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झारखंड के लाल ने किया कमालः ढूंढ निकाली गूगल की 280 गलतियां, कंपनी ने अमन पांडे को इनाम के तौर पर दिए 65 करोड़ रुपये

दिल्लीः झारखंड के लाल अमन पांडे ने कमाल कर दिया है। अमन की प्रतिभा का लोह गूगल ने भी मान लिया है और उन्हें इनाम के तौर पर 65 करोड़ रुपये दिए हैं। दरअसल अमन ने गूगल की 280 गलतियां खोजकर बग रिपोर्ट भेजी थी। आपको बता दें कि अमन पांडे इंदौर में बग्स मिरर नाम की कंपनी चलाते हैं। गूगल ने पिछले साल अपनी विभिन्न सेवाओं पर बग रिपोर्ट करने वालों को 87 लाख डॉलर का इनाम दिया था।

गूगल ने अपनी रिपोर्ट में इंदौर के अमन का खास जिक्र किया है और बताया है कि बग्स मिरर टीम के अमन पांडेय पिछले साल हमारे टॉप रिसर्चर रहे।

गूगल ने कहा कि उन्होंने पिछले साल 232 बग रिपोर्ट किए। उन्होंने 2019 में पहली बार अपनी रिपोर्ट दी थी और तब से अब तक वह एंड्रॉइड वल्नरेबिलिटी रिवॉर्ड प्रोग्राम (वीआरपी) के लिए 280 से अधिक वल्नरेबिलिटी के बारे में रिपोर्ट कर चुके हैं। यह हमारे कार्यक्रम को सफल बनाने में महत्वपूर्ण साबित हुआ है।

अमन ने भोपाल एनआईटी से बीटेक किया है। उन्होंने 2021 में अपनी कंपनी का रजिस्ट्रेशन कराया था। अमन की कंपनी बग्स मिरर गूगल, एप्पल और अन्य कंपनियों को उनके सिक्योरिटी सिस्टम को अधिक मजबूत बनाने में मदद करती है।

गूगल ने बताया है कि पिछले साल इस प्रोग्राम के तहत 220 सिक्योरिटी रिपोर्ट के लिए 2,96,000 डॉलर का भुगतान किया गया। इस बार क्रोम वीआरपी के तहत 115 शोधकर्ताओं को 333 क्रोम सिक्योरिटी बग के बारे में रिपोर्ट करने के लिए कुल 33 लाख डॉलर दिए। इन 33 लाख डॉलर में से 31 लाख डॉलर क्रोम ब्रॉउजर सिक्योरिटी बग और 2,50,500 डॉलर क्रोम ओएस बग की रिपोर्ट करने के लिए दिया गया।

गूगल प्ले ने 60 से अधिक शोधकर्ताओं को 5,55,000 डॉलर से अधिक का रिवार्ड दिया। एंड्रॉइड वीआरपी ने वर्ष 2021 में वर्ष 2020 की तुलना में दोगुना भुगतान किया है और उसने एंड्रॉइड​​​​​​​ में एक एक्सप्लाइट चेन का पता लगाने के लिए अब तक की सबसे बड़ी राशि 1,57,000 डॉलर का भुगतान किया है।

कौन है अमने पांडेः

अमन मूल रूप से झारखंड के रहने वाले हैं। दसवीं तक की पढ़ाई पतरातू स्थित डीएवी स्कूल से हुई है। 12वीं की पढ़ाई अमन ने बोकारो के चिनमया स्कूल से की है। इसके बाद भोपाल एनआईटी से उन्होंने बीटेक किया है। इसके बाद से ही अमन सिक्यूरिटी के क्षेत्र में काम कर रहे हैं। गूगल से मिले रिवॉर्ड के नाम पर अमन के नाम पर एक बड़ी उपलब्धि दर्ज हो गई है।

बग्समिरर के फाउंडर अमन मध्यमवर्गीय परिवार से आते हैं। परिवार के लोग अभी झारखंड में ही रहते हैं। उनके पिता एक स्टेशनरी की दुकान चलाते हैं। अमन अपने काम की वजह से ही इंदौर में रहते हैं। अमन ने छोटे शहर से निकलकर बड़ा धमाल किया है।

अमन ने अपनी कंपनी बग्स मिरर के बारे में कहा कि, हमारी कंपनी की शुरुआत जनवरी 2021 में हुई है। अभी मैनेजमेंट टीम में चार लोग हैं। बाकी इंटर्न हैं। उन्होंने कहा कि हम लोगों ने इसकी शुरुआत स्टार्टअप के तौर पर की है। अमन इंदौर में काम के सिलसिले में ही रहते हैं। बग्स मिरर की सफलता पर टीम काफी उत्साहित है।

 

Shobha Ojha

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