दिल्लीः वैश्विक महामारी कोरोना वायरस से अभी तक निजात भी नहीं मिली है। इसी बीच केंद्र सरकार ने कर्मचारियों को जोर का झटका धीरे से दिया है। केंद्रीय श्रम मंत्री भूपेंद्र यादव ने कर्मचारी राज्य बीमा निगम (ईएसआईसी) की ओर दी जा रही कोविड राहत योजना को मार्च से बंद करने का फैसला लिया है। आपको बता दें कि ईएसआईसी ने जून 2021 में कोविड राहत योजना को मंजूरी दी थी। यह योजना 24 मार्च 2020 से दो साल के लिए लागू की गई थी।
हरियाणा के गुरुग्राम ईएसआईसी की गवर्निंग बॉडी की बैठक हाल ही में हुई थी । इस बैठक के एजेंडा में ईएसआईसी की कोविड से जुड़ी राहत योजनाओं को एक साल के लिए और बढ़ाना शामिल था। सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक इस बैठक में श्रम मंत्री भूपेंद्र यादव ने कहा कि कोरोना की स्थिति अब नियंत्रण में है। ऐसे में कोविड राहत योजना को आगे बढ़ाने की कोई आवश्यकता नहीं है। बैठक में श्रम मंत्री ने कहा कि ईएसआईसी अस्पतालों की ओर से श्रमिकों के स्वास्थ्य की जांच जारी रहेगी और फैक्ट्रियों-एमएसएमई क्लस्टर को एक यूनिट माना जाएगा। पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर यह स्वास्थ्य जांच देश के 15 शहरों में की जाएगी। अब चतिए आपको बताते हैं कि क्या है यह योजनाः
दरअसल कोविड राहत योजना के तहत ईएसआईसी के दायरे में आने वाले पंजीकृत कर्मचारी को कोविड-19 से मौत पर उसके परिवार को आर्थिक मदद उपलब्ध कराई जाती है। योजना के तहत परिवार को कम से कम 1800 रुपए प्रतिमाह की राशि दी जाती है। इस राशि का भुगतान सीधे लाभार्थी के बैंक खाते में किया जाता है। इस योजना का लाभ लेने के लिए कर्मचारी का 3 महीने पहले ऑनलाइन पंजीकरण और 70 दिनों का न्यूनतम अंशदान होना चाहिए। इसके अलावा कोविड के उपचार के दौरान दैनिक औसत वेतन का 70 फीसदी बीमारी लाभ के तौर पर मिलता है। एक वर्ष में अधिकतम 91 दिनों के लिए बीमारी लाभ मिलता है।
आपको बता दें कि वित्त वर्ष 2021-22 के लिए कर्मचारी भविष्य निधि जमा पर ब्याज दरें अगले महीने तय की जाएंगी। कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (ईपीएफओ) के निर्णय लेने वाले निकाय केंद्रीय न्यासी बोर्ड (सीबीटी) की बैठक अगले महीने होने जा रही है जिसमें चालू वित्त वर्ष के लिए ब्याज दरों पर फैसला किया जाएगा। केंद्रीय श्रम मंत्री भूपेंद्र यादव ने यह जानकारी दी है।
केंद्रीय मंत्री यादव ने कहा कि ईपीएफओ के केंद्रीय न्यासी बोर्ड की बैठक मार्च में गुवाहाटी में होगी, जिसमें 2021-22 के लिए ब्याज दरों तय करने का प्रस्ताव सूचीबद्ध है। यह पूछे जाने पर कि क्या ईपीएफओ 2021-22 के लिए भी 2020-21 की तरह 8.5 प्रतिशत की ब्याज दर को कायम रखेगा, यादव ने कहा कि यह फैसला अगले वित्त वर्ष के लिए आमदनी के अनुमान के आधार पर किया जाएगा। यादव सीबीटी के प्रमुख हैं। मार्च, 2021 में सीबीटी ने 2020-21 के लिए ईपीएफ जमा के लिए 8.5 प्रतिशत की ब्याज दर निर्धारित की थी। वित्त मंत्री ने अक्टूबर, 2021 में इसे अनुमोदित किया था। उसके बाद ईपीएफओ ने अपने फील्ड कार्यालयों को अंशधारकों के खातों में 2020-21 के लिए 8.5 प्रतिशत का ब्याज डालने का निर्देश दिया था।
सीबीटी द्वारा ब्याज दर पर फैसला लेने के बाद इसे वित्त मंत्रालय की अनुमति के लिए भेजा जाता है। मार्च, 2020 में ईपीएफओ ने भविष्य निधि जमा पर ब्याज दर को घटाकर 2019-20 के लिए 8.5 प्रतिशत के सात साल के निचले स्तर पर ला दिया था। 2018-19 में ईपीएफओ पर 8.65 प्रतिशत का ब्याज दिया गया था। ईपीएफओ ने 2016-17 और 2017-18 में भी 8.65 प्रतिशत का ब्याज दिया था। 2015-16 में ब्याज दर 8.8 प्रतिशत थी। वहीं, 2013-14 में 8.75 प्रतिशत और 2014-15 में भी 8.75 प्रतिशत का ही ब्याज दिया गया था। हालांकि, 2012-13 में ब्याज दर 8.5 प्रतिशत थी। 2011-12 में यह 8.25 प्रतिशत थी।