मुंबई आज से यहां भारतीय रिजर्व बैंक की मौद्रिक नीति समीति (एमपीसी) की बैठक शुरू हो रही। इसके बाद आरबीआई नई मौद्रिक नीति की घोषणा करेगा। इस बार एमपीसी के सामने महंगाई पर अंकुश, सुस्त आर्थिक वृद्धि को गति देने और कच्चे तेल की ऊंची कीमतों से उपभोक्ता और अर्थव्यवस्था पर पड़ने पर असर से निपटने की चुनौती होगी।
विशेषज्ञों के मुताबिक मुद्रास्फीति संबंधी चिंताओं के मद्देनजर द्विमासिक मौद्रिक नीति समीक्षा में प्रमुख नीतिगत दरों के मोर्चे पर यथास्थिति कायम सकता है। विशेषज्ञों का मानना है कि एमपीसी नीतिगत रुख को ‘उदार’ से ‘तटस्थ’ में बदल सकती है और नकदी के सामान्यीकरण प्रक्रिया के हिस्से के रूप में रिवर्स-रेपो दर में बदलाव कर सकती है। बैंक ऑफ बड़ौदा के मुख्य अर्थशास्त्री मदन सबनवीस कहा कि बजट में वृद्धि को लेकर दिए गए आश्वासन और कच्चे तेल की कीमतों के कारण मुद्रास्फीति बढ़ने की आशंका को देखते हुए हम उम्मीद करते हैं कि रिजर्व बैंक रिवर्स रेपो दर में 0.25 प्रतिशत (25 आधार अंक) की वृद्धि करके सामान्यीकरण की प्रक्रिया शुरू कर सकता है।
वहीं, कोटक महिंद्रा बैंक में उपभोक्ता बैंकिंग की समूह अध्यक्ष शांति एकमबराम ने भी उम्मीद जताई कि केंद्रीय बैंक रिवर्स रेपो दर में 0.25 फीसदी का बदलाव कर सकता है। इसके पहले कोविड-19 के नये स्वरूप ओमीक्रोन को लेकर अनिश्चितता के बीच आर्थिक वृद्धि को गति देने के इरादे से केंद्रीय बैंक ने लगातार नौवीं बार नीतिगत दर को रिकॉर्ड निचले स्तर पर कायम रखने का फैसला किया था।
आइए एक नजर डालते हैं कि एमपीसी के समक्ष कौन-कौन सी चुनौतियां होंगीः
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