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कम नहीं होगी आपकी ईएमआई, आरबीआई ने लगातार 10वीं बार नहीं किया रेपो रेट तथा रिवर्स रेपो रेट में कोई बदलाव - Prakhar Prahari
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कम नहीं होगी आपकी ईएमआई, आरबीआई ने लगातार 10वीं बार नहीं किया रेपो रेट तथा रिवर्स रेपो रेट में कोई बदलाव

मुंबईः ब्याज दरों में कटौती की उम्मीद पाले लोगों को आरबीआई (RBI)  यानी भारतीय रिजर्व बैंक ने निराश किया है। आरबीआई ने ब्याज दरों में कोई बदलाव नहीं किया है। इसका सीधा अर्थ यह है कि आपकी मौजूदा ईएमआई (EMI) में कोई बदलाव नहीं होगा। आरबीआई के गवर्नर शक्तिकांत दास ने गुरुवार को बताया कि एमपीसी (MPC) यानी मौद्रिक नीति समिति की मीटिंग में रेपो और रिवर्स रेपो रेट में कोई बदलाव नहीं करने का फैसला हुआ है।

आपको बता दें कि लोन की ब्याज दरें तय करने वाला रेपो रेट अभी 4 प्रतिशत और रिवर्स रेपो रेट 3.35 फीसदी है। ब्याज दरों पर फैसला करने वाली आरबीआई  की एमपीसी में 6 सदस्य होते हैं। इनमें 3 सरकार के प्रतिनिधि होते हैं और बाकी 3 सदस्य आरबीआई का प्रतिनिधित्व करते हैं, जिनमें गवर्नर भी शामिल होते हैं। एमपीसी की तीन दिवसीय बैठक में ही आरबीआई रेपो रेट और रिवर्स रेपो रेट पर फैसला करता है।

एमपीसी के अहम फैसले..

  • वित्त वर्ष 2022-23 की दूसरी तिमाही में जीडीपी (GDP) सकल घरेलू उत्पाद ग्रोथ अनुमान 7.8 प्रतिशत से घटकर 7 फीसदी किया गया है।
  • 2022-23 की दूसरी छमाही से महंगाई में कमी आएगी।
  • वैक्सीनेशन से इकोनॉमी में रिकवरी हो रही है। 2022-23 में रियल डीजीपी ग्रोथ 7.8 फीसदी हो सकती है।
  • निजी निवेश की रफ्तार अभी भी धीमी बनी हुई है।
  • 2022-23 की चौथी तिमाही से महंगाई दर में कमी होगी।

यह लगहातार 10वां मौका है, जब आरबीआई ने रेपो रेट में कोई बदलाव नहीं किया है। इससे पहले वर्ष 2020 में केंद्रीय बैंक ने मार्च में 0.75 फीसदी (75 BPS) और मई में 0.40 प्रतिशत (40 BPS) की कटौती की थी और उसके बाद से रेपो रेट 4 प्रतिशत के ऐतिहासिक निचले स्तर पर लुढ़क गया था। इसके बाद से अभी तक आरबीआई ने दरों में कोई बदलाव नहीं किया है।

आरबीआई  ने खुदरा महंगाई दर (CPI) के वित्त वर्ष 2021-22 में 5.3 फीसदी रहने का अनुमान लगाया। चौथी तिमाही में यह 5.7 प्रतिशत रह सकती है। वित्तीय वर्ष 2022-23 के लिए सीपीआई इंफ्लेशन 4.5 प्रतिशत रहने का अनुमान लगाया गया है। 2022-23 की पहली तिमाही में महंगाई 4.9 प्रतिशत, दूसरी तिमाही में 5 फीसदी, तीसरी तिमाही में 4 प्रतिशत और चौथी तिमाही में 4.2 फीसदी रह सकती है।

चलिए अब आपको बताते हैं कि रेपो रेट और रिवर्स रेपो रेट क्या होता हैः रेपो रेट वह दर है जिस पर आरबीआई बैंकों को कर्ज देता है। बैंक इसी कर्ज से ग्राहकों को लोन देते हैं। रेपो रेट कम होने का अर्थ होता है कि बैंक से मिलने वाले कई तरह के लोन सस्ते हो जाएंगे। वहीं रिवर्स रेपो रेट, रेपो रेट से ठीक विपरीत होता है। रिवर्स रेट वह दर है, जिस पर बैंकों की ओर से जमा राशि पर आरबाई ब्याज देता है। रिवर्स रेपो रेट के जरिए बाजारों में लिक्विडिटी यानी नगदी को ​नियंत्रित किया जाता है। यानी रेपो रेट स्थिर होने का मतलब है कि बैंकों से मिलने वाले लोन की दरें भी स्थिर रहेंगी।

Shobha Ojha

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