देकर कार्यक्रम को संपन्‍न किया।

आपको बता दें कि पीएम मोदी का परीक्षा पर चर्चा का यह 5वां संस्करण था। परीक्षा पर चर्चा पहली बार 16 फरवरी 2018 को आयोजित किया गया था। तब से लेकर अब तक उन बच्चों को इस कार्यक्रम का खास इंतजार रहता है, जिनकी 10वीं और 12वीं की बोर्ड परीक्षा होती है। कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य है कि छात्र टेंशन फ्री होकर परीक्षा दें।

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