दिल्लीः जिसकी आवाज की पूरी दुनिया दीवानी थी, उस स्वर कोकिला लता मंगेशकर के दिल पर भी कोई राज करता था। जी हां भारत रत्न लता मंगेशकर की निजी जीवन के बारे में कम ही लोग जानते हैं। लता दीदी ने ताउम्र शादी नहीं की, लेकिन वह प्यार से दूर नहीं रह पाईं थी। उन्होंने भी प्यार किया और उसी के नाम पूरी जिंदगी उसी के नाम कर दी। लता दीदी को राजस्थान के पूर्व डूंगरपुर राजघराने के राज सिंह से प्यार हुआ था और राज लता दीदी को प्यार से मिट्ठू बुलाते थे।
स्वर कोकिला लता मंगेशकर और राज सिंह डूंगरपुर की दोस्ती कब प्यार में बदल गई, इसका अंदाजा तो उन दोनों को भी नहीं था। राज लता के गानों के इस कदर दीवाने थे कि एक टेप रिकॉर्डर हमेशा अपनी जेब में रखते थे और उनके गाने सुनते थे। वहीं लता दीदी की क्रिकेट के प्रति दीवानगी भी छिपी नहीं है। अक्सर वे मैदान पर राज को क्रिकेट खेलते देखने जाती थीं। दोनों अक्सर मिला करते थे।
राज सिंह क्रिकेट खेलने के भी शौकीन थे। 1955 से ही राजस्थान रणजी टीम के सदस्य थे। 1959 में वह लॉ की पढ़ाई करने मुंबई गए थे। वहां पर क्रिकेट मैदान में लता के भाई हृदयनाथ मंगेशकर से मुलाकात हुई। इसके बाद लता दीदी के भाई अक्सर राज को अपने साथ घर लेकर जाते थे। राज सिंह पहली मुलाकात में ही लता को दिल दे बैठे थे। धीरे-धीरे बात शुरू हुई। लता रिकॉर्डिंग में बिजी रहती थीं। बिजी शेड्यूल के कारण ज्यादा मिल नहीं पाती थीं। कहते हैं, राज उनके गाने सुनकर उनकी कमी को पूरा करते थे। फुरसत मिलते ही दोनों मिलते थे।
कहा जाता है कि राज सिंह और लता को एक-दूसरे का साथ बहुत पसंद था। मोहब्बत परवान पर थी। दोनों शादी करना चाहते थे, लेकिन राजपरिवार की आन-बान-शान आड़े आ गई। ऐसा कहा जाता है कि राज सिंह अपने पिता से बेहद प्यार करते थे और उन्होंने उनके प्यार और सम्मान की खातिर वादा किया था कि वह शादी के जरिए एक आम इंसान को परिवार में नहीं लाएंगे। इसी वजह से उन्होंने लता दीदी से शादी नहीं की, लेकिन उन्होंने अपने दिल में लता दीदी की जगह किसी को नहीं दी। राज जिंदगीभर कुंआरे रहे और मोहब्बत को पूरी ईमानदारी से निभाया। शादी न होने के बाद भी दोनों ने एक-दूसरे का साथ दिया था। कई चैरिटी में साथ काम किया था। हालांकि, दोनों की मोहब्बत केवल याद बनकर रह गई है।
अब आइए आपको बताते हैं कि राज सिंह कौन थेः राज सिंह का जन्म राजस्थान के डूंगरपुर में 19 दिसंबर 1935 को एक राज परिवार में हुआ था। वे डूंगरपुर के महाराजा लक्ष्मण सिंह के छोटे पुत्र थे। राज सिंह ने 1955 से 1971 के दौरान 86 प्रथम श्रेणी मैच खेले थे। उन्होंने 16 सालों तक प्रथम श्रेणी क्रिकेट खेला और करीब 20 सालों तक BCCI से जुड़े रहे। 12 सितंबर 2009 को उनका निधन हो गया।
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