वो जब दिन को रात कहे, तो तुरंत मान जाओ.. नहीं मानोगे तो, वो दिन में नकाब ओढ़ लेंगे… जरूरत हुई तो हकीकत को थोड़ा-बहुत मरोड़ लेंगे… वो मगरूर हैं खुद की समझ पर बेइंतहा… इन्हें आइना मत दिखाओ, वो आइने को भी तोड़ देंगे…
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोमवार को लोकसभा में इन लाइनों का इस्तेमाल संसद में राष्ट्रपति के अभिभाषण पर जवाब देते हुए विपक्ष पर तंज कसने के लिए किया। पीएम मोदी लोकसभा में सोमवार शाम 5 बजकर 26 मिनट पर बोलने खड़े हुए और 7 बजकर 6 मिनट तक बोले। यानी पूरे 100 मिनट के अपने भाषण के दौरान उन्होंने हर एंगल से विपक्ष खासकर कांग्रेस को कोसा। उन्होंने अपने भाषण में विष्णु पुराण का श्लोक भी पढ़ा और तमिल महाकवि सुब्रमण्यम भारती की कविता भी पढ़ी। इस दौरान उन्होंने राष्ट्रीय एकता पर बात की, तो कांग्रेस को टुकड़े-टुकड़े गैंग का लीडर बताने से भी नहीं चूके।
मोदी ने कहा कि उनकी सरकार देश के लोगों को पुरानी अवधारणा से बाहर निकालकर सामर्थ्यवान बनाने की तरफ ले जा रही है और प्रधानमंत्री गति शक्ति योजना इस दिशा में परिवर्तनकारी साबित होगी। उन्होंने अपने मैराथन भाषण में बार-बार नेहरू का जिक्र किया और महंगाई से लेकर देश की एकता के मुद्दे पर कांग्रेस लताड़ा। पीएम कांग्रेस पर पर तंज कसने के लिए पंडित नेहरू के भाषणों के अंश बार-बार पढ़ते रहे। उन्होंने कांग्रेस सांसदों पर चुटकी लेते हुए कहा, “आपको शिकायत रहती है कि मैं नेहरू का जिक्र नहीं करता, इसलिए आज के भाषण में नेहरू की तमाम बातें होंगी। प्रधानमंत्री ने यही किया भी और नेहरू के लाल किले पर दिए भाषण से लेकर राष्ट्र पर उनके बयान को दोहराया।“
पीएम मोदी ने लोकसभा में सोमवार को अपने भाषण के दौरान कांग्रेस पर अब तक का सबसे तीखा हमला बोला और कहा कि कांग्रेस विभाजन की राजनीति करती है। वह टुकड़े-टुकड़े गैंग की लीडर बन गई है। यह कांग्रेस की परंपरा है, जो अंग्रेजों से विरासत में मिली है। इसके बाद मोदी ने विष्णुपुराण से संस्कृत श्लोक पढ़कर देश की एकता के मायने समझाए।
उन्होंने देश की एकता का उल्लेख करते हुए कहा, “देश में तमिल तमिल सेंटिमेंट को हवा देकर आग लगाने की कोशिश की गई, लेकिन जब सीडीएस (CDS) बिपिन रावत का पार्थिव शरीर रास्ते से निकल रहा था, उस वक्त तमिल भाई-बहन वीर वडक्कम-वीर वडक्कम का नारा लगा रहे थे। राष्ट्रीय एकता का उदाहरण देने के लिए उन्होंने महान तमिल तमिल कवि सुब्रमण्यम भारती की कविता का जिक्र किया।
उन्होंने कांग्रेस पर हमला बोलते हुए कहा कि संसद में संविधान का अपमान किया गया। कांग्रेस ये अपमान क्यों कर रही है? प्रधानमंत्री ने कहा, “नेहरू ने कहा था कि संविधान में राष्ट्र शब्द नहीं है, यह कहकर देश का अपमान किया गया। राष्ट्र कोई सरकार की व्यवस्था नहीं, राष्ट्र हमारे लिए जीवित आत्मा है।“
उन्होंने कहा, “मैं आपसे फिर कहता हूं.. कि आजाद हिंदुस्तान है… आजाद हिंदुस्तान की सालगिरह हम मनाते हैं, लेकिन आजादी के साथ जिम्मेदारी होती है… जिम्मेदारी खाली हुकूमत की नहीं… जिम्मेदारी हर एक आजाद शख्स की होती है… अगर आप उसे महसूस नहीं करते… आप आजादी के मायने नहीं समझते.. तो आप आजादी को बचा नहीं सकते हैं…”
कोरोना के पहली लहर का उल्लेख करते हुए प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि दिल्ली में ऐसी सरकार है, जिसने माइक बांध कर ऐलान करवाया कि सभी मजदूर घर जाएं। यूपी, उत्तराखंड, पंजाब में लोग कांग्रेस के पाप के कारण कोरोना की चपेट में आए।
उन्होंने कहा कि बीते दो साल से पूरी दुनिया 100 साल के सबसे बड़े वैश्विक महामारी का संकट झेल रही है। इस कोरोना को भी दलगत राजनीति के लिए प्रयोग किया गया, ये मानवता के लिए सही नहीं है। उन्होंने विपक्ष पर तंज कसते हुए कहा कि उल्टी टोपी क्यों पहन रहे हैं। प्रधानमंत्री के बयान इस पर सदन में विपक्ष ने हंगामा शुरू कर दिया।
पीएम ने कहा, “हम सब संस्कार से, व्यवहार से लोकतंत्र के लिए प्रतिबद्ध लोग हैं और आज से नहीं, सदियों से हैं। ये भी सही है कि आलोचना जीवंत लोकतंत्र का आभूषण है, लेकिन अंध विरोध लोकतंत्र का अनादर है।“
प्रधानमंत्री मोदी के भाषण के दौरान कांग्रेस की तरफ से टोका-टोकी शुरू हुई, तो लोकसभा अध्यक्ष ओम बिड़ला ने हंगामा कर रहे सांसदों को रोका। इस पर पीएम ने चुटकी लेते हुए कहा, “दादा उम्र के इस पड़ाव पर भी बचपन का मजा लेते हैं।“ इसके बाद दोबारा टोके जाने पर मोदी ने कांग्रेस नेता अधीर रंजन चौधरी से कहा कि आपने अपना सीआर सुधार लिया है। इस सत्र से आपको कोई नहीं निकालेगा। मैं आपको गारंटी देता हूं। उन्होंने अधीर रंजन चौधरी से कहा कि ये एक पल मेरे बिना नहीं बीता पाते, इसके जवाब में अधीर रंजन ने कहा कि मोदी प्रधानमंत्री हैं, इसलिए उन्हें याद किया जाता है।
लोकसभा में पीएम मोदी ने एक बार पंडित नेहरू को करते हुए कहा कि महंगाई पर नेहरू जी ने लाल किले पर से कहा था कि कभी-कभी कोरिया में लड़ाई भी हमें प्रभावित करती है। इसके चलते वस्तुओं की कीमतें बढ़ जाती है और यह हमारे नियंत्रण से भी बाहर हो जाती है। अगर अमेरिका में भी कुछ हो जाता है, तो वस्तुओं की कीमतें बढ़ जाती है। ये उस वक्त कहा गया था जब ग्लोबलाइजेशन नहीं था।